• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

बदलते मौसम चक्र ने दिखाए नए रंग

31/01/25
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
0
SHARES
55
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

 

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड के एकमात्र पहाड़ी बैंड पांडवाज ने भू कानून पर गीत गाकर वाहवाही लूट ली. इतने बड़े मंच पर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के साथ 25 हजार दर्शक थे वहां भू कानून को लेकर गाना गाकर पांडवाज ने उत्तराखंड के लोगों की सशक्त भू कानून की मांग को देश भर में पहुंचा दिया.उत्तराखंड में पहाड़ी वातावरण में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहा है। इस वर्ष सर्दियों में अब तक केवल कुछ दिन ही
बारिश हुई है, जबकि शेष विंटर सीजन सूखा रहा है। इसके परिणामस्वरूप पहाड़ी जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव
पड़ रहा है। जनवरी महीने में बुरांश के खिलने और काफल के पकने की स्थिति चिंताजनक है।उत्तराखंड के पर्वतीय
क्षेत्रों में खिलने वाला बुरांश का फूल खिलने का सही समय वैसे तो मार्च से मई महीने के बीच का समय होता है. ऐसे
ही काफल के पकने का सही समय अप्रैल से जून के महीने का समय होता है. लेकिन पहाड़ों में जलवायु परिवर्तन का
असर यहां उगने वाले पेड़-पौधों पर भी हो रहा है. जिसका असर ये देखने को मिल रहा है कि मार्च में खिलने वाला
बुरांश का फूल इस साल कई जगह जनवरी महीने में ही खिल गया। राज्य के कई जगह पर काफल भी पकने को तैयार
हैं। इस स्थिति पर मौसम विशेषज्ञों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने अपनी चिंता व्यक्त की है। बिनसर अभ्यारण के
जंगलों में बुरांश का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया। ऐसे प्रदेश के जंगलों में कई जगह काफल पकने को तैयार
है। मौसम विशेषज्ञ मौसम चक्र में परिवर्तन को ही इसकी वजह मानते हैं। पेड़-पौधों का समय से पहले खिलना और
फल देना जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का स्पष्ट संकेत है। पहाड़ी क्षेत्रों में बुरांश का एक-दो महीने पहले खिलना,
काफल, आड़ू, नाशपाती आदि फलों का जल्दी पकना इसी का परिणाम है। बारिश और बर्फबारी की कमी के कारण
इन प्रजातियों को अनुकूल तापमान मिल रहा है, जो चिंता का विषय है। प्रदूषण में वृद्धि ने इस स्थिति को और
अधिक गंभीर बना दिया है। उत्तराखंड में दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जिसके चलते अब धीरे-धीरे प्रदेश
की जलवायु में भी परिवर्तन होने लगा है। देवभूमि में प्रकृति का ऐसा रंग देखने को मिला है कि जनवरी माह में समय
से पहले ही बुरांश का फूल खिल गया है जो कहीं ना कहीं मौसम चक्र में परिवर्तन की वजह बन गया है। इसके
अलावा कुछ क्षेत्रों में काफल भी अपने समय से पहले ही पकने को तैयार हो गया है। यह बदलाव जलवायु में हो रहे
परिवर्तन को दर्शाते हैं जो स्थानीय पर्यावरण और कृषि पर भी असर डाल सकते हैं। समय से पहले पेड़-पौधों का
फूलना-फलना जलवायु परिवर्तन का सीधा संकेत है। बुरांश, काफल, आड़ू, नाशपाती आदि के समय से पहले पकने का
कारण बारिश और बर्फबारी की कमी है, जिससे इन प्रजातियों को जल्द ही अनुकूल तापमान मिल रहा है। प्रदूषण के
बढ़ते स्तर के कारण यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।” उत्तराखंड में स्थानीय अर्थव्यवस्था में  बुरांश अहम
भूमिका निभाता है।  बुरांश के जल्दी फूलने की रिपोर्ट  ने तापमान और वर्षा (बर्फ) में आए बदलावों के प्रति पौधों की
संवेदनशीलता और प्रतिक्रियाओं ने चिंता बढ़ा दी है। ग्लोबल वार्मिंग  को फूलों के पैटर्न में बदलाव के लिए काफी हद
तक जिम्मेदार माना जा रहा है। बदलते मौसम के मिजाज का  खामियाजा बुरांस के फूल को भुगतना पड़ा  है। किसी
साल बारिश की कमी के कारण इनमें रसीले पन का अभाव हो जाता है। सामन्यतया जनवरी से फरवरी माह में
बुरांस के फूल कलियों के भाग में बने रहते हैं और उस समय तापमान बहुत कम होता है। बहुत कम तापमान के चलते
कलियां खराब न हो जाए, इसके लिए प्रकृति पंखुड़ियांसुरक्षा घेरे के रूप में कलियों के बाहर से लिपटी रहती हैं।यह
तभी हटती हैं, जब तापमान 20 से 25 डिग्री पर पहुंच जाता है। यह तापमान के बारे में डीएनए कोशिकाओं को
संकेत भेजता है और फूलने की प्रक्रिया के दौरान हार्मोंस सक्रिय हो जाते हैं। यदि समय से पहले ही तापमान अधिक
हो जाता है तो डीएनए तुरंत संकेत भेज देता है। एक बार संकेत मिलने के बाद प्रक्रिया फिर थमती नहीं है। जबकि
इस दौरान तापमान में भारी उतार-चढ़ाव आता रहता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होने वाले राज्य वृक्ष बुरांश पर समय
से पहले ही फूल खिलने लगे हैं। साथ ही ऊंचाई पर होने वाले काफल के पेड़ों पर भी फल आने लगे हैं। समय से पहले
ही पेड़ों में फूल और फल लगना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चिंतनीय बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार असमय ही
इन फूलों का खिलना व फलों का लगना जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण है। औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश,
काफल के असमय खिलने से इसके औषधीय गुणों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। समय से पहले पेड़-पौधों का
फूलना-फलना सीधे-सीधे जलवायु परिवर्तन का असर है। पहाड़ में एक-दो माह पहले की बुरांश का फूलना, काफल,
आड़ू, नाशपाती आदि के फलों का पकने की यही वजह है। बारिश व बर्फबारी नहीं होने से इन प्रजातियों को समय से
पहले ही अनुकूल तापमान मिल रहा है। प्रदूषण बढ़ने से यह स्थिति आई है। जो चिंतनीय है.। पहली सदी की बात

