-लामबगड स्लाइड जोन, जहाॅ हर वर्ष तीर्थयात्री काल के ग्रास बन रहे है।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। बदरीनाथ यात्रा मार्ग का नासूर लामबगड हल्की बारिश में ही अवरूद्ध हो रहा है। बीती सायं से बंद मार्ग सुबह नौ बजे तो खुला लेकिन यात्रियों को पैदल ही आवागमन करना पडा।
बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर पिछले ढाई दशक से नासूर बने लामबगड स्लाइडिंग जोन पर बीते दिवस देर सायं को अचानक बारीश होने के बाद चटटा की ओर से मलबा व बोल्डर आने से अवरूद्ध हो गया था। जिसे रविबार सुबह नौ बजे ही खोला जा सका। लेकिन मार्ग खुलने के बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यात्रियों को वाहन से उतार कर निचली ओर से पैदल पार कराया जा रहा है, और वाहनो को स्लाइड मार्ग से भेजा जा रहा है। यह क्रम रविबार को पूरे दिन जारी रहा।
जोशीमठ के एसडीएम अनिल चन्याल के अनुसार लामबगड एरिया मे हल्की वारीश के बाद स्लाइडिंग जोन से पत्थरो का गिरना शुरू हो जा रहा है। जिसके कारण एतिहातन यात्रा को भी रोकनी पड रही है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए उन्है अलकंनदा की ओर नए निर्माणाधीन सडक मार्ग से आर-पार कराया जा रहा है।
लामबगड स्लाइडिंग जोन का 800मीटर का एरिया बेहद खतरनाक बना हुआ है। पिछले ढाई दशक से बीआरओ तो इसमे कोई सुधार नही कर सका, लेकिन वर्ष 2013की आपदा के बाद यह कार्य एनएच के माध्यम से कराया जा रहा है। जो सात वर्ष बीतने के बाद भी जस का तस है। हाॅलाकि एनएच द्वारा अलकंनदा नदी के तट से ही निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन जब तक चटटान की ओर से स्थाई ट्रीटमेंट ने हो तब तक उस काम का भी कोई औचित्य नजर नही आ रहा है क्योकि चटटान का मलबा फिर निर्माणाधीन सडक के ऊपर ही जा रहा हैं।
लामबगड स्लाइड जोन का निरीक्षण व सर्वेक्षण अब तक न केवल तकनीकी विशेषज्ञो द्वारा ब्लकि कई मुख्यमंत्रियों व सडक परिवहन मंत्रियों द्वारा भी मौके पर निरीक्षण किया जा चुका हैं। लेकिन ढाई दशक से अधिक का समय बीतने के बाद भी इस आठ सौ मीटर पैच का कोई हल नही निकाला जा सका। यही नही जितनी धनराशि इस स्थल पर खर्च की जा चुकी है उससे आधे की धनराशि मे ही एलाइमेंट चेंज कर अथवा सुरंग बनाकर नई सडक का निर्माण कराया जा सकता था।
बदरीनाथ जैसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ धाम को जोडने वाली इस सडक का स्थाई ट्रीटमेंट क्यो नही हो पा रहा हैं यह समझ से परे है। जबकि लामबगड के बाद उभरे देवप्रयाग, साकनीधार, कलियासौड, नंदप्रयाग, हेलंग, पिनौला-गोविंदघाट व पांडुकेश्वर मे एनएच द्वारा ही स्थाई ट्रीटमेंट किया जा चुका है।