
गेरसैंण। उत्तराखंड के मशहूर लोक कलाकार हीरा सिंह राणा की हृदय गति रूक जाने से निधन होने पर उत्तराखंड महापरिषद लखनऊ के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, उपपा के केद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, पूर्व केबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथाणी व क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने दुःख व संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि उत्तराखंड ने एक महान क्रांतिकारी लोक कलाकार खो दिया है। पहाड़ की सांस्कृतिक धरोहर के ध्वज वाहक के निधन से अपूर्णनीय क्षति हुई है।
कुमाउँ मंडल के अल्मोड़ा जिले के डडोली मानिला गांव में 16 सितंबर 1942 में जन्मे राणा का निधन उनके दिल्ली स्थित आवास में शनिवार प्रातः ढाई बजे हृदय गति रूक जाने से हो गया है। भारत रत्न स्वण् गोबिन्द बल्लभ पंत द्वारा स्थापित सांस्कृतिक संस्था उत्तराखंउ महापरिषद लखनउ ने उन्हें वर्ष 2019 में उत्तराखंड गौरव के सम्मान से नवाजा था। हीरा सिंह राणा ने कुमाउनी लोक गीतों के 6 कैसेट, रंगीली विंदी, रंगदार मुखडी, सौमनो की चोरा, ढाई बिसी बरस हार्ठ कमाला, आहा रे जमानो भी बना कर रिलीज किये।
जीवन के उंतिम पड़ाव में हीरा सिंह राणा को दिल्ली सरकार द्वारा गढ़वाली .कुमाउॅनी, .जौनसारी भाषा अकादमी का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया। त्यर पहाड़, म्यर पहाड़, होय दुःखों को ड्यर पहाड़, राजनीति ले तोड़ पहाड़, ठेकेदारों ले फोड़ पहाड़, नोनतिनों ले छोड़ पहाड़। पहाड़ की समसामयिक दशा को शब्दों में पिरोकर एक सूत्र में बांधने वाले प्रसिद्ध लोक गायक हीरासिंह राणा अब इस दुनिया में नहीं रहे।
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान क्रांति गीत लश्का कमर बांघा, हिम्मत का साथ। फिर भ्वला उज्याली होली कां लै रौली राता। य नी होनो, ऊ नी होनो, कै बै के नि हुनो। उनका संदेश सदा उत्तराखंडियों को याद रहेगा ।












