डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
अनार वानस्पतिक नाम.प्यूनिका ग्रेनेटमएक फल हैं, यह लाल रंग का होता है। इसमें सैकड़ों लाल रंग के छोटे पर रसीले दाने होते हैं। अनार दुनिया के गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह एक महत्त्वपूर्ण फल है। भारत में अनार के पेड़ अधिकतर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में पाए जाते हैं। सबसे पहले अनार के बारे में रोमन भाषियों ने पता लगाया था। रोम के निवासी अनार को ज्यादा बीज वाला सेब कहते थे। भारत में अनार को कई नामों में जाना जाता है। बांग्ला भाषा में अनार को बेदाना कहते हैं, हिन्दी में अनार, संस्कृत में दाडिम और तमिल में मादुलई कहा जाता है। अनार के पेड़ सुंदर व छोटे आकार के होते हैं।
इस पेड़ पर फल आने से पहले लाल रंग का बडा फूल लगता है, जो हरी पत्तियों के साथ बहुत ही खूबसूरत दिखता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह फल लगभग ३०० साल पुराना है। यहूदी धर्म में अनार को जननक्षमता का सूचक माना जाता है, जबकि भारत में अनार अपने स्वास्थ्य सम्ब्न्धी गुण के कारण लोकप्रिय है। अनार में प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। १०० ग्राम अनार खाने पर हमारे शरीर को लगभग ६५ किलो कैलोरी अनार में प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। १०० ग्राम अनार खाने पर हमारे शरीर को लगभग ६५ किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है। कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी अनार का प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों से निकले तेल का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है।
अनार के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। आमतौर पर इसकी लकड़ी का प्रयोग टहलते समय काम में लाई जाने वाली छड़ी बनाने में किया जाता है। इस पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है, उच्च रक्तचाप को घटाता है, सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है, गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है, कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है, शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है और महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है। अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन.कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है। अमरीकी डॉक्टरों की एक पत्रिका ने हाल ही में लिखा कि अनार का रस वृद्धावस्था में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता है।
अनार की डाली से बनी हुई कलम पूजा.उपासना और तांत्रिक प्रयोगों में भी इस्तेमाल की जाती है। पुजारीध्तांत्रिक एक स्वच्छ कागज़ पर अनार की कलम को लाल रंग की स्याही में डुबोकर रेखाओं और गणित के अक्षरों के जरिये एक यंत्र का निर्माण करते हैंए जो शरीर पर धारण करने से व्यक्ति को नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से बचाता है र्जा मिलती है। कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी अनार का प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों से निकले तेल का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है। अनार के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। आमतौर पर इसकी लकड़ी का प्रयोग टहलते समय काम में लाई जाने वाली छड़ी बनाने में किया जाता है। इस पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता हैए उच्च रक्तचाप को घटाता है, सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है, गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है, कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है, शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है और महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है। अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन.कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है।
