थराली से हरेंद्र बिष्ट।
पिंडर नदी के खोफ के चलते अपने घर-बार को छोड़ कर स्कूल के कमरों एवं टेंटों में गुजर-बसर कर रहे निकटवर्ती गांव बैनोली के 12 परिवार स्थानीय निवास स्थान की बांट जोहने के लिए मजबूर बनें हुए। प्रशासन इनके पुनर्वास के लिए ठोस पैरवी की हालांकि बात कर रहा हैं। किंतु कब और कहां इन को बसाया जाएगा इसका उत्तर स्वयंम प्रशासन के पास भी नही हैं।
दरअसल पिछले दिनों 18 जून को हुई मूसलाधार बारिश के बाद पिंडर नदी में इस कदर जल सैलाब आया था कि उसने 2013 में चमोली एवं रूद्रप्रयाग जिलों की नदियों में आयी बाढ़ एवं भूस्खलन की यादों को ताजा कर दिया था। 18 जून से शुरू हुई भारी बारिश के कारण पिंडर नदी का जलस्तर इस तेजी के साथ बढ़ने लगा कि पिंडर नदी के दोनों छोरों पर बसें देवाल से नारायणबगड़ विकासखंड तक के नागरिकों ने अपने घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ले ली थी।इसी दौरान विकासखंड मुख्यालय थराली से लगी ग्रामपंचायत बैनोली मल्ली के पिंडर नदी के पास बसे बस्ती तोक में भारी नुकसान किया। यहां पर नदी ने जहां एक ओर गांव की सुरक्षा के लिए बनाएं गए तटबंधों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।वही मकानों को भी नुकसान पहुंचाया।
नदी से लगातार हो रही भूकटाव को देखते हुए तहसील प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए 12 प्रभावित परिवारों को गांव के प्राथमिक विद्यालय के भवन के साथ ही आस-पास खाली भूमि पर अस्थाई रूप से बसा दिया हैं।एक तरह से अब भी स्कूल भवन एवं इसके आसपास की जमीन ही इन प्रभावितों का ठिकाना बना हुआ हैं।अपना घर-बार छोड़कर कर अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए अस्थाई कैंप में रह रहे 12 परिवार निकट भविष्य में कहां जाएंगे, कहां पर उनका स्थाई ठिकाना होगा सहित तमाम चिंताओं से ग्रसित हो कर शरणार्थियों के रूप में जीवन गुजारने पर मजबूर बने हुए हैं।इस संबंध में आपदा प्रभावित राकेश कुमार, गोपाल राम, रफीक अहमद आदि ने कहा कि नदी के कारण जहां उनकी कृषि भूमि को भारी नुकसान हो चुका हैं।
वही मकानें रहने लायक नही रह गई हैं। उन्होंने सभी पीड़ित परिवारों के सुरक्षित विस्थापन की मांग की हैं। वही गांव के ग्राम प्रधान गंभीर सिंह रावत ने बताया नदी के कारण 12 परिवारों के अलावा अन्य ग्रामीणों को भी भारी खतरा बनता जा रहा हैं। बताया कि पिंडर नदी के कटाव के कारण जहां प्रति वर्ष जमीनों का कटाव तो जारी हैं ही।वही गांव के पास से बहने वाले लोल्टी गदेरें से भी गांव को खतरा बना हुआ हैं। गांव को सुरक्षित करने के लिए नदी के किनारे मजबूत तटबंधों के साथ ही लोल्टी गदेरें में भी सुरक्षात्मक उपाय किए जाने बेहद जरूरी हैं। इस संबंध में थराली के उपजिलाधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि फिलहाल 12 परिवार को स्कूल भवन में ठहराते हुए उन्हें हर संभव सहायता दिए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई हैं। प्रभावितों का कहां विस्थापन होगा,कब तक होगा इस संबंध में उच्चाधिकारियों के निर्देशों के बाद ही आग्रिम कार्यवाही की जाएगी।