है. रोम का निरंकुश सम्राट था नीरो. उसकी सेना में डायोस्कोरिडीज नामक एक नामी चिकित्सक था. उसने ‘डी
मटीरिया मेडिका’ नामक पुस्तक लिखी. उसमें तमाम पेड़-पौधों का वर्णन किया. फूलों के चित्र बनाए. वह पुस्तक
इतनी महत्वपूर्ण थी कि 1500 वर्षों तक वही चली. वैसी कोई दूसरी पुस्तक नहीं लिखी गई. हमारे देश में भी आयुर्वेद
में पौधों के औषधीय महत्व का खूब वर्णन किया गया.अपनी गंगा-जमुना तहजीब पर नज़र डालें तो हमारे देश में
फूलों की खेती को मुगल बादशाहों ने बहुत बढ़ावा दिया. बाबर ने न केवल हमारे देश के फूलों को गले लगाया बल्कि
वह फारस और मध्य एशिया से भी एक से एक खूबसूरत फूल यहां लाया. सन् 1526 के आसपास गुलाब के पौधे वही
हमारे देश में लाया था. लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

ShareSendTweet
Previous Post

बदलते मौसम चक्र ने दिखाए नए रंग

Next Post

महासंघ की वार्षिक बैठक हुई संपन्न

Related Posts

उत्तराखंड

उत्तराखंड में बादल फटा मुंबई में हाई टाइड

July 9, 2025
13
उत्तराखंड

कुप्रबंधन का शिकार हैं अभयारण्य व नेशनल पार्क

July 9, 2025
8
उत्तराखंड

महासंघ ने कहाँ वेतन की समस्या का करें स्थायी समाधान

July 9, 2025
9
उत्तराखंड

डोईवाला: प्रधान पद के 02 व बीडीसी के चार नामांकन हुए निरस्त

July 9, 2025
9
उत्तराखंड

डोईवाला: पत्नी ने अपने प्रेमी के संग मिलकर रची थी पति की हत्या की साजिश

July 9, 2025
168
उत्तराखंड

डोईवाला: कांवड़ मेले के दृष्टिगत संवेदनशील घाटों का किया निरीक्षण

July 9, 2025
6

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

उत्तराखंड में बादल फटा मुंबई में हाई टाइड

July 9, 2025

कुप्रबंधन का शिकार हैं अभयारण्य व नेशनल पार्क

July 9, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.