• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

बहुउपयोगी अरण्डी तेल के उत्पादन में भारत सबसे आगे

22/12/19
in उत्तराखंड, जॉब
Reading Time: 1min read
0
SHARES
544
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
अरंडी अंग्रेज़ी नाम कैस्टर का पेड़ एक की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५.४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५.१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं। उनके रंग कभी कभी, गहरे हरे रंग से लेकर लाल रंग या गहरे या पीतल लाल रंग तक के हो सकते है, तना और जड़ के खोल भिन्न भिन्न रंग लिये होते है।
इसके उद्गम व विकास की कथा अभी तक अध्ययन अधीन है। यह पेड़ मूलतः दक्षिण.पूर्वी एवं की उपज है, किन्तु अब क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है। अरण्डी के तेल का वैश्विक उत्पादन लगभग १० लाख टन प्रति वर्ष होता है। इसके सर्वोच्च उत्पादकों में भारत विश्व के कुल उत्पादन का ६० प्रतिशत, चीन एवं ब्राज़ील हैं। इनके अलावा इथियोपिया में भी इसका काफ़ी उत्पादन होता है। वहां बहुत से ब्रीडिंग कार्यक्रम भी सक्रिय हैं। अरण्डी का बीज ही बहुप्रयोगनीय कैस्टर ऑयल अरंडी के तेल का स्रोत होता है। बीज में ४०-६0 प्रतिशत तक तेल उपस्थित होता है, जिसमें ट्राईग्लाइसराइड्स, खासकर रिसिनोलीन बहुल होता है। इस बीज में रिसिन नामक एक कुछ विषैला पदार्थ भी होता है, जो लगभग पेड़ के सभी भागों में उपस्थित रहता है। अरण्डी का तेल साफए हल्के रंग का होता हैए जो अच्छे से सूख कर कठोर हो जाता है और गंध से मुक्त होता है। यह शुद्ध ऍल्कालोइड़स के लिये एक उत्कृष्ट सॉल्वैंट के रूप में नेत्र शल्य चिकित्सा में प्रयुक्त होता है।
यह मुख्य रूप से कृत्रिम चमड़े के विनिर्माण में उपयोग होता है। यह कुछ कृत्रिम रगड़ने वाला रबर में एक आवश्यक घटक है। एक सबसे बड़ा प्रयोग पारदर्शी के निर्माण में होता है। इसके अलावा इसके औषधीय प्रयोग भी होते हैं। इस तेल को दवा मे एक मूल्यवान जुलाब माना जाता है। यह अस्थायी कब्ज में, उपयोग में आता है और यह बच्चों और वृद्ध के लिये विशेष उपयोगी होता है। यह पेट के दर्द और तीव्र दस्त मे धीमी पाचन के कारण प्रयोग किया जाता है। अरंड़ी तेल बाह्य रूप में खुजली आदि विभिन्न रोगो के लिए विशेष उपयोगी होता है। इसके ताजा पत्तो को कैनरी द्वीप में नर्सिंग माताओं द्वारा एक बाहरी अनुप्रयोग के रूप में का प्रवाह बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
यह आंखों में विदेशी निकायों को हटाने के बाद की जलन को दूर करने के लिए डाला जाता है। लीमू मरहम के साथ संयुक्त रूप में यह आम कुष्ठ में एक सामयिक आवेदन के रूप मे प्रयोग किया जाता है। प्राचीन काल में इस तेल को दीया और मशालें जलाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता रहा है। अरंडी के तेल से गठिया, कमर दर्द, साइटिका शूल, अस्थमा, कुछ स्त्री रोग भी ठीक हो जाते हैं। सौन्दर्य प्रशाधनों के बनाने में भी अरंडी के तेल का उपयोग होता है ए इसके अलावा, अपने गाढ़ेपन और पेट्रोल, डीजल में न घुलने के गुणों के कारण इस तेल के उपयोग से वाहनों और वायुयानों के लिए विशेष घर्षण रोधक और दबाव झेलने वाले हाइद्रौलिक तेल भी बनाए गए है। कहने का तात्पर्य यह है की अरंडी के तेल की मांग हमेशा बढ़ती रहेगी, तो इसका उत्पादन एक अति लाभकारी व्यवसाय हो सकता है। आज के काल में दुनिया भर में अरंडी तेल उत्पाद दस लाख टन है और इसमें भारत में उत्पादित ८ लाख टन तेल की भागीदारी है। इसका यह अर्थ हुआ की अरंडी के तेल की दुनिया के बाजारों में अच्छी मांग है। अरंडी के उत्पादन के लिए भूमध्य सागरीय जलवायु सर्वोतम होती है। इसकी खेती के लिए पर्याप्त नमी और जल निकासी वाली ऐसी भूमि उत्तम रहती रहती है जिसमे पौधे की जड़ें गहरी जा सकें। सप्लाई कमजोर होने तथा औद्योगिक मांग बढ़ने से एक माह के दौरान अरंडी तेल के भाव 250 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गए। भविष्य में और ज्यादा तेजी की संभावना है।
