• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

गंदरायण के दोहन में नेपाल और भूटान से भी पीछे हैं हम

09/09/19
in उत्तराखंड, हेल्थ
Reading Time: 1min read
602
SHARES
752
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
वेद पुराण के अनुसार हिमालय तब भी आध्यात्मिक महत्व ज्यादा रखता था और आज भी उसी तरह से रखता है। हिमालय उसका केन्द्र बना पहाड़ी क्षेत्रों देवभूमि उत्तराखंड में पाये जाने वाले पोष्टिक एवं औषधीय गुणों वाला गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन या छिप्पी नामों से जाना जाने वाला हिमालयी मसाला ठेठ पहाड़ी खान.पान का अहम तड़का है। राजमा, झोई कढ़ी, और गहत, अरहर व भट के डुबके फाणु में इसका तड़का व्यंजन की खुश्बू और जायके को कई गुना बढ़ा देता है। गंदरायणी को हिंदी में चोरा, आयुर्वेद में चोरक कहा जाता है। हिमाचली इसे चमचोरा या चौरू बुलाते हैं, तो कश्मीरी चोहारे। इसका अंग्रेजी नाम एन्जेलिका है। गंदरायण व हिमालयन एन्जेलिका इसके वाणिज्यिक नाम हैं। खुशबूदार एपिएसी परिवार का यह पौधा एन्जेलिका ग्लोका के वानस्पतिक नाम से जाना जाता है। एपिएसी परिवार में कई और खुशबूदार पौधे भी शामिल हैं। उत्तराखण्ड में ट्री लाइन के इर्द.गिर्द बसे गाँवों में दवा के रूप में भी गंदरायण का इस्तेमाल किया जाता है। यह पूर्वी एशिया और हिमालय के पश्चिमी भागों में 2000 से 3600 मीटर की ऊंचाई में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। अपने प्राकृतिक वास में यह बलुआ मिट्टी वाली नम तथा छायादार पहाड़ी ढलानों में पैदा होता हैण् इसका पौधा 2 मीटर तक की लम्बाई का होता हैण् गाढ़ी हरी पत्तियों वाले इस पौधे में सफ़ेदए हरी.पीली रंगत वाले खूबसूरत फूल खिलते हैं। अगर आप इसे गंवारू मसाला मानकर तिरस्कृत करने वालों में शामिल हैं तो आप गलती कर रहे हैं। जम्बू उच्च हिमालयी क्षेत्रों का दिव्य मसाला गंदरायण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ठसक के साथ बिकता है। इसके पौधे से बनने वाले उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसके उत्पादों की कीमत भी बहुत ऊँची हैण् उत्तराखण्ड के अलावा यह हिमाचल, कश्मीर, उत्तरपूर्व, नेपाल, भूटान, तिब्बत, चीन, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में भी पाया और इस्तेमाल किया जाता है। इसके अंधाधुंध व अनियंत्रित दोहन की वजह से यह पौधा विलुप्त होने की कगार पर पहुँच सकता है। अब सरकार ने इसके संरक्षण के लिए कदम भी उठाने शुरू कर दिए हैं। ग्रामीणों ने भी इसके महत्त्व और व्यावसायिक मांग को देखते हुए इसकी खेती शुरू करने की पहल की है। गंदरायण के पौधे की जड़ों व प्रकंद को छाया में सुखाकर इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर किया जाता है। इसकी खुशबू और जायका तो अच्छा होता ही है, साथ ही इसमें मौजूद तत्व पाचन के लिए भी लाभकारी होते हैं। इसका मसाला पाचन में मदद करने के साथ ही एसिडिटी को भी ख़त्म करता है। इसके अलावा यह कब्ज को दूर करता है और ह्रदय व लीवर को मजबूत बनाता है। अपने औषधीय गुणों के कारण इसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है। इसकी जड़ों का पाउडर बनाकर पानी में मिलाकर पीने से पेटदर्द में फायदा मिलता है। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में, जहाँ दवा उपलब्ध नहीं होती, इसका इस्तेमाल बच्चों को पेटदर्द से छुटकारा दिलाने के लिए खूब किया जाता है। पेटदर्द के अलावा यह सरदर्द, बुखार और टायफायड की भी रामबाण औषधि मानी जाती है। गाय की दुग्ध क्षमता बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। महक से भरा होने की वजह से इसका इस्तेमाल धूप, अगरबत्ती में तथा अन्य तरीकों से घरों को सुवासित करने में भी किया जाता है।
इसकी जड़ों में 15 प्रतिशत तक तेल की मात्रा होती है। इस तेल में एन्जेलिक एसिड, वेलेटिक एसिड और एजेलिसीन नामका रेजीन पाया जाता है। अगर आप इन्टरनेट में सर्च करेंगे तो एन्जेलिका रूट ऑयल व एन्जेलिका सीड ऑयल नाम से नामी कंपनियों को गंदरायण का तेल बेचते हुए पाएंगे। अंतरष्ट्रीय बाजार में गंदरायण की जड़ों और बीजों के तेल की कीमत 5000 से 16000 रुपये प्रति किलो तक है। अफ़सोस की बात कि अन्तराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग के बावजूद गंदरायण राज्य के नीति.नियंताओं की प्राथमिकता में यह कहीं भी नहीं है। इस तथ्य से अनभिज्ञ सीमान्त ग्रामीण भी गंदरायण को बेचने के लिए मेलों.ठेलों में धक्के खाते दिख जाते हैं। गंदरायण के व्यावसायिक महत्त्व की जानकारी न होने की वजह से ही अब तक इसका ठीक तरह से दोहन भी नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से अपने प्राकृतिक वास में इसकी कमी होती जा रही है।
उत्तराखण्ड में आज भी हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाली जड़ी.बूटियों की खेती, दोहन, विपणन की कोई ठोस नीति नहीं बन पायी है। जो लचर नीति है भी उसमें ग्रामीणों को इनका उचित बाजार मूल्य नहीं मिलता। इस मामले में नेपाल और भूटान हमारे देश.प्रदेश से बहुत आगे है। जंबू, गंदरायण, डोलू, मलेठी आदि दस ग्राम 30 रुपये में, कुटकी 30 रुपये तोला के हिसाब से बिक रहा है। इसके साथ ही भोज पत्र, रतन जोत सहित कई प्रकार की धूप गंध वाली जड़ी बूटियां भी काफी बिक रही हैं। हिमालयी इलाकों में पैदा होने वाली कीमती जड़ी.बूटियां सदियों से परंपरागत मेलों के जरिए विभिन्न इलाकों तक जाती रही हैं। मेले में मुनस्यारी के दन और थुलमों की भी काफी मांग है। उत्तरायणी मेले बागेश्वर में इन उत्पादों के खरीददार भी काफी खुश रहते हैं। खरीददार भी इनके द्वारा लाए गए सामान की अहमियत को जानते हैं।
गौरतलब है कि कुमाउं की काशी कहे जाने वाले बागेश्वर में उत्तरायणी मेले में हिमालयी क्षेत्रों से जड़ी बूटी लाने वाले व्यापारियों का सालभर बेसब्री से इंतजार करते हैंण् माघ माह की उत्तरायणी में यहां व्यापारियों और खरीददारों का तांता लगा रहता हैण् यह बाजार भारत और नेपाल के बीच रहे घनिष्ठ संबंधों का भी गवाह है।
लेखक का शोंध वैज्ञानिक शोंध पत्र वर्ष ,2015 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी भारत जर्नल ऑफ़ विज्ञान पत्रिका मे प्रकशित हुआ है,