अमरीकी डॉक्टरों की एक पत्रिका ने हाल ही में लिखा कि अनार का रस वृद्धावस्था में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता हैअनार की डाली से बनी हुई कलम पूजा.उपासना और तांत्रिक प्रयोगों में भी इस्तेमाल की जाती है। पुजारी तांत्रिक एक स्वच्छ कागज़ पर अनार की कलम को लाल रंग की स्याही में डुबोकर रेखाओं और गणित के अक्षरों के जरिये एक यंत्र का निर्माण करते हैं, जो शरीर पर धारण करने से व्यक्ति को नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से बचाता है अनार एक स्वास्थ्य वर्धक फल है जिसे सभी अनार, दाडम या दाड़िम आदि अलग अलग नाम से जानते हैं । अनार का जन्मस्थल अरब देश है । अनार में एंटीआक्सिडेंट, एंटीवायरल, और एंटी टयूमर गुण पाए जाते हैं । अनार विटामिन्स का भी एक अच्छा स़्त्रोत है इसमें विटामिन एए सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है । अनार में हरी चाय और वाइन के मुकाबले तिगुना एंटीआक्सिडेंट मौजूद होता है । अपच होने पर अनार के रस एक चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर लेना चाहिए । प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं । अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है । दस्त तथा पेचिश में . 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें । दोनों को एक गिलास पानी में उबालें । फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें । इससे दस्त तथा पेचिश में आराम मिलता है ।
दुःसाध्य खांसी में जवाखार आधा तौला, कालीमिर्च एक तौला, पीपल दो तौला, अनार दाना चार तौला, बन सबका चूर्ण बना लें फिर आठ तौला गुड़ में मिलाकर चटनी बना लें । चार चार रत्ती की गोलियां बना लें । गरम पानी से सुबह, दोपहर, शाम एक एक गोली लेंगें तो दुःसाध्य खांसी मिट जाती है । बच्चों की खांसी अनार के छिलकों का चूर्ण आधा आधा छोटा चम्मच शहद के साथ सुबह शाम चटाने से मिट जाती है । अनार कर रस नित्य पीने से कृमि नष्ट हो जाते हैं । अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता हैए उच्च रक्तचाप को घटाता है। आज तक अनार खाने के अनेकों फायदे सुने होंगे।
कई बीमारियों में इसे वरदान समान माना जाता है। डाक्टर भी इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। अनार में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हमेरी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, अंतर्राष्ट्रीय जर्नल इविडेंस.बेस्ड कॉमप्लिमेंट्री एंड आल्टरनेटिव मेडिसिन में हालिया प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार दैनिक खाद्य शैली में एक गिलास अनार का रस अपनाकर 30 से 40 वर्ष ;अधेड़ उम्रद्ध के लोग और बुजुर्ग अपनी याददाश्त को बेहतर बना सकते हैं। इस शोध को सत्यापित करने के लिए करीब 32 लोग जिन्हें याददाश्त को लेकर समस्याएं थी, को रिसर्च विषय बनाकर एक शोध की गई और इस रिसर्च के दौरान इन लोगों को अनार के फलों के रस की एक गिलास मात्रा प्रतिदिन एक माह तक दी गई। एक माह के बाद जब परिणाम प्राप्त किए गए तो जानकारी मिली कि अनार जूस याददाश्त को बेहतर करने के लिए अत्यंत कारगर है। अनार के जूस से याददाश्त में बेहतरी होने की शोध के अलावा अनार को एक बेहतर ब्रेन टोनिक भी माना गया है।
शोधों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अनार के जूस में न्यूरो.प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं अर्थात इसके लगातार सेवन करने वाले व्यक्ति को ब्रेन हैमरेज जैसी घातक समस्याएं होने की संभावनांए नगण्य हो जाती हैं और परिणाम ये भी बताते हैं कि एल्जिमियर्स रोग में भी यह फायदा करता है। अनार का जूस कार्डियो.वेस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है अर्थात यह ब्रेन की सेहत के लिए बेहतरीन होता है। माना जाता है कि ब्रेन से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त रोगियों को अनार का जूस जरूर पीते रहना चाहिए। अनेक शोध परिणामों से ज्ञात होता है।
उत्तराखंड के त्यूहणी, चंदराम राजगुरु में तीन लाख से ज्यादा घरों पर पड़े ताले पलायन की मार को बयां करने के लिए काफी हैं। ऐसे में यह खबर सुकून देने वाली है कि जज्बा हो तो नई इबारत लिखना मुश्किल नहीं। देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के एक किसान ने ठान ली कि हार नहीं मानूंगा। नतीजा उन्होंने गुरबत की बीमारी का इलाज अनार में ढूंढ निकाला। अब अनार की खेती से वह न केवल करीब चार लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं, बल्कि उनसे प्रेरित हो आसपास के गांवों के चार दर्जन से ज्यादा किसान खुद की तकदीर बदलने पर आमदा हैं। राजाराम बताते हैं कि पांच साल पहले वह हिमाचल में अपने रिश्तेदारों से मिलने गये थे। वहां देखा कि वे लोग भगवा सिंदूरी अनार की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। राजाराम के अनुसार हिमाचल प्रदेश के निरुवा, चौपाल, रोहड़ू और जुब्बल जैसे इलाकों में इस प्रजाति के अनार की अच्छी पैदावार है। उन्होंने बताया कि जलवायु की दृष्टि से उनका इलाका भी हिमाचल जैसा है।