18 अगस्त 2020 को राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गैरसैंण में 21 वर्षीय गर्भवती युवती हीरा देवी और उनके अजन्मे बच्चे की मृत्यु हो गयी। हीरा देवी, गैरसैंण ब्लॉक के बछुवाबाण क्षेत्र के कंडारीखोड़ गाँव की रहने वाली थी और 17 अगस्त को स्वस्थ हालत में उनके परिजन, उन्हें प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल लाये थे।
चिकित्सकों का कहना है कि उक्त युवती की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि हीरा देवी की मृत्यु, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गैरसैंण के चिकित्सकों की लापरवाही से हुई है। हीरा देवी की मृत्यु के कारण तो जांच का विषय है। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि चिकित्सीय लापरवाही के अतिरिक्त यह चिकित्सीय अभाव और अव्यवस्था का भी मामला है। प्रसव के दौरान जटिलता उत्पन्न हुई, परंतु उस जटिलता का सामना कर सकने लायक इंतजाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गैरसैंण में था ही नहीं, गाइनोकोलॉजिस्ट और सर्जन वहाँ उपलब्ध होते तो शायद युवती और उसके बच्चे को बचाया भी जा सकता था।
महोदय, उक्त प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए ताकि हीरा देवी और उनके अजन्मे बच्चे के असमय निधन की वास्तविकता सामने आ सके और जिम्मेदारों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही हो।
परंतु साथ ही आपसे मांग है कि गैरसैंण, चमोली जिले और सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को तत्काल दुरुस्त किया जाये क्यूंकि इस तरह की घटनाएँ जो लोगों के लिए प्राणघातक हैं, नियमित अंतराल पर पर घटित हो रही हैं।
जिस गैरसैंण की यह घटना है और जहां के आप अभी.अभी भूमिधर हुए हैं, उस गैरसैंण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की यह हालत है कि चिकित्सकों के सृजित पद तो 12 हैं परंतु तैनात केवल 02 ही डॉक्टर हैंण् सर्जनए फिजीसियन, पैथोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक और ऑर्थोपेडिक समेत डाक्टरों के लगभग सभी पद रिक्त हैं। इसी तरह के हालत पूरे चमोली जिले में हैं। पूरे चमोली जिले में केवल दो सर्जन हैं। पूरे जिले में कोई नियमित नेत्र चिकित्सक नहीं हैण् अंधता निवारण कार्यक्रम चलाने के लिए देहारादून से एक डाक्टर जाता है। दो ट्रॉमा सेंटर हैं.कर्णप्रयाग और गोपेश्वर में और दोनों ही जगह कोई नियुक्ति न होने के चलते ट्रॉमा सेंटर के नाम पर केवल भवन हैं। पूरे जिले में मात्र एक गाइनोकोलॉजिस्ट हैं। गैरसैंण में काल.कवलित हुई हीरा देवी के बारे में कहा गया कि उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई। पर पूरे चमोली जिले में कोई कार्डियोलॉजिस्ट नहीं हैण्कार्डियोलॉजिस्ट तो श्रीनगर गढ़वाल स्थित मेडिकल कॉलेज में तक नहीं है।
अतः आपसे मांग है कि गैरसैंण और चमोली जिले समेत सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था के लचर ढांचे को चुस्त.दुरुस्त किया जाये ताकि इलाज के अभाव में गर्भवती महिलाएं और अन्य लोगों को आए दिन प्राण न गंवाने पड़ें।
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव भाकपा;माले