• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

एग्जिट पोलः कितने सही, कितने गलत?

21/05/19
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
106
SHARES
133
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

भारत में सात चरण के लंबे मतदान के बाद अब चारों तरफ एग्जिट पोल का शोर है। टीवी चैनलों के लंबे-चैड़े दावों के बीच उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि एग्जिट पोल को एग्जैक्ट पोल नहीं मानना चाहिए।
कांग्रेसी नेता शशि थरूर जिन्होंने देश में ट्विटर और सोशल मीडिया के राजनीतिक इस्तेमाल की शुरुआत की, उनके अनुसार भारत में अभी तक 56 बार एग्जिट पोल गलत साबित हो चुके हैं। 2004 के एग्जिट पोल की नाकामी को तो सभी स्वीकार करते हैं.। पुरानी कहानी भूल भी जाएँ तो इस बार के एग्जिट पोल में अनेक विरोधाभास हैं, जो पूरी प्रक्रिया में कई सवाल उठाते हैं। इस बार के आम चुनावों में न्यूज एक्स ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 242 सीटें दी हैं तो आजतक ने 352 सीटें दे दीं। दोनों आकलनों में 110 सीटों का फर्क है जो 45 फीसदी से ज्यादा है।
दूसरी ओर, न्यूज-18 ने कांग्रेस के यूपीए गठबंधन को 82 सीटें दी हैं जबकि न्यूज एक्स ने 164 सीटें दी हैं। इन दोनों के आकलनों में दोगुने का फर्क है। एग्जिट पोल में विसंगतियों की कुछ और बानगी. पश्चिम बंगाल में भाजपा को 4 से लेकर 22 सीटों तक का आकलन, जिसमें 5 गुने का फर्क है। तमिलनाडु में एनडीए को 2 से 15 सीटें दी जा रही हैं जिसमें 7 गुने का फर्क है, एक वोट और छोटे मार्जिन के विश्लेषण के दौर में इतने बड़े फर्क को कैसे तर्कसंगत ठहराया जा सकता है।
चुनाव के पहले प्री-पोल और चुनावों के बाद पोस्ट पोल सर्वे किए जाते हैं, जिनके बारे में भारत में फिलहाल स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं हैं। देश में एग्जिट पोल की शुरुआत 1957 में सीएसडीएस ने की थी, जिसे एनडीटीवी के प्रणय रॉय और योगेंद्र यादव ने 90 के दशक में ठोस आधार दिया। एग्जिट पोल के प्रकाशन और प्रसारण के लिए सन 2007 में पंजाब में प्रणय रॉय के खिलाफ चुनावी कानून के तहत और उसके बाद एक समाचार पत्र के सीईओ के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत चुनाव आयोग ने एफआईआर भी दर्ज कराई.इसके बावजूद एग्जिट पोल की पारदर्शिता और विश्वसनीयता के बारे में अभी तक पर्याप्त नियम नहीं बने। चुनाव आयोग ने इस बारे में 1997 में नियम बनाने की पहल की. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जनहित याचिका दायर होने के बाद सभी दलों के सहमति से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में 126-। को जोड़ा गया, जिसे फरवरी 2010 से लागू किया गया। इस कघनून के अनुसार वोटिंग खत्म होने के पहले एग्जिट पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी गई और उल्लंघन पर जेल और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
चुनाव आयोग ने ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध के लिए कई वर्ष पूर्व प्रस्ताव भेजा है, जिसे केंद्र सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल रखा है। अंतिम परिणाम के साथ एग्जिट पोल के आकलन का भी प्रसारण हो ताकि जनता को पता चल सके कि एग्जिट पोल कितने सही रहे और इस तरह एग्जिट पोल करने वाले और उन्हें दिखाने वाले चैनल को जवाबदेह बनाया जा सकेगा।
23 मई को अंतिम नतीजे आने तक आचार संहिता के माध्यम से चुनाव आयोग पूरी व्यवस्था का नियमन करता है। एग्जिट पोल जारी करने वाले सभी टीवी चैनलों को चुनाव आयोग यह निर्देश क्यों नहीं दे सकता कि हर सीट में एग्जिट पोल के आकलन को अंतिम नतीजों के साथ प्रसारित किया जाए। यह जनता का लोकतांत्रिक अधिकार है कि उसे जो सूचना दी गई है, उसकी सत्यता की जांच हो सके।
भारत में लगभग 90 करोड़ वोटरों में लगभग 68.8 फीसदी यानी 62 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं। पिछले आम चुनावों में 36000 लोगों के सैंपल डाटा की तुलना में इस बार एग्जिट पोल कर रही अनेक कंपनियों ने 20 गुना यानी लगभग 8 लाख लोगों के डाटा विश्लेषण का दावा किया है। इसका मतलब यह हुआ कि एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों ने लगभग 0.1 फीसदी वोटरों के ही जवाब इकट्ठा किए हैं।
इस छोटे सैम्पल साइज के बाद एग्जिट पोल के आकलन में कई गुने का फर्क समझ से परे है। एग्जिट पोल में वोटों की संख्या का आकलन तो हो सकता है लेकिन उन्हें सीटों में बदलने के लिए सांख्यिकी ट्रेनिंग के साथ अन्य प्रकार की विशेषज्ञता और विश्लेषण की जरूरत है जिस बारे में एग्जिट पोल करने वाली कंपनियां पारदर्शिता नहीं बरतती हैं।
स्टेशन पर कुली को और सड़क पर ऑटो वालों को सरकारी लाइसेंस चाहिए तो फिर चुनाव आयोग एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों का भी रजिस्ट्रेशन और नियमन क्यों नहीं करता।
म्युचुअल फंड की तर्ज पर एग्जिट पोल के सैम्पल साइज के खुलासे के लिए भी चुनाव आयोग का नियमन होना ही चाहिए। इसके अलावा एग्जिट पोल करने वाली कंपनी के स्वामित्व संगठन का ट्रैक रिकॉर्ड, सर्वे की तकनीक, स्पॉन्सर्स का विवरण, वोटरों का सामाजिक प्रोफाइल, प्रश्नों का स्वरुप और प्रकार, सैम्पल वोट शेयर को सीटों में बदलने की प्रक्रिया के डिस्क्लोजर से एग्जिट पोल की व्यवस्था स्वस्थ और पारदर्शी होगी।