Share241SendTweet151
Previous Post

अपने गांव में मनाउंगा, ईगास बग्वालः अनिल बलूनी

Next Post

गैरसैंण महाविद्यालय छात्र संघ चुनाव में हरेंद्र कंडारी अध्यक्ष चुने गए

Related Posts

उत्तराखंड

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कण्व नगरी कोटद्वार आगमन पर किया स्वागत

December 7, 2025
4
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी ने किया 108 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास

December 7, 2025
6
उत्तराखंड

बाल मिठाई को उम्मीद है कि भौगोलिक संकेत

December 7, 2025
8
उत्तराखंड

एक किताब में समाए उत्तराखंड के बालगीत

December 7, 2025
8
उत्तराखंड

श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के उपलक्ष में निकली भव्य कलश यात्रा

December 7, 2025
18
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने की श्री नंदादेवी राजजात यात्रा 2026 के बाद ग्वालदम-नंदकेशरी-देवाल-वांण -तपोवन सड़क को लोनिवि से हटाकर बीआरओ को सौंपने की घोषणा

December 7, 2025
95

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67528 shares
    Share 27011 Tweet 16882
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45762 shares
    Share 18305 Tweet 11441
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38038 shares
    Share 15215 Tweet 9510
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37427 shares
    Share 14971 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37306 shares
    Share 14922 Tweet 9327

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कण्व नगरी कोटद्वार आगमन पर किया स्वागत

December 7, 2025

मुख्यमंत्री धामी ने किया 108 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास

December 7, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.