डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू.दृश्य के लिए उगाया जाता है। मुर्गियों के दाने में भी यह पीले वर्णक का अच्छा स्रोत है। इसके फूल बाजार में खुले एवं मालाएं बनाकर बेचे जाते हैं। गेंदे की विभिन्न ऊंचाई एवं विभिन्न रंगों की छाया के कारण भू.दृश्य की सुन्दरता बढ़ाने में इसका बड़ा महत्व है। साथ ही यह शादी.विवाह में मण्डप सजाने में भी अहम् भूमिका निभाता है। यह क्यारियों एवं हरबेसियस बॉर्डर के लिए अति उपयुक्त पौधा है। इस पौधे का अलंकृत मूल्य अवि उच्च है क्योंकि इसकी खेती वर्ष भर की जा सकती है। तथा इसके फूलों का धार्मिक एवं सामाजिक उत्सवों में बड़ा महत्व है। भारत में मुख्य रूप से अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा की खेती की जाती है। इसे गुजराती भाषा में गलगोटा और मारवाड़ी भाषा में हंजारी गजरा फूल भी कहा जाता है।
गेंदाफूल फिल्मी गीतों में तो अच्छा लगता ही है यह खेतों में महक के अलावा जमीन की ऊपजाऊ शक्ति को भी बढ़ाता है। किसानों को गेंदा के उत्पादन में कई तरह के लाभ मिलते हैं। जो किसान शहर के समीप खेती करता है उसके लिए यह और भी लाभकारी होता है। इसलिए किसान भाइयों को चाहिए कि वे फसल विविधिकरण अपनाकर अधिक लाभ लें। कई बार किसान परंपरागत फसलें उगाते रहते हैं, इससे फायदो की जगह नुकसान अधिक होता है। फसलों को बदल कर बोना चाहिए। गेंदा फूल की खेती पारम्परिक खेती की तुलना में कई गुणा लाभ किसानों को दे सकती है। गेंदा फूल सिर्फ कम खर्च में अच्छा लाभ देता हैए बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। जिससे किसानों को गेंदा फूल का दोहरा फायदा मिलता है। विशेषज्ञों के विशेषज्ञों के अनुसार मार्केट में औसतन छोटे आकर के फूलों की मांग होती है जो आम बीज से प्राप्त किए जा सकते है। जितना गुथा हुआ फूल होगा उसकी मार्किट में उतनी ही ज्यादा डिमांड होगी। इन फूलों का प्रयोग पूजा पाठ माला बनाने में किया जाता है। अगर आम किस्म का प्रयोग करता है तो इससे भी कम खर्च आता है। प्लांटेशन के 45 दिन बाद पौधा फूल देने शुरू कर देता है।
विशेषज्ञों के अनुसार गेंदा फूल की खेती सीजन के हिसाब से की जाती है। गर्मी के सीजन में जनवरी माह में फूल लगाए जाते है। जिनका नवरात्र के दिनों में पूजा पाठ में खूब इस्तेमाल होता है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है। इसके बाद अप्रैल मई और फिर सर्दी शुरू होने से पहले अगस्त.सितंबर में फूलों की बिजाई की जाती है। इससे अच्छा उत्पादन भी मिलता है।सीईवी के फ्लोरिकल्चर विशेषज्ञों के अनुसार गेंदा फूल की खेती सर्दीए गर्मी और बरसात के सीजन में की जाती है। गेंदा फूल की खेती कोई भी किसान कर सकता है। अगर किसान हाईब्रिड़ किस्म के बीजों को लगाता है तो उसे करीब 30 से 35 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। यदि किसान अपने खेत में गेंदा फूल लगाता है तो वह साल में तीन बार फूलों की पैदावार ले सकता है।
इसके अलावा गेंदा फूल की मांग लोकल मार्किट में होने से किसानों को ज्यादा दौड़ धूप करने की भी जरूरत नही 70 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है विशेषज्ञोंकी माने तो गंदे की जड़ों से एक कैमिकल निकलता है, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति का बढ़ाता है। जहां खेतों में उत्पादन कम दिखाई देंए उन किसानों के लिए गंदा फूल एक अच्छा विकल्प है। सीजन में गेंदे की कीमत 70 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है। अगर किसान आधा एकड़ में भी गेंदे की खेती करता है तो एक सप्ताह में एक किवंटल से लेकर डेढ़ किवंटल तक फूल प्राप्त कर सकते है। जिससे छह माह में किसान को एक से डेढ लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है। है।गेंदे की खेती संपूर्ण भारतवर्ष में सभी प्रकार की जलवायु में की जाती है। विशेषतौर से शीतोषण और सम.सीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है। नमीयुक्त खुले आसमान वाली जलवायु इसकी वृध्दि एवं पुष्पन के लिए बहुत उपयोगी है दीपावली पर सबसे ज्यादा गेंदा फूल की डिमांड रही। 20 रुपये की छोटी माला से लेकर 150 रुपये में पांच लड़ियों की माला बिक गई। वहीं, सड़क किनारे लगे दुकानदारों व किसानों से 150 रुपये से लेकर 200 रुपये तक प्रति किलो गेंदे का फूल खरीदा गया। शहर की मुख्य सड़कों पर शनिवार को लोगों ने घर को सजाने के लिए गेंदे के फूल की जमकर खरीदारी की। बाजार में गेंदा फूल की कीमत व डिमांड को देखकर किसानों में भी खासा उत्साह दिखाई पडा। बता दें कि गेंदा की खेती करने वाले किसानों के लिए साल में दो ही ऐसे मौके आते हैं, जिन पर अच्छी खासी आमदनी की संभावना होती है। उसमें पहला नवरात्र व दूसरा बड़ा त्यौहार दीपावली शामिल है। पौधे से प्राप्त सुगंधित अवाष्पीय तेल में जेड.ओसीमीन 38.77 प्रतिशत, डाइहाइड्रोटेजीटोन 9.07 प्रतिशत, टेजीटोन 7 प्रतिशत, जेड .वोसीमीन 7 प्रतिशत एवं ई. ओसीमिनोन 13 प्रतिशत पाए जाते हैं। औषधीय गुण एवं उपयोग, सम्पूर्ण पौधे का आवश्यक तेल के लिए जल.शोधन किया जाता है। पौधे से प्राप्त तेल का उपयोग सुगंध, भेषज एवं कृषि व्यवसाय में किया जाता है।