फोटो- लामबगड में नए एलाइनमेंट सडक का डामरीकरण कार्य।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। अब श्री बदरीनाथ की यात्रा हो सकेगी निर्बाध। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर ढाई दशक से बने नासूर का अब हो सका स्थाई ट्रीटमेंट। लामबगड में नए एलाइनमेंट के बाद तीर्थयात्रियांे को हो रही परेशानियों से निजात मिल सकेगी।
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिछले ढाई दशक से नासूर बना लामबगड स्लाइड का अब जाके स्थाई उपचार हो सका है। इन ढाई दशको मे इस स्थान पर खासकर वर्षात के दिनों मे कई गाडियों के दबने के साथ ही कई तीर्थयात्रियों की दर्दनाक मौते भी हुई है। लेकिन इसका स्थाई उपचार नही हो पा रहा था। पूर्व मे जब जेपी कंपनी द्वारा लामबगड मे वैराज का निर्माण किया जा रहा था, तब जेपी कंपनी ने इस स्थान सुरंग निमार्ण का प्रस्ताव रखा था। लेकिन तब यह सडक बीआरओ के अधीन थी और बीआरओ ने भी सुरंग बनाने के लिए हामी भर दी थी। दोनो के एस्टीमेट कास्ट मे बहुत अंतर होने के कारण मामला तब अधर मे लटक गया था। और लामबगड स्लाइड हर वर्षात मे कई-कई लोगो की लीलता रहा।
वर्ष 2013की भीषण आपदा के बाद जब लामबगड मे भी सडक का नामोनिशा मिट गया था। तब सडक परिवहन मंत्रालय ने लामबगड स्लाइड जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी एनएच पीडब्लूडी को दी। एनएच ने इस स्थान का न केवल अपने दक्ष इंजीनियरों से ब्लकि विदेशो से भी एक्सर्प बुलाकर हर स्तर पर रायसुमारी की। और उसके बाद ही इसके स्थाई ट्रीटमेंट का कार्य शुरू हो सका। एनएच से मैकाफेरी नामक कंपनी ने यह कार्य लिया। पहले तो यह किसी अन्य सब कांटेªेक्टर को दिया गया। जब कार्य की प्रगति धीमी रही तो मैका फेरी ने स्थानीय लोगो से ही इस कार्य को पूर्ण कराने की योजना बनाई। और पांडुकेश्वर के निवासी किशोर पंवार को सब कान्ट्रेक्टर के रूप मे चयन करते हुए उन्हे यह कार्य दिया। किशोर पंवार ने दिसबंर 2018से कार्य करना शुरू किया और दो वर्ष के अंतराल मे ही नए एलाइमंैट की सडक को तैयार करके दिखा दिया।
पाॅच सौ मीटर के इस नए एलाइमेंट सडक मे अलकंनदा नदी के किनारे से ही बेहतर तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए निर्माण किया गया है। इस स्थान पर जहाॅ नदी की ओर से