डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
हर साल की तरह मानसून पहाड़ों में आफत लेकर आता है और मानसून का सबसे बुरा असर केदारनाथ धाम की यात्रा पर पड़ता है. मानसून सीजन में केदारनाथ धाम आने वाले यात्रियों की संख्या काफी कम हो जाती है. जबकि, पैदल यात्रा मार्ग समेत केदारनाथ हाईवे पर भी भूस्खलन होने से यात्रियों के साथ दुर्घटनाएं घट जाती हैंकेदारनाथ हाईवे के सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच मुनकटिया और शटल सेवा वाहन के पास स्लाइडिंग जोन नासूर बन गया है. यहां पर आए दिन पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है. इस कारण यात्रा बाधित होने के साथ ही तीर्थ यात्री भी फंस रहे हैं, जिससे यात्रियों को 6 किमी का अतिरिक्त सफर भी तय करना पड़ रहा है. इधर एसडीआरएफ के जवान तीर्थ यात्रियों के लिए देवदूत बन रहे हैं. जवान यात्रियों को कंधों पर लादकर रास्ता पार करवा रहे हैं.बता दें कि बीती 31 जुलाई 2024 की केदारघाटी आपदा में आई थी. जिसमें सोनप्रयाग-गौरीकुंड मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा सोनप्रयाग के पास मंदाकिनी नदी में समा गया था. अब फिर यह जोन सक्रिय हो गया है और आए दिन यहां पर भूस्खलन हो रहा है. एक हफ्ते से यहां पर यही स्थिति बन रही है. लगातार भूस्खलन होने से यात्रा प्रवाहित हो रही है और तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एसडीआरएफ के जवान जान जोखिम में डालकर यहां पर यात्रियों का सफर रेस्क्यू कर रहे हैं और उन्हें सुरक्षित तरीके से रास्ता आर पार करवा रहे हैं. कई बार एसडीआरएफ के जवान बुजुर्ग महिला एवं बच्चों को कंधों में लाद कर बड़े-बड़े बोल्डर के बीच अपनी जान को जोखिम में डालते हुए रास्ता आर पार करवा रहे हैं. रुद्रप्रयाग जिले में लगातार हो रही बारिश के चलते सोनप्रयाग शटल पुल और मुनकटिया के पास स्लाइडिंग जोन वाले क्षेत्र में लगातार मलबा-पत्थर आने से मार्ग यात्रियों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से बाधित रहा. संबंधित कार्यदायी संस्थाओं के स्तर से मार्ग को खोले जाने की कार्रवाई शुरू की गई, लेकिन लगातार हो रही बारिश और ऊपर पहाड़ी से मलबा पत्थर गिरने के कारण इन दोनों जगहों पर मार्ग खोले जाने में दिक्कतें आईं. मानसून सीजन आते ही केदारनाथ धाम आने वाले यात्रियों की संख्या में बेहद कमी आने लगी है. पिछले हफ्ते जहां रोजाना 25 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्री बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंच रहे थे. वहीं, अब यात्रियों की संख्या करीब 10 से 11 हजार के बीच आ गई है. कुछ दिनों में यह आंकड़ा और भी कम हो जाएगा. अभी तक 12 लाख 82 हजार से ज्यादा यात्री बाबा केदार के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं. कुल मिलाकर कहें तो केदारनाथ धाम की यात्रा पर मानसून का असर साफ दिखाई देने लग गया है. हादसों की वजह से भी यात्रियों ने यहां आना फिलहाल बंद कर दिया है. बारिश के कारण गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक का सम्पूर्ण पैदल मार्ग चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। लिहाजा, प्रशासन ने केदारनाथ धाम आ रहे श्रद्धालुओं से अपील की है लेकिन यहां पर लगभग सौ मीटर ऊपर से भूस्खलन शुरू हो गया है, जो कि आने वाले समय में इस पूरे क्षेत्र के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। सरकार को इसका समाधान शीघ्र खोजना होगा, ताकि यहां पर भूस्खलन को रोका जा सके। इसका स्थाई समाधान जरूरी है, यदि यहां पर भूस्खलन को समय रहते नहीं रोका गया तो पूरे क्षेत्र के लिए नासूर बन जाएगा। भूस्खलन जोन नासूर बने हुए हैं। इसके चलते कई बार यात्रा भी बाधित हो रही । इस कारण तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ती है। पहाड़ के दरकने से स्लाड जोन बन गया। हल्की सी बारिश में ही पहाड़ से भारी मलवा सड़क पर आ जाने से हर साल बदरीनाथधाम की यात्रा अक्सर बाधित होने लगी। लगभग 500 मीटर लम्बा यह जोन यात्रा के लिए नासूर बन गया। पिछले ढाई दशकों में इस स्थान पर खासकर बरसात के दिनों मे कई वाहनों के मलवे में दबने के साथ ही कई तीर्थयात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई। करोड़ों खर्च होने पर भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था।हालांकि एनएच की ओर से इनका कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकाला जा सका है।. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*