फोटो-गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत सड़क के किनारे धरना देते हुए।
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत जहरीली शराब कांड और गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर विधानसभा के पास धरने पर बैठे। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि चीनों मिलों से गन्ना किसानों को करीब तीन सौ करोड़ का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। सरकार को किसानों की कोई चिंता तक नहीं है। उन्होंने सरकार की आबकारी नीति को पूरी तरह से विफल बताया।
रुड़की में जहरीली शराब कांड के खिलाफ और गन्ना किसानों की समस्याओं को कांग्रेस ने सड़क से लेकर सदन तक सरकार के खिलाफ घेराबंदी की। गन्ना किसानों को भुगतान न होने को लेकर विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने जमकर हंगामा किया। विधायक नारेबाजी करते हुए गन्ना लेकर वेल पर पहुंच गए और जमकर नारेबाजी की। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अपनी घोषणा के अनुरूप विधानसभा के पास धरना देने के लिए पहुंचे। उसके साथ कार्यकर्ताओं भी खासी भीड़ थी। कई कार्यकर्ता हाथों में गन्ना लेकर चल रहे थे। इस दौरान पुलिस ने कांग्रेसियों को रिस्पना पुल से पहले रोक दिया, इस पर हरीश रावत सड़क किनारे ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने उपवास भी रखा। हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार हर मुद्दे में फेल हो गई है। चीनों मिलों से गन्ना किसानों को करीब तीन सौ करोड़ का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। सरकार को किसानों की कोई चिंता तक नहीं है। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब कांड सरकार की गलत आबकारी नीति का नतीजा है। उनकी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की आबकारी नीति बेहतर थी। अब प्रदेश की जनता भाजपा सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व विधायक दिनेश अग्रवाल, मंत्री प्रसाद नैथानी भी मौजूद रहे।
गन्ना किसानों के मुद्दे को लेकर सदन में दो गुटों में बंटी दिखी कांग्रेस
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में सत्र के तीसरे दिन सदन के अंदर और बाहर गन्ना किसानों के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में गन्ना किसानों का मुद्दा उठा। इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश तो कि लेकिन इस दौरान विपक्ष में दो फाड़ नजर आये।
विपक्ष गन्ना किसानों के मुद्दों को लेकर 310 नियम के तहत चर्चा की मांग को वेल में हंगामा कर रहा था। लेकिन विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल बार-बार नियम 58 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा करने को कह रहे थे। कुछ देर बाद नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश तो नियम 58 के तहत चर्चा के लिए तैयार हो गई, लेकिन कांग्रेस के कुछ विधायक नियम 310 पर ही चर्चा करने के लिए अड़े रहे। ऐसे में सदन के अंदर सत्ता पक्ष को घेरने वाली कांग्रेस दो गुटों में बंटी नजर आई। कुछ विधायक नेता प्रतिपक्ष की बात पर इस मुददे पर नियम 58 के तहत चर्चा को राजी हो गए और कुछ 310 की मांग पर अड़े रहे। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। आधे घंटे बाद सदन की कार्रवाई दुबारा शुरू तो हुई लेकिन हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल तक उसे स्थगित कर दिया।