फोटो- मुख्य पुजारी श्री रावल पहले प्रवास के लिए पांडुकेश्वर पंहुचे।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। गाडूघडी-तेलकलश व शंकराचार्य गददी के साथ मुख्य पुजारी श्री रावल पांडुकेश्वर पहंुचे। यहाॅ ग्रामीणों ने पवित्र गददी व श्री रावल का स्वागत किया।
भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने की अनादिकाल से चली आ रही मान्य धार्मिक परपंरानुसार श्री बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल को बदरीनाथ पंहुचने से पूर्व एक प्रवास पंच बदरी मे एक योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर मे करना होता है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए मुख्य पुजारी श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की पवित्र गददी व गाडूघडी-तेलकलश के साथ पांडुकेश्वर पंहुचे। पांडुकेश्वर पंहचने पर बदरीनाथ राष्ट्रीय राज मार्ग पर मुख्य पुजारी श्री रावल व शंकराचार्य गददी को स्थानीय लोगो ने आगवानी की। लेकिन कोविड महामारी के कारण यह संख्या बेहद सीमित थी।
येाग बदरी मंन्दिर पंहुचने पर मुख्य पुजारी श्री रावल ने मंदिरो मे र्दान/पूजन किए। इस दौरान धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल, अपर धर्माधिकारी द्वय आचार्य सत्य प्रसाद चमोला व राधाकृष्ण थपलियाल, वेद पाटी रविन्द्र भटट, नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी, दफेदार कृपाल सनवाल, भाजपा नेता व सासंद प्रतिनिधि किशोर पंवार व अन्य बारीदार मौजूद रहे।
न्ृसिंह मंन्दिर मठांगण -जोशीमठ से प्रस्थान करने के उपरान्त मुख्य पुजारी श्री रावल ने प्रथम प्रयाग विष्णुप्रयाग मे भगवान विष्णु के मंन्दिर मे दर्शन व पूजा/अर्चना की।