डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
केदारनाथ धाम से यात्रियों को लेकर वापस गुप्तकाशी लौट रहा हेलीकॉप्टर 15 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो
गया था. इस हेलीकॉप्टर क्रैश में पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई थी. ऐसे में डीजीसीए के निर्देश
पर 15 जून और 16 जून को हेली सेवाओं का संचालन बंद कर दिया गया था. मंगलवार 17 जून से हेली
सेवा शुरू होनी थी, लेकिन खराब मौसम आड़े आ गया. आज भी मौसम रोड़ा बना हुआ है.16 जून की शाम
को हुई बैठक के बाद 17 जून से हेली सेवाओं के संचालन का निर्णय लिया गया था. लेकिन मौसम खराब
होने की वजह से 17 जून को एक भी उड़ान नहीं हो पाई. वहीं आज बुधवार 18 जून को भी मौसम साथ
देता दिखाई नहीं दे रहा है. सुबह से ही पर्वतीय क्षेत्र से लेकर मैदानी क्षेत्रों में बारिश का असर देखा जा रहा
है. हर साल मानसून सीजन के दौरान, 22 जून को हेली सेवाओं के संचालक को बंद कर दिया जाता है.
हालांकि, कुछ समय के लिए दो हेलीकॉप्टर बैकअप में रखे जाते हैं, ताकि जो यात्री पैदल मार्ग से बिल्कुल
ही यात्रा नहीं कर सकते हैं, उन यात्रियों को हेली सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन अब
उत्तराखंड राज्य में मौसम के हालात बदलने शुरू हो गए हैं. 17 जून के बाद आज 18 जून को भी मौसम
खराब है.इस कारण आज भी केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. ऐसे में जिन लोगों ने
15 से लेकर 17 जून तक के टिकट बुक किए थे, उन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. जिस तरह से
ट्रेन कैंसिल होने के बाद टिकट का पूरा पैसा वापस अकाउंट में भेज दिया जाता है, इसी तरह मौसम खराब
या तकनीकी दिक्कतों की वजह से रद्द हुई हेली सेवा के बाद यात्रियों को उनका पूरा पैसा वापस भेज दिया
जाएगा.उत्तराखंड में पिछले 45 दिनों के भीतर हुई पांच हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने
कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर बनाने का निर्णय लिया था. जिसके बाद 17 जून से हेली सेवाओं का संचालन
शुरू करने का निर्णय लेने के साथ ही सहस्त्रधारा हेलीड्रोम में विशेषज्ञों की टीम लगाई गई. इस टीम में
मौसम विभाग, डीजीसीए, हेली ऑपरेटर और पायलट के बीच समन्वय बनाए जाने को लेकर कमांड एंड
कोऑर्डिनेशन सेंटर बनाया गया है. ताकि मौसम की सटीक जानकारी, डीजीसीए की ओर से जारी होने
वाले सर्कुलर समेत सारी महत्वपूर्ण सूचनाओं का बेहतर ढंग से आदान-प्रदान किया जा सके.केदारनाथ धाम
के लिए गुप्तकाशी, सिरसी और फाटा हेलीपैड से हेलीकॉप्टर यात्रियों को लेकर उड़ान भरते हैं. 15 जून को
हुई दुर्घटना से पहले डीजीसीए के मानकों का सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा था, लेकिन अब
हेलीकॉप्टर संचालन पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. ऐसे में डीजीसीए की ओर से जारी किए गए
सर्कुलर के तहत गुप्तकाशी और फाटा से हर घंटे के लिए तीन- तीन स्लॉट और सिरसी के लिए हर घंटे में
चार स्लॉट तय किए गए हैं. लेकिन विशेष निगरानी शुरू करने के बाद पहले दिन ही हेलीकाप्टर उड़ान
नहीं भर पाए. हेली सेवा के क्रू मेंबर दिनभर हेलीकॉप्टर संचालन के लिए मौसम साफ होने का इंतजार
करते रहे. आज भी सुबह से उनका इंतजार जारी है. डीजीसीए ने दो दिन के प्रतिबंध के बाद मंगलवार को
ट्रांस भारत, पवन हंस, थंबी एविएशन, ग्लोबल वेक्ट्रा हेलीकार्प, पवन हंस और ऐरौ विमान कंपनी के
हेलिकॉप्टर की केदारनाथ के लिए उड़ान होनी थी। सुबह से ही केदारघाटी से केदारनाथ तक कोहरा छाया
रहा। दिन चढ़ने के साथ ही क्षेत्र में मौसम का मिजाज खराब ही रहा। केदारनाथ में भी दिनभर धुंध छाई
रही। यहां दिन में कई बार विजिबिलिटी शून्य तक पहुंचती रही। भले ही बीच-बीच में मौसम में सुधार भी
होता रहा। धाम में दिनभर मौसम खराब रहा। केदारपुरी में कई बार कोहरा लगता रहा। इधर, केदारनाथ
हेलिकॉप्टर सेवा के नोडल अधिकारी ने बताया कि खराब मौसम के कारण पूरे दिनभर केदारघाटी के
अलग-अलग हेलीपैड से केदारनाथ के लिए कोई उड़ान नहीं हो पाई। हेलीकॉप्टर उड़ान में मौसम एक
महत्वपूर्ण कारक है, जिसके लिए पायलटों को सतर्क और अनुकूल रहने की आवश्यकता होती है। हवा,
बारिश और कोहरे जैसी परिस्थितियाँ उड़ान सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे बार-बार मौसम की
जाँच और सावधानीपूर्वक मार्ग नियोजन आवश्यक हो जाता है।तेज़ हवाओं के कारण हेलीकॉप्टरों के रास्ते
से भटकने या लैंडिंग के दौरान चुनौतियाँ पैदा होने की संभावना होती है। कम बादल और कोहरा दृश्यता
को सीमित कर सकते हैं, जिसके लिए पायलटों को उपकरणों और उन्नत नेविगेशन कौशल पर निर्भर रहना
पड़ता है।पर्यावरणीय कारक भी भूमिका निभाते हैं। पहाड़ अशांति पैदा कर सकते हैं और हवा के प्रवाह को
बाधित कर सकते हैं, जबकि धूल या रेत दृश्यता को कम कर सकते हैं और इंजन को खराब कर सकते हैं।
उच्च तापमान हेलीकॉप्टर के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है, खासकर अधिक ऊंचाई पर।पायलटों को
मौसम की स्थिति पर बारीकी से नज़र रखने और ज़रूरत के हिसाब से अपनी योजनाएँ बदलने के लिए
प्रशिक्षित किया जाता है। बदलती परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करने और समायोजन करने की क्षमता
हेलीकॉप्टर संचालन का एक अनिवार्य हिस्सा है। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून*
*विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*