एग्जिट पोल के डेटा की सुरक्षा
कंपनियों के अनुसार इस बार के एग्जिट पोल में उच्च स्तर की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। परंपरागत तरीके से मतदाताओं के फॉर्म भरे जाते थे लेकिन अब मोबाइल और टैबलेट पर सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों से प्रतिक्रिया ली जा रही है। सॉफ्टवेयर से बनाई जा रही प्रोफाइल में वोटरों का नाम, पता, फोटो के साथ मोबाइल नंबर भी दर्ज किया जा रहा है। जिसके बाद जांच के लिए वोटरों के मोबाइल पर वनटाइम पासवर्ड या ओटीपी भेजा जा रहा है ताकि सत्यापन हो सके।
दावों के अनुसार इस बार के सर्वे में सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के साथ सर्वे करने वाले कर्मियों की जियो टैगिंग से मॉनिटरिंग ही कराई जा रही है। जिससे रियल टाइम डाटा मिल सके. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 में मतदान को परिभाषित किया गया है। कानून के अनुसार डाला गया वोट गोपनीय होता है, और इसका उल्लंघन करने पर जेल के साथ जुर्माना भी हो सकता है।
डिजिटल क्रांति और सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद देश में अभी तक डेटा प्रोटेक्शन के बारे में कोई कानून नहीं बना है। आगामी चुनावों में सोशल मीडिया कंपनियां यदि एग्जिट पोल के धंधे में उतर जाएँ तो देश में चुनावी व्यवस्था अराजक हो जाएगी। एग्जिट पोल का डेटा गोपनीय और सुरक्षित रहे, इसे पक्का करने के लिए चुनाव आयोग को समय रहते क्यों नहीं पहल करनी चाहिए।

