नई दिल्ली। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से बातचीत के बाद उनके नेतृत्व पर आया संकट टल गया लगता है। नेतृत्व परिवर्तन को लगाई जा रही अटकलों पर यही विराम लग गया है।
6 मार्च को गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान देहरादून पहुंचे भाजपा के दानों प्रदेश प्रभारी और पर्यवेक्षक के रूप में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के आने से राजनीतिक संकट गहरा गया था। मुख्यमंत्री के साथ सभी विधायकों के साथ रमन सिंह की चर्चा हुई। उसके बाद दोनों प्रभारी और पर्यवेक्षक दिल्ली चले गए। इस बीच सबकुछ शांत होता हुआ दिखाई दे रहा था कि अचानक पर्यवेक्षक रमन सिंह द्वारा अपनी रिपोर्ट हाई कमान को सौंपने की बात सामने आते ही मामला फिर से उबाल पर आ गया। तय कार्यक्रम के तहत महिला दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री को गैरसैंण जाना था, लेकिन उन्हें अचानक दिल्ली जाना पड़ा। बताया जाता है कि दिल्ली में दो दर्जन से अधिक विधायक और चार मंत्री पहले से मौजूद थे। इन विधायकों तथा मंत्रियों ने जब उत्तराखंड आवास की तरफ रुख नहीं किया तो उनकी नाराजगी का अंदाजा लगाया जाने लगा।
शाम को पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। उस बैठक के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत अभयदान लेकर बाहर आए और बिना पत्रकारों से बात किए आवास के लिए चल दिए। पत्रकारों को बातचीत के लिए आवास पर बुलाया गया। आवास पर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चैहान ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुख्यमंत्री से क्या बात हुई इस बारे में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि देहरादून में जिस विधायकों की बैठक की बात कही जा रही थी, ऐसी कोई बैठक नहीं हो रही है।