
उर्गम। बच्चों के साथ कुछ देर अपने विचारों को साझा किया और बच्चों से भी कुछ प्रश्न पूछने का प्रयास किया। बच्चों ने बताया कि वह कैसे जानते हैं हम पेड़ लगाते हैं। पेड़ों की फोटो खींचते बच्चों को जानकारी देते गांव में मीटिंग करते हैं।
बच्चों ने उत्तर दिया। साथ ही पर्यावरण जल जंगल जमीन हमारे जल स्रोत, चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर भी चर्चा हुई। खेल खेल में शिक्षा आदि कार्यक्रम के बाद श्री कल्पेश्वर की तरफ जाते हुए बचपन की याद ताजा हो गई। हम लोग जूनियर तक पड़ने के लिए स्कूल पढ़ने के लिए अपने गांव से 5 किलोमीटर से भी अधिक पैदल दूरी तय करते थे। आज भी कुछ बेटियां मिली सुबह 5.00 बजे उठ जाते हैं। उसके बाद अपनी दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्कूल के लिए तैयारी होते हैं। लगभग 7.00 बजे स्कूल के चलते हैं और 9.00 से 9.30 बजे स्कूल पहुंचते हैं।
उर्गम से लक्ष्मण सिंह नेगी