एग्जिट पोल के पीछे आर्थिक तंत्र का खुलासा हो
एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों ने 8 लाख लोगों के डेटा इकट्ठा करने के दावे को अगर सही माना जाए तो सभी दस कंपनियों ने 80 लाख लोगों का डेटा इकठ्ठा किया गया होगा। डेटा जुटाने और विश्लेषण में प्रति व्यक्ति औसतन 400 रूपए का खर्च होता है, इसका मतलब यह हुआ की एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों ने इस प्रक्रिया में लगभग 320 करोड़ खर्च किए होंगे, जिसमें मुनाफा शामिल नहीं है।
भूलना नहीं चाहिए कि टीवी चैनलों की कमाई का एक बड़ा जरिया सरकारी विज्ञापन हैं। भारत में राजनीतिक दलों को अपनी आमदनी में कोई टैक्स नहीं देना होता पर एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों को ऐसी कोई छूट हासिल नहीं है। क्या एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों को राजनीतिक दल आर्थिक मदद दे रहे हैं यह भी बड़ा सवाल है। एग्जिट पोल की कंपनियों और टीवी चैनलों के आर्थिक रिश्ते क्या और कैसे हैं। एग्जिट पोल की आर्थिक व्यवस्था की अगर फॉरेंसिक जांच कराई जाए तो नेताओं और मीडिया के आपसी रिश्तों पर संदेह की परत हट सकेगी।
यूरोपीय और अमरीका समेत अनेक देशों में एग्जिट पोल के प्रसारण समय के बारे में ही नियम, कानून और प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का होने का दावा करने वाले भारत को अब एग्जिट पोल की व्यवस्था को वैज्ञानिक और पारदर्शी बनाने के लिए पहल करनी ही चाहिए। चुनाव आयोग अनुच्छेद 324 की धारा इस बारे में आदेश जारी कर सकता है लेकिन बेहतर यह होगा कि इस बारे में प्रेस काउंसिल या न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन नियम जारी करे।

Share42SendTweet27
Previous Post

एनटीपीसी से हटाए गए उपनल कार्मिकों का विरोध प्रदर्शन वीडियो देखें…

Next Post

पत्नी ने साजिश रचकर की अवतार की हत्या, 12 साल पहले किया था प्रेम विवाह

Related Posts

उत्तराखंड

बरिष्ठ शिक्षिका कुसुम उनियाल को सीआईएससीई द्वारा देश के प्रतिष्ठित सम्मान “डेरोजियो” से नवाजा गया

November 23, 2025
0
उत्तराखंड

मा0 मुख्यमंत्री के शिक्षित बेटियां सशक्त समाज के संकल्प को कर रहा जिला प्रशासन देहरादून चरितार्थ

November 23, 2025
4
उत्तराखंड

राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरुड़ा की छात्रा खुशी जखमोला का हुआ विद्यालय में भव्य स्वागत

November 23, 2025
3
उत्तराखंड

कोटद्वार, उत्तराखंड में हल्दी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ सम्पन्न

November 23, 2025
2
उत्तराखंड

उत्तराखंड में सबसे ज्यादा दिख रहा जलवायु परिवर्तन का असर

November 23, 2025
4
उत्तराखंड

पारंपरिक पहाड़ी फलों माल्टा और संतरे के पेड़ों पर संकट के बादल मंडराए

November 23, 2025
6

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67509 shares
    Share 27004 Tweet 16877
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45760 shares
    Share 18304 Tweet 11440
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38035 shares
    Share 15214 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

बरिष्ठ शिक्षिका कुसुम उनियाल को सीआईएससीई द्वारा देश के प्रतिष्ठित सम्मान “डेरोजियो” से नवाजा गया

November 23, 2025

मा0 मुख्यमंत्री के शिक्षित बेटियां सशक्त समाज के संकल्प को कर रहा जिला प्रशासन देहरादून चरितार्थ

November 23, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.