डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉक्टर तितियाल मूल रूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले हैं. उत्तराखंड के होनहार डा. जेएस तितियाल ने अपने ज्ञान और मेहनत की बदौलत एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डा. जेएस तितियाल अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में सेंटर फॉर आप्थलमिक साइंसेज के चीफ के तौर पर सेवाएं देंगे, कुमाऊं के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है डा. जेएस तितियाल मूलरूप से उत्तराखंड के धारचूला क्षेत्र के दूरस्थ गांव तिदांग के रहने वाले हैं आपको बता दें की डा. तितियाल ने आंखों के इलाज से लेकर कॉर्निया ट्रांसप्लांट की नई विधि विकसित की है। करीब 10 साल पहले उन्होंने मृत व्यक्ति की आंख से लिए गए एक कॉर्निया को तीन अलग-अलग बीमारी से ग्रस्त लोगों की आंखों में ट्रांसप्लांट करने की विधि विकसित की थी। इस तरह की तमाम उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। मूलरूप से धारचूला क्षेत्र के दूरस्थ गांव तिदांग के रहने वाले डा. जेएस तितियाल ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव के ही स्कूल से हासिल की। उन्होंने इसके बाद एमएस आप्थोमोलॉजी की पढ़ाई लखनऊ में पूरी की है उत्तराखण्ड के धारचूला जिले के तिदांग गांव निवासी डॉ. तितियाल अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स दिल्ली) के डॉ. आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेलमिक साइंसेस के प्रमुख थे। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मेडिकल के क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया. डा. तितियाल ने कक्षा आठ तक की पढ़ाई अपने गांव के ही स्कूल से हासिल की। उन्होंने इसके बाद एमएस आप्थोमोलॉजी की पढ़ाई लखनऊ में पूरी की। तिब्बत सीमा पर स्थित दारमा क्षेत्र के दूरस्थ गांव तिदांग निवासी पद्मश्री और विख्यात नेत्र सर्जन डा. जीवन तितियाल को अमेरिका के प्रतिष्ठित सीनियर अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मनित किया गया है। पुरस्कार की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एम्स के 50 वर्षों के इतिहास में अब तक मात्र तीन डॉक्टरों को ही यह सम्मान मिल पाया है। डा. तितियाल इस समय एम्स दिल्ली में नेत्र रोग विज्ञान के प्रमुख पद पर तैनात हैं। वह इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए अमेरिका के शिकागो शहर गए हैं। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली एम्स से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की और अब 33 साल की सेवा पूरी करने के बाद दिल्ली एम्स से रिटायर हो गए हैं. एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) दिल्ली के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर के प्रमुख डॉ जीवन सिंह तितियाल 31 दिसंबर 2024 को रिटायर हो गए. एम्स में अपने 33 साल के करियर में उन्होंने एक लाख से ज्यादा मरीजों की आंखों के सफल ऑपरेशन किए. इसके साथ ही उन्होंने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी तक की आंखों का भी इलाज किया.डॉ जीवन सिंह तितियाल को आंखों की चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान और देश का पहला लाइव कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से वर्ष 2014 में सम्मानित किया गया. डॉक्टर तितियाल की बात करें तो वह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. एम्स में कार्यरत रहने के कारण अब दिल्ली में ही सेटल हैं. उनके साथ काम कर चुके एम्स मीडिया सेल ने बताया कि डॉक्टर तितियाल के लिए मरीज का इलाज हमेशा पहली प्राथमिकता होता था. उन्होंने आंखों के इलाज को किस तरह से सरल बनाया जा सकता है, इसके लिए काफी काम किया. डॉक्टर तितियाल ने अपने करियर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी की भी आंखों का सफल ऑपरेशन किया. डॉक्टर जीवन सिंह तितियाल अपनी ड्यूटी के आखिरी दिन रिटायरमेंट के बाद जब घर जाने के लिए निकले तो सहकर्मियों और मरीजों की आंखों से भी आंसू निकल पड़े. उनको देखकर डॉक्टर तितियाल भी भावुक हो गए. ऑपरेशन थिएटर से निकले डॉक्टर तितियाल सहकर्मी और मरीजों से गले मिलते हुए अपने आखिरी दिन की ड्यूटी पूरी करके घर के लिए निकले. एम्स द्वारा उन्हें विदाई दी गई.: डॉक्टर तितियाल का अपने पेशे के प्रति लगाव और समर्पण ने उन्हें मरीजों और स्टाफ के प्रति लोकप्रिय बनाया. उनके द्वारा आंखों के इलाज के क्षेत्र में की गई कई रिसर्च में सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. उन्हें एम्स के स्टॉफ ने भावभीनी विदाई दी। इस दौरान डॉ. तितियाल सहित स्टॉफ बेहद भावुक नजरआया।एम्स कार्यालय से विदाई के बाद अपने आवास पर पहुंचने पर उनके परिजनों ने पगड़ी पहनाकर और फूल मालाओं से स्वागत किया। डॉ. तितियाल को उनकी सेवाओं के लिए रं कल्याण संस्था की ओर से रं रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें देश विदेश की कई संस्थाओं ने प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं। मरीज जब थक हारकर इनके पास आता है,तब उसे लगता है कि धरती पर एक डॉक्टर ही है जो जान बचा सकता है। उनकी मेहनत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब वे रिटायर हुए,तब भी उन्होंने सात लोगों की आंखों का ऑपरेशन किया। दिल्ली एम्स के सीनियर चिकित्सक और पद्म श्री से सम्मानित डॉ जीवन सिंह तीतीयाल के साथ भी कुछ ऐसा ही है। मरीजों के लिए भी वह आंखों के भगवान ही थे। उनके सेवा भाव ने साथी डॉक्टरों के साथ मरीजों के बीच उनकी खास पहचान बना दी थी। दिल्ली AIIMS में वर्षों की सेवा के बाद उनके रिटायर होने की घड़ी आई, सबके आंसू छलक गए। जब डॉ. तितियाल ने रिटायरमेंट लिया, तो उनके सहयोगियों और मरीजों ने उन्हें दिल से सम्मानित किया. उनका समर्पण और पेशे के प्रति प्यार न केवल उन्हें, बल्कि समूचे स्वास्थ्य क्षेत्र को एक नई दिशा दे गया है. उनके एक भाई सुशील तिवारी अस्पताल में नेत्र सर्जन हैं और दूसरा सहायक कमांडर है। दोनों डॉक्टर भाई अपने माता-पिता की स्मृति में पिछले वर्षों से नि:शुल्क नेत्र शिविर आयोजित कर वंचित लोगों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उनकी सेवाओं को लेकर मरीजों और सहकर्मियों में गहरी श्रद्धा थी. वे हमेशा मरीजों की भलाई को सबसे पहले प्राथमिकता देते थे, चाहे वो नाजुक परिस्थितियाँ हों या आम इलाज. उनका उद्देश्य हमेशा यही था कि कोई भी मरीज बिना इलाज के न जाए और हर व्यक्ति को उचित चिकित्सा सेवाएं मिलें. पिथौरागढ़ निवासी एवं पद्मश्री से सम्मानित डॉ. जीवन तितियाल जी को AIIMS से सेवानिवृत्ति के अवसर CM धामी ने फोन कर उन्हें शुभकामनाएं दी। लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।