फोटो- कपाटोद्घाटन की तिथि मंे बदलाव पर धर्मक्षेत्र में हो रही प्रतिक्रियाआंे पर स्पष्टीकरण देते हुए श्री बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य उनियाल।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। ज्योतिष्पीठाधीश्वर एव द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज द्वारा श्री बदरीनाथ पर दिए गए बयान पर बदरीनाथ के धर्माधिकारी सामने आए। अपने आवास पर ही पत्रकार वार्ता बुलाकर वास्तिविकता से अवगत कराया। शंकराचार्य के शिष्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद महाराज से भी वार्ता कर स्थिति स्पष्ट की। और टिहरी दरबार द्वारा कपाटोदघाटन की नई तिथि को सर्वथा उपयुक्त बताया।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज द्वारा विगत दिवस श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदलने को लेकर जो गंभीर बयान जारी करते हुए पट खोलने की तिथि में बदलाव को अशुभ बताया था। शंकराचार्य के बयान के बाद देशभर के सनातन धर्मावलबियांे में विश्व के सर्वश्रेष्ठ धाम के बारे में किचिंत कोई भं्रातियाॅ ना हो इसके लिए शुक्रवार को श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य भुवन च्रद उनियाल ने अपने आवास पर ही पत्रकार वार्ता बुलाकर न केवल वस्तुस्थिति स्पष्ट की बल्कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद महाराज से भी वार्ता की।
धर्माधिकारी आचार्य उनियाल ने कहा कि देश की विषम परिस्थितियों को देखते हुए टिहरी महाराजा को कपाट खुलने की तिथि में परिवर्तन करना पडा। कहा कि तीन मई तक लाॅकडाउन है और भगवान बदरीविशाल की छः महीनों की पूजा के लिए तिलों का तेल महारानी की मौजूदगी में सुहागिन महिलाएं तेल पिरोती है और उनकी संख्या भी अधिक होती ऐसे मंे भारत सकरार से जारी लाॅकडाउन की गाइडलाइन का पालन नहीं होता। इसके अलावा मुख्य पुजारी श्री रावल कई प्रांतों से गुजरकर उत्तराख्ंाड में पंहुचे हैं। उनका परीक्षण किया जाना भी नियमानुसार नितांत आवश्यक था और वही किया गया। दैव कृपा से उनकी रिपेार्ट नेगेटिव आई और उन्हे क्वारंटीन मे रखा गया है। ऐसी विषम परिस्थिति मे टिहरी राजा ने जो निर्णय लिया है वो सर्वथा उचित है।
आचार्य उनियाल ने कहा कि वसंत पंचमी पर्व पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि मुकर्रर की जाती है। लेकिन उसी दिन चार तिथियों पर भी विचार होता है। उस दिन राजा ने अवश्य तीस अप्रैल की तिथि ही घोषित की थी, लेकिन कोरोना जैसी महामारी ने देश में पाॅव पसार दिए हैं और दिन-प्रतिदिन कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा ही हो रहा है, इसे देखते हुए ही महाराजा ने तिथि परिवर्तन किया है। कहा कि जब देश विषम परिस्थितियो से गुजर रहा है, ऐसेे मे टिहरी महाराज द्वारा लिया गया निर्णय राष्ट्रहित एवं जनकल्याणं हेतु सर्वोत्तम है। क्योकि राष्ट्रहित सब धर्माे मे श्रेष्ठ है और 15मई की तिथि भारतवर्ष की राशि से सुनिश्चित किया गया है।
धर्माधिकारी श्री उनियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने ज्योतिष्पीठ व द्वारका पीठ के शंकराचार्य के परम शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के माध्यम से संपूर्ण स्थिति से शंकराचार्य महाराज को अवगत करा दिया है। उन्हांेेने कहा कि बदरीनाथ धाम में ढाई हजार वर्षों से आद्यजगदुगुरू शंकराचार्य द्वारा शुरू की गई व्यवस्था का ही संचालन हो रहा है। और गाडू-घडी तेल कलश भी शंकराचार्य पंरपरा का ही अंग है। उनका कहना था कि शंकराचार्य महाराज से आग्रह करते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि कपाट खोलने की सभी प्रक्रियाओं मे आद्यगुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित पंरपराओ का ही पोषण हो रहा है। कहीं भी उस पंरपरा की अवहेलना नही हो रही है। भगवान बदरीविशाल की पूजा तभी शुरू होगी जब जोशीमठ से शंकराचार्य गददी व पांडुकेश्वर से उद्धव व कुबेर भगवान की मूर्तियाॅ बदरीनाथ धाम मे पंहुचेगी। धर्माधिकारी ने कहा कि कई बार ज्येष्ठ मास मे भी भगवान के कपाट खुलने की पंरपंरा रही है।