डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में पुलिस व्यवस्था को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने और ‘आदर्श थाने’ की अवधारणा को साकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण और अभिनव पहल की शुरुआत की गई है। इस पहल के अंतर्गत, भारतीय पुलिस सेवा) के वरिष्ठ अधिकारी अब अपनी प्रथम नियुक्ति स्थल के एक पुलिस थाने (कोतवाली/थाना) को ‘गोद’ लेकर उसे विकसित करने का कार्य करेंगे।इस कदम का दोहरा उद्देश्य है: पहला, वरिष्ठ अधिकारियों को उनके शुरुआती अनुभवों से जोड़ना और उस समय से लेकर अब तक आए बदलावों का गहन अध्ययन करना; और दूसरा, इन अनुभवों का लाभ उठाते हुए ग्रास रूट स्तर पर पुलिस कार्यप्रणाली की कमियों को दूर कर, बुनियादी ढांचे में सुधार कर और पुलिसकर्मियों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित कर नए आयाम स्थापित करना।इस महत्वपूर्ण क्रम में, वर्तमान में सेनानायक 40वीं वाहिनी पीएसी हरिद्वार एवं जीआरपी/एटीएस के पद पर तैनात IPS तृप्ति भट्ट, IPS ने आगे बढ़कर कोतवाली श्री बद्रीनाथ को गोद लिया है। तृप्ति भट्ट के लिए बद्रीनाथ क्षेत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि उनकी प्रथम नियुक्ति वर्ष 2017 से 2019 के बीच इसी जनपद चमोली में हुई थी, जिसके अंतर्गत बद्रीनाथ धाम आता है।अपनी पहली तैनाती के दौरान तृप्ति भट्ट ने पुलिस कल्याण और कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए थे। इनमें राज्य का पहला वर्चुअल पुलिस स्टेशन शुरू करना उनकी एक प्रमुख और अभिनव पहल रही थी, जिसने पुलिसिंग के क्षेत्र में डिजिटल नवाचार का मार्ग प्रशस्त किया।बद्रीनाथ पहुँचने पर तृप्ति भट्ट ने विधिवत रूप से कोतवाली श्री बद्रीनाथ को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी की। उन्होंने थाने का गहन निरीक्षण किया, जिसमें एक चेकलिस्ट के माध्यम से वर्तमान व्यवस्थाओं, मौजूद कमियों, क्षेत्र के क्राइम ग्राफ, सुरक्षा प्रबंधन और पुलिसकर्मियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं जैसे बैरक, कार्यालय, भोजनालय और शौचालयों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने थाने की तैयारियों का बारीकी से आकलन किया, जिस पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया तथा आवश्यक निर्देश भी दिए।अपने इस दौरे के दौरान, उन्होंने मन्दिर सुरक्षा में वहां तैनात एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड के जवानों को भी ब्रीफ किया और उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने एटीएस द्वारा तैयार किए गए टास्क की मॉनिटरिंग की। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में लगातार चैकिंग-फ्रिस्किंग, अभिसूचना संग्रह, सत्यापन पर विशेष ध्यान देते हुए संयुक्त अभियान चलाने के निर्देश दिए। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखने तथा दर्शन के दौरान बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांगों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। साथ ही, सभी पुलिसकर्मियों को जनता के प्रति मित्रवत व्यवहार रखने और सेवा भाव से कार्य करने पर बल दिया। तृप्ति भट्ट भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की उन काबिल अफसरों में से एक हैं, जिन्होंने कंधे पर सितारे और माथे पर अशोक स्तम्भ सजाने के लिए 16 लगी लगाई सरकारी नौकरी तक छोड़ दी।तृप्ति भट्ट भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा बेर्शेबा उच्च माध्यमिक विद्यालय अल्मोड़ा उत्तराखंड से पाई। 12वीं की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की। पंतनगर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) में सहायक प्रबंधक के रूप में काम किया। तृप्ति भट्ट की सक्सेस स्टोरी उन लोगों के लिए मिसाल है, जो सरकारी नौकरियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में एक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद उसी में जिंदगी खपा देते हैं और अपने बड़े ख्वाब को अधूरा ही छोड़ देते हैं। आईपीएस तृप्ति भट्ट द्वारा बदरीनाथ कोतवाली को गोद लेना न केवल एक प्रशासनिक पहल है, बल्कि यह पुलिस व्यवस्था में जनहित, तकनीकी नवाचार और संवेदनशीलता को समाहित करने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है। यह पहल भविष्य में अन्य थानों के लिए एक मॉडल बन सकती है, जो उत्तराखंड पुलिस के प्रशासनिक दृष्टिकोण और सेवा भावना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*