शंकर सिंह भाटिया
पिछले कई महीनों से चुनावी माहौल तैयार करते हुए भाजपा राष्ट्रवाद को अपना सबसे बड़े चुनावी मुद्दे के तौर पर स्थापित करने में जुटी हुई थी। इसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिल रही थी, इसके बाद भी राष्ट्रवाद उस मारक चुनावी हथियार की तरह मुद्दे के तौर पर नहीं उभर रहा था। कांग्रेस के घोषणा पत्र ने भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे को वह धार दे दी है, जिसकी भाजपा को दरकार थी। कांग्रेस के घोषणा पत्र में बाकी मुद्दों को दरकिनार कर भाजपा ने देशद्रोह (धारा 124ए) कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की घोषणा की है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने खास तौर पर कश्मीर तथा पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों को अधिकार देने वाले आफस्पा में संशोधन करने की बात अपने घोषणा पत्र में कहकर भाजपा की मुराद पूरी कर दी है।
कांग्रेस के घोषणा पत्र में बहुत सारे लोक लुभावन मुद्दे भी हैं। जैसे गरीबी उन्मूलन के लिए करीब पांच करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देने, शिक्षा पर बजट का छह प्रतिशत खर्च करने, रोजगार, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भाजपा चर्चा से बाहर कर रही है। लेकिन कांग्रेस के घोषणा पत्र में दो ऐसे मुद्दों को भाजपा ने हाथों हाथ लिया है, जिससे कांग्रेस को राष्ट्र विरोधी कहने का मौका उसे मिल गया है। भाजपा नेता अरुण जेटली ने तो इसे तुरंत लपकते हुए कह डाला कि कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग के प्रभाव में है। घोषणा पत्र में इस तरह के प्रावधान उन्हीं के दबाव में लाए गए हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि कांग्रेस के इस घोषणा पत्र का एजेंडा माओवादियों और जेहादियों को खुली छूट देना है। देशद्रोह कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर कर और आफस्पा में संशोधन कर कांग्रेस देश की आंतरिक तथा वाह्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना चाहती है।
भाजपा शुरू से ही राष्ट्रवाद को अपनी चुनावी मुहिम का हथियार बनाने में जुटी हुई थी। सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक इस मुहिम में भाजपा को ताकत दे रहे हैं। भाजपा नेताओं की हर चुनावी सभा में इसका जिक्र जरूर होता है। भाजपा के प्रभाव को कम करने के लिए विपक्ष इसीलिए भाजपा पर इस तरह के आरोप भी लगा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम भाजपा नेता अपनी चुनावी सभाओं में इन मुद्दों के आलोक में राष्ट्रवाद के मुद्दे को भड़काने का कोई भी मौका नहीं चूक रहे हैं। अब कांग्रेस के घोषणा पत्र ने पहले चरण के मतदान से ठीक पहले भाजपा की मुराद पूरी कर दी है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के बाद जब ये दो बड़े मुद्दे भाजपा को मिले तो उसने लगे हाथ चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी। यह तय है कि राष्ट्रवाद भाजपा के चुनावी मुद्दों को लीड करेगा। इसके लिए सभी प्रमुख नेताओं मंत्रियों को किस तरह रणनीति से विपक्ष पर अटैक करना है, इसके तैयारी कर ली गई है। रक्षा मंत्री निर्मली सीतारमण को इस मोर्चे पर खास तौर से लगाया गया है।
उत्त्तराखंड जैसे सैन्य बहुत और सीमांत राज्य में जहां राष्ट्रवाद हमेशा फोकस में रहता है, यह मुद्दा कारगर हथियार के रूप में काम करेगा। उत्तराखंड में राष्ट्रवाद के मुद्दे को भुनाने का भाजपा के पास इससे बेहतर मौका नहीं आएगा। इसलिए भाजपा इस मौके पर चैका लगाने से नहीं चूकना चाहती है। हालांकि यह मुद्दा उत्तराखंड में पहले से ही सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभर रहा था, लेकिन कांग्रेस के घोषणापत्र ने इसे पूरी तरह से छा जाने की हालात तक पहुंचा दिया है। कांग्रेस को इससे बचने के लिए काउंटर ढूंढना होगा, जो फिलहाल उसके पास है नहीं। उत्तराखंड में 5-0 का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा के सामने अब तक कुछ किंतु-परंतु थे। कांग्रेस कुछ सीटों पर उसे अच्छी चुनौती देती हुई दिखाई दे रही थी। कांग्रेस के घोषणापत्र ने कांग्रेस के हाथ से बहुत कुछ छीन लिया है। भाजपा इसे भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।