सरकार की एयर लिफ्ट योजना से कब होगा आम आदमी लाभान्वित!
शंकर सिंह भाटिया
पिथौरागढ़। जिले के ग्राम लीमा निवासी सोवन सिंह पिथौरागढ़ से हल्द्वानी के लिए रेफर किए गए थे। हल्द्वानी ले जाते हुए गुरना से आगे रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। यदि सरकार की दूरस्थ क्षेत्र के हृदय रोग समेत तमाम घातक रोगों से पीड़ित मरीजों को एयर लिफ्ट योजना का लाभ उन्हें मिल गया होता तो शायद वह समय से हल्द्वानी पहुंच गए होते और समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच सकती थी।
सोवन सिंह मेरे चाचा हैं। हालांकि वह हृदय रोग से पीड़ित थे, लेकिन सामान्य तौर पर वह स्वस्थ थे। वह खेतों में हल जोतने से लेकर जंगल में गाय-बैलों को चराने तक के सारे काम खुद कर लिया करते थे। एक दिन पहले उनके सीने में हल्का दर्द हुआ। उन्हें करीब 55 किमी दूर पिथौरागढ़ के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां कुछ इलाज के बाद चिकित्सकों द्वारा उनकी तबियत ठीक बताई गई। उन्हें वापस घर लाया गया। लेकिन रात में बेचैनी महसूस होने के बाद उन्हें दोबारा आज सुबह पिथौरागढ़ जिला अस्पताल ले जाया गया। डाक्टरों ने उन्हें कुछ दवा दी, इंजेक्शन दिए और उन्हें हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। हल्द्वानी ले जाते हुए गुरना मंदिर से थोड़ा आगे पहुंचे थे कि उनकी तबियत बिगड़ने लगी और थोड़ी देर में ही उन्होंने अंतिम सांस ले ली।
बताया जाता है कि राज्य सरकार की एयर लिफ्ट योजना है। पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से इस तरह के मरीजों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाने के लिए इस योजना की शुरूआत की गई थी। जब चिकित्सकों ने उन्हें हायर सेंटर के लिए रेफर किया था, तब यह क्यों न मान लिया जाए कि उनके हालात खराब हो रहे थे, उन्हें बेहतर इलाज देने की सुविधाएं पिथौरागढ़ में नहीं थी, यदि इस मौके पर उन्हें एयरलिफ्ट कर हायर सेंटर पहुंचा दिया जाता तो उनका इलाज समय से हो जाता और उनकी जान बच सकती थी। न तो आम आदमी को इस योजना की कोई जानकारी है और न ही जिला अस्पतालों के डाक्टरों को इसकी जानकारी है। फिर इस योजना का ढिढौरा पीटने की क्या जरूरत है?
हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति हायर सेंटर जाने के लिए सैकड़ों किमी लंबी सड़कों में हिचकोले खाता रहेगा और रास्ते में ही दम तोड़ देगा, संभवतः इसी से बचने के लिए यह योजना शुरू की गई होगी, लेकिन इस तरह की योजना का लाभ आम लोगों को मिल रहा है? यदि योजना का लाभ आम आदमी को नहीं मिल रहा है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? आम आदमी को तो इसकी जानकारी हो ही नहीं सकती है, जिम्मेदारी या तो सरकार की बनती है, या फिर जिला अस्पताल के चिकित्सकों की बनती है, जिन्होंने इस बारे में मरीज के तीमारदारों को बताना चाहिए और योजना का लाभ इस तरह के सीरियस मरीजों को दिलाना चाहिए। ऐसी योजनाओं का क्या, जो कागजों में खूब प्रचारित हो रही हैं, लेकिन जिनके लिए यह बनी हैं, उनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है।