हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली। नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा थराली एवं कुरूड़ को श्री नंदादेवी राजजात यात्रा का पड़ाव घोषित नही किए जाने पर राजजात समिति श्री नंदादेवी परगना बधाण राजराजेश्वर मंदिर समिति देवराड़ा -थराली एवं कुरूड़ मंदिर समिति ने रोष व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री से नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा एवं नंदानगर कुरूड़ को राजजात का पड़ाव घोषित किए जाने वाले दोनों पीठों को राजजात यात्रा एवं पर्यटन मानचित्र में प्रदर्शित करवाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की हैं।
शुक्रवार को थराली विकास खंड के चेपड़ो में आयोजित शौर्य महोत्सव के दौरान देवराड़ा मंदिर समिति के अध्यक्ष भुवन हटवाल, कुरूड़ के अध्यक्ष नरेश गौड़,धनी राम गौड़, राजेश गौड़, राकेश गौड़, प्रकाश गौड़,मौख तल्ला के निवर्तमान प्रधान सुमेर सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर सिद्धपीठ देवराड़ा एवं कुरूड़ के महत्व के संबंध में बताते हुए कहा कि दोनों पीठों को राजजात के पड़ावों में अब तक सामिल नही किया हैं।2014 में आयोजित श्री नंदादेवी राजजात यात्रा के दौरान भी दोनों पीठों को पड़ाव में सामिल नही किया गया था।इस संबंध में नंदा भक्तों ने सीएम को एक पत्र सौंपा गया हैं।जिसमें कहा गया है कि 2026 में श्री नंदादेवी राजजात यात्रा का आयोजन होना है जिस में राजा के प्रतिनिधि के रूप में कास्वां के कुंवर श्री नंदादेवी को नंदकेशरी में कुरूड़ से चली नंदादेवी की उत्सव डोली के सम्मुख पूजा अर्चना कर मनौती मांगने के साथ ही भेट अर्पित करते हैं,इस दौरान गौड़ ब्राह्मण एवं बधाण के 14 सयानों के प्रतिनिधि यहां पर मौजूद रहते हैं, यह एक परंपरा हैं। इसके अलावा प्रति वर्ष भादों मास में कुरूड़ से नंदा लोक जात यात्रा आयोजित होती हैं। जोकि वेदनी बुग्याल तक जाती हैं और यहां पर सप्तमी की जात नंदा (देवी की विशेष पूजा) के बाद यात्रा वापस लौट पड़ती है,और विभिन्न पड़ावों में रूकने के बाद 6 माह के लिए सिद्धपीठ देवराड़ा के मंदिर में देवी की उत्सव डोली विराजमान हो जाता हैं। पत्र में अफसरों जताते हुए कहा गया हैं कि नंदादेवी का देवराड़ा एवं कुरूड़ सिद्धपीठ होने के बावजूद भी दोनों स्थानों को मुख्य पड़ावों में सामिल नही किया गया है। और लंबे समय से मांग के बावजूद भी दोनों स्थानों को धार्मिक एवं पर्यटन मानचित्र में भी अंकित नही किया गया हैं। नंदादेवी के भक्तों ने सीएम से दोनों स्थानों को मुख्य पड़ाव घोषित किए जाने एवं धार्मिक एवं पर्यटन मानचित्र में अंकित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।