
थराली से हरेंद्र बिष्ट।
सोमवार कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर वांण स्थित लाटू धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। जिसके लिए वांण सहित आसपास के गांवों के लाटू भक्तों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
दरअसल प्रति वर्ष वांण स्थित प्रसिद्ध लाटू देवता के कपाट बैसाख मास की पूर्णिमासी के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए उत्तराखंड के चार धामों की तरह ही खोले जाते हैं। हालांकि मुख्य गुप्त गर्भगृह को बैसाख पूर्णिमा के दिन चंद समय के लिए ही खोला जाता हैं।इस दौरान लाटू देवता के एक पुजारी के द्वारा गर्भगृह में अपनी आंखों पर पट्टी बाध कर पूजा.अर्चना करने के बाद उसके कपाट को बंद कर दिया जाता हैं। सदियों से यह परम्परा चली आ रही हैं। जबकि इस के बहार के दूसरे कपाट को आम श्रद्धालुओं के दर्शनों एवं पूजा.अर्चना के लिए खूले रखा जाता हैं। बद्री.केदार के कपाटों के बाद होने के बाद लाटू देवता के कपाट कार्तिक पूर्णिमा के दिन
आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इसके तहत सोमवार को आने वाले कार्तिक पूर्णिमासी के दिन इस बार भी कपाट बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद करने की तैयारी रविवार से ही शुरू हो गई हैं।लाटू देवता के मुख्य पुजारी खीम सिंह बिष्टएनंदा भगवती के मुख्य पुजारी दिवान सिंह बिष्ट एवं दानू देवता के मुख्य पुजारी गब्बर सिंह दानू ने बताया कि शुभ लग्नानुसार पूर्णमासी के दिन दोपहर 11.30 बजें विधि.विधान के साथ लाटूएनंदा देवीएदानू देवताओं के साथ ही अन्य देवी.देवताओं की पूजा.अर्चना के साथ कपाट को आगामी 6 माह के लिए बंद कर दिया जाएगा। अगले वर्ष बैसाख पूर्णिमासी के दिन एक बार पुनः कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ एवं पूजा.अर्चना के लिए खोले जाएंगे।
हाट कल्याणी जिला पंचायत वार्ड के सदस्य एवं वांण गांव के मूल निवासी कृष्णा बिष्ट ने बताया कि लाटू मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि पर होने वाली विशेष पूजा.अर्चना में सामिल होने के लिए भारी संख्या में गांवों की दिशा ध्याणियों बहु बेटियों के साथ ही बहारी क्षेत्रों के श्रद्धांलुओं के वांण पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया हैं।