पेंट निर्माताओं की मांग बढ़ने तथा आपूर्ति कमजोर होने से एक माह के दौरान अरंडी तेल के भाव 250 रुपए बढ़कर 11550 से 11650 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। गत वर्ष इन दिनों इसके भाव 9800 रुपए प्रति क्विंटल थे। उक्त अवधि के दौरान गुजरात लाइन में इसके भाव 200 से 300 रुपए बढ़कर 11000 से 11100 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। नोहर ;राजस्थानद्ध में भी लिवाली बढऩे से इसके भाव 200 रुपए बढ़कर 11250 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। उक्त अवधि के दौरान अरंडी के भाव भी 5300 से 5350 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूत रहे। हालांकि लिवाली बिकवाली से एनसीडीएक्स में अरंडी वायदा अगस्त डिलीवरी में मामूली उतार चढ़ाव बना रहा। अरंडी का उत्पादन मुख्यतः गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलगांना इत्यादि राज्यों में होता है। उत्तराखंड के दक्षिणी भागों में इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
अरंडी की खेती के लिए बीज को एक लाइन में एक फीट की दूरे पर और हर लाइन को ४० इंच की दूरी पर रखना चाहिये। बोने से पाहिले बीज का फफूंदी माँर दवा से उपचार कर लेना चहिये। खेतों में खाद और उर्वरक डालना भी जरूरी रहता है। दुनिया भर में अरंडी की आठ किस्मे बोई जाती हैं ए भारत में प्रचलित किस्म के ही बीज मिलते है। इसके लिए अपने नजदीकी सरकारी उदद्यान विभाग और कृषि विश्व विद्द्यालय से सलाह, सहायता मिलती है। उपजाऊ खेतों में प्रति एकड़ एक टन बीज का उत्पादन सम्भव है। अरंडी के बीजो में ४०.६०ः तेल होता है, अर्थात एक एकड़ खेत से औसतन ५०० किलो तेल का उत्पादन संभव है। अगर यह तेल ५० प्रति किलो के भाव से भी गाँव से ही बेचा जा सके तो किसानों को २५,००० रूपये प्रति एकड़ या लगभग १२.१३०० रुपये प्रति नाली की आय हो सकती है। लेकिन अकेले एक एक किसान द्वारा अरन्डी के बीजों से आय लेने के व्यवसाय को चलाना संभव नहीं है। व्यावसायिक खेती के लिए सब से पाहिले निश्चित बाजार का होना अत्यावश्यक है, यह उत्पादकों के ऊपर निर्भर करेगा की वे बीजों को ही बेचेगे या तेल निकालने का भी प्रबंध करेंगे। व्यावसायिक खेती के लिए पर्वतीय क्षेत्रो में एक ही स्वामित्व का इतना बड़ा क्षेत्रफल नहीं होताए तो एक ही क्षेत्र के कई गाँवो के कई किसानों को मिल कर इस व्यावसायिक फसल की खेती करने से ही लाभ होगा। ऐसे सारे उत्पादक अपनी अरंडी बीज उत्पादक कम्पनी का पंजीकरण करवा के संगठित रूप से धंदा शुरू कर सकते हैंएऐसे सम्मिलित प्रयास को कई स्रोतों से प्रोत्साहन मिलने में भी सुविधा रहती है। उत्तराखंड के नेताओं और अधिकारियों को व्यवसायिक स्तर पर पहड़ों में अरंडी की खेती शुरू करवानी चाहिए।

ShareSendTweet
Previous Post

हिमाचल परिवहन की बस ने हर्बटपुर बाजार में नेपाली को कुचला, मौत

Next Post

छह आईएएस और सोलह पीसीएस अधिकारियों का स्थानांतरण

Related Posts

उत्तराखंड

पहाड़ के लोकजीवन में रची बसी हुड़किया बौल

July 9, 2025
10
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने किया ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ आउटलेट का उद्घाटन

July 8, 2025
15
उत्तराखंड

कहीं गुजरे जमाने की बात न हो जाए ‘ढोल दमाऊ ‘ हुनरमंदों का हो रहा मोहभंग

July 8, 2025
17
उत्तराखंड

डोईवाला: बाजार मूल्य से अधिक की दाल उठाने से विक्रेताओं ने किया इनकार

July 8, 2025
13
उत्तराखंड

डोईवाला: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने कसी कमर

July 8, 2025
11
उत्तराखंड

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार और नींद जरूरी: डॉ भारद्वाज

July 8, 2025
8

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पहाड़ के लोकजीवन में रची बसी हुड़किया बौल

July 9, 2025

मुख्यमंत्री ने किया ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ आउटलेट का उद्घाटन

July 8, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.