• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

हर बार हाशिए पर क्यों रहती है शिक्षा की गुणवत्ता

06/02/22
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
0
SHARES
117
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी शिक्षा को लेकर पलायन नहीं थमा है। ये हाल तब हैं, जब शिक्षा की ढांचागत सुविधाओं की पहुंच दूरस्थ पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों तक हो चुकी है। शिक्षा की मौजूदा व्यवस्था जन अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही है। प्राथमिक से लेकर डिग्री स्तर तक तेजी बनते नए-नए विद्यालय-महाविद्यालयों के भवन अपने आसपास की आबादी का भरोसा जीत पाते तो शायद यह नौबत आ ही न पाती। शिक्षा का स्तर और उसकी गुणवत्ता सबसे बड़ी आवश्यकता है।

उत्तराखंड की भावी पीढ़ी के भविष्य को संवारने से जुड़ी जिस आवश्यकता को सर्वाधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए, उसे हाशिए पर धकेल दिया गया है। सरकारी सेक्टर में शिक्षा की इस दुरावस्था के परिणाम चौंकाने वाले तो हैं ही, तंत्र के साथ ही हर चुनाव में सब्जबाग दिखाकर सत्ता पाने वाले राजनीतिक दलों की सोच और नीयत पर बड़े सवाल छोड़ते हैं। सरकारी और सहायताप्राप्त विद्यालयों की संख्या निजी विद्यालयों से तीन गुना ज्यादा होने के बावजूद इनमें छात्रसंख्या लगातार घट रही है।

निजी विद्यालयों से सवा तीन लाख छात्र-छात्राएं अधिक हैं। सरकारी डिग्री कालेजों की संख्या 115 को पार कर रही है, लेकिन छात्रसंख्या 50 हजार तक घट चुकी है। तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा से जुड़े सरकारी संस्थानों में एक चौथाई से ज्यादा सीटों को छात्र-छात्राओं का इंतजार है। पूरे वर्षभर शिक्षकों के तबादले, शिक्षक संगठनों की समस्याएं, शिक्षाधिकारियों की तैनाती जैसे मुद्दों से जूझते हुए शैक्षिक सत्र बीत जाता है। प्रतिस्पर्धा के युग में बच्चे को कैसे अच्छी शिक्षा मिले और उसका सर्वांगीण विकास कैसे हो, विद्यालयों में शिक्षा उसके ज्ञान के स्तर को बढ़ा पा रही है या नहीं, ये तमाम सवाल मतदाताओं को मथ रहे हैं।

पांचवीं विधानसभा के चुनाव के मौके पर इन प्रश्नों को जवाब का इंतजार है। राज्य बनने से पहले से ही उत्तराखंड में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अच्छी रही है। साक्षरता के आंकड़ों के बूते राज्य के बारे में शिक्षा को लेकर आमतौर पर अच्छी धारणा बनाई जाती है। सच यह नहीं है। अलग राज्य बनने के बाद 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों में राज्य के भीतर और बाहर बड़ी संख्या में पलायन की बड़ी शिक्षा को बताया गया।

यह हालत तब है, जब प्राथमिक और माध्यमिक के साथ ही अब सरकारी डिग्री कालेजों बड़ी संख्या में दूरदराज में खुल चुके हैं। तस्वीर का एक और चिंताजनक पहलू है, सरकारी विद्यालयों में हर वर्ष लगातार घटती छात्रसंख्या। आश्चर्यजनक सच देखिए, प्रदेश में निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी और सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों की संख्या तीन गुना ज्यादा है। इनमें छात्रसंख्या काफी कम हो गई। काफी कम संख्या में होने के बावजूद निजी विद्यालयों में 3.13 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणावत्ता का विषय ही हाशिए पर दिखाई देता है। शिक्षा राज्य में सामाजिक-आर्थिक असमानता की खाई को भी बता रही है। उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों से शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों का अनुपात मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक है। परिवार अपने खर्च का तकरीबन 11 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। मानव विकास रिपोर्ट में शिक्षा और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के काम को चुनौतीपूर्ण माना गया है। पुरुष और महिला साक्षरता दर में बड़ा अंतर बना हुआ है।

