ज्योतिर्मठ, 25दिसंबर।
उत्तराखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रो में स्वरोजगार सृजन को सुनिश्चित करने हेतु केंद्र व राज्य सरकारें विभिन्न माध्यमों से प्रयत्नशील है, स्वरोजगार सृजन को आगे बढ़ाने के लिए मंगलवार को माटी संस्था, एवं राजकीय पीoजीo कॉलेज, जोशीमठ की करियर काउंसलिंग सेल की ओर से (युकॉस्ट) देहरादून द्वारा प्रयोजित “उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में मशरूम उत्पादन एवं औषधीय पौधों की खेती” शीर्षक पर एक कार्यशाला का आयोजन राजकीय पीo जीo कॉलेज जोशीमठ में किया गया।
इस कार्यशाला का मुख्य उदेश्य राज्य के इस सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं, छात्रों, ग्रामीण महिलाओं व पुरुषों में मशरूम व औषधीय पेड़-पौधे की खेती संबंधित जानकारी प्रदान कर कौशल विकास कर स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाना है।
इस कार्यशाला में मुख्यअतिथियों में मुख्य रूप से राजकीय पी०जी० कॉलेज के प्रभारी प्रचार्य डॉo जीoकेo सेमवाल, सुमेधा भट्ट -सचिव महिला समूह फेडरेशन नगर पालिका जोशीमठ, रणवीर सिंह पवार-एमजी इंटरकॉलेज जोशीमठ, आचार्य भालचंद्र चमोला सरपंच वन पंचायत तपोवन, रवि थपलियाल लोक गायक, डॉo जोखन शर्मा मनाववैज्ञानिक, माटी संस्था,डॉo दीपिका डिमरी , मानवेन्द्र ठाकुर कृषि विशेषज्ञ शामिल रहे।
इस कार्यशाला का शुभारंभ आमंत्रित मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रवजलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन कर किया गया।
उद्घाटन के उपरान्त कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में मंचासीन सभी अतिथियों ने इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही कार्यशाला के उद्देश्यों की सफलता हेतु अपने विचार रखें।
प्रभारी प्रचार्य डॉo जीoकेo सेमवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को इस कार्यक्रम में स्वागत किया व इस कार्यक्रम से लाभ लेने व अपने जीवन को रोजगारपरक बनाने के प्रति जागरूक होने की बात कही।
कार्यक्रम के दूसरे अतिथि वक्ता के रूप में आचार्य भालचन्द्र चमोला ने कहा की जोशीमठ क्षेत्र सहित पूरा उत्तराखंड अनेक प्रकार के औषधीय पेड़-पौधों से सम्पन्न है, जिनका संरक्षण हमे मिलजुलकर करना होगा। उन्होंने कहा की इस क्षेत्र जल,जंगल जमीन यानि सम्पूर्ण प्राकृतिक संसाधनों यानी का संरक्षण वर्तमान की नई पीढ़ियों के कंधो पर है।
माटी संस्था के डॉ जोखन शर्मा ने ग्रामीण क्षेत्रो के युवाओं व किसानों के कौशल विकास हेतु संस्था के द्वारा किये जा रहे कार्यो से अवगत कराते हुए रोजगारपरक खेती तकनीकों से जुड़ने का सुझाव उपस्थित प्रतिभागियों को दिया। उन्होंने बताया की
स्थानीय कृषि संस्कृति को बचाये रखते हुए वर्तमान में नई खेती के माध्यमो की जानकारी रखना बेहद जरूरी है। मशरूम व औषधीय खेती के माध्यम से किसान अपनी आजिविका को बेहतर बना सकते है अपितु इससे आत्मनिर्भर भी बन सकते है।
मशरूम के उत्पादन व औषधीय खेती के प्रशिक्षण देने आये विशेषज्ञों के रूप में मौजूद मानवेन्द्र व सुनीत कुमार ने उपस्थित प्रतिभागियों को मशरूम के उत्पादन में प्रयोग में लाई जाने वाली प्रविधियों व तकनीकों की जानकारी दी तथा प्रतिभागियों को प्रशिक्षित भी किया। इस दौरान उपस्थित प्रतिभागियों के प्रश्नों व संकाओं का समाधान कार्यशाला में उपस्थित कृषि विशेषज्ञों ने किया।
श्री उदित राजपुत (कृषि विपणन विशेषज्ञ, माटी संस्था) ने उपस्थित प्रतिभागियों को मशरुम व औषधीय उत्पादों के बेहतर विपणन के तरीको की जानकारी दी । उन्होंने बताया की स्थानीय लोगो के द्वारा मशरूम का उत्पादन स्थानीय स्तर पर करने से उनके लिए बाजार की सुविधा स्थानीय व आसपास के जिले के बाजार को फोकस कर किया किया जा सकता है।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों के हाथों से सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का मंच का सफल संचालन माटी संस्था की प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डॉ o दीपिका डिमरी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समापन संबोधन डॉo जोखन शर्मा की ओर से प्रस्तुत किया गया।
इस कार्यशाला को सफल बनाने में राजकीय पीजी कॉलेज के डॉo एनo केo रावत, रणजीत सिंह सभी प्रध्यापकगण, अधिकारीगण कर्मचारीगण एवं माटी संस्था के अधिकारीगण सहित कार्यशाला में शामिल सभी छात्र-छात्रों, एनसीसी के वोलेंटियर्स, विभिन गाँवो से आयी महिला समूह व किसानो ने अपना योगदान दिया।