शिक्षा के माध्यम से बच्चों को कुपोषण से मुक्ति, उनके स्वास्थ्य की जांच पर भी विशेष जोर दिया गया है। ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में कुपोषण और स्वास्थ्य की जांच के मामले में व्यवस्थित तरीके से आगे बढऩा आवश्यक हो गया है। राज्य में 2002-03 में 74 महाविद्यालय और दो विश्वविद्यालय थे। वर्तमान में राजकीय महाविद्यालयों की संख्या बढ़कर 115 हो गई है।

18 सहायताप्राप्त अशासकीय महाविद्यालय हैं और विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़कर तकरीबन दो दर्जन तक पहुंच रही है। इनमें 12 सरकारी विश्वविद्यालय में हैं। उच्च शिक्षा से संबंधित छह विश्वविद्यालय हैं। सरकारी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की संख्या बढऩे के बावजूद इनमें छात्रसंख्या घट रही है। अच्छी बात ये रही कि करीब दो दर्जन सरकारी महाविद्यालयों के पास अपने भवन होंगे।

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में मिली धनराशि का इस बार उपयोग किया गया है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के परिसरों को वाई-फाई सुविधा से युक्त करने की व्यवस्था की जा रही है। बड़ी संख्या में सरकारी महाविद्यालय अब भी यूजीसी के अनुदान की पात्रता प्राप्त नहीं कर सके हैं। अभी तक सिर्फ 22 महाविद्यालय ही राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से मूल्यांकन करा पाए हैं।

इस मूल्यांकन के आधार पर उन्हें यूजीसी से मिलने वाले अनुदान की राह आसान होगी। प्रदेश में तकनीकी शिक्षण संस्थानों की संख्या भी काफी बढ़ी है, लेकिन अब इन संस्थानों में जितनी सीट उपलब्ध हैं, उसकी तुलना में बहुत कम प्रवेश हो रहे हैं। सरकारी व निजी दोनों ही, तकनीकी शिक्षण संस्थानों में यह आम परेशानी है। 2001-02 में राज्य में कुल 15 इंजीनियरिंग कालेज संचालित थे। वर्तमान में इनकी संख्या 34 हो चुकी है। 2002-03 में 16 पालीटेक्निक थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 70 हो चुकी है।

राज्य में नौ फार्मेसी संस्थान सरकारी क्षेत्र और 24 संस्थान निजी क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। स्वतंत्रता के सात दशक के बाद भी भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है। हाल ही में जारी विश्वविद्यालय रैंकिंग में दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय को स्थान प्राप्त नहीं हो सका। भारत की निम्न रैंकिंग में काबिज़ होने के कारणों में खराब शैक्षिक प्रदर्शन, छात्रों को प्राप्त होने वाली खराब रोज़गार की स्थिति, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त होने वाले शैक्षिक पुरस्कारों का अभाव, व्यावसायिक शैक्षिक कार्यक्रमों को मान्यता देने में खराब ट्रैक रिकॉर्ड और शोध एवं अनुसंधान के लिये धन का अभाव इत्यादि प्रमुख हैं।

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025-1.mp4
Previous Post

भारत के साथ नेपाल के सीमावर्ती जिलों में जनसांख्यिकीय बदलाव

Next Post

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जौलीग्रांट एयरपोर्ट से हुए हरिद्वार रवाना

Related Posts

उत्तराखंड

हिमायल में उगने वाली, कीड़े से निकलने वाली जड़ी बूटी दुनिया भर में है डिमांड

June 14, 2025
7
उत्तराखंड

किसानों के खेतों में जाकर बताया समाधान

June 14, 2025
4
उत्तराखंड

रक्तदान एक महान मानव सेवा है, जो जीवन को बचाने का अवसर देती है : डीएफओ गढ़वाल

June 14, 2025
7
उत्तराखंड

आईटीबीपी के हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान-2025 को हरी झंडी दिखाकर मुख्यमंत्री ने किया रवाना

June 14, 2025
5
उत्तराखंड

हिमालयी राज्यों मेँ क्षेत्रफल के आधार पर ही परिसीमन किया जाना चाहियॆ

June 14, 2025
39
उत्तराखंड

जल्द होगी वीरों और शहीदों के गांव सवाड़ के केंद्रीय विद्यालय की घोषणा: सांसद बलूनी

June 14, 2025
11

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

हिमायल में उगने वाली, कीड़े से निकलने वाली जड़ी बूटी दुनिया भर में है डिमांड

June 14, 2025

किसानों के खेतों में जाकर बताया समाधान

June 14, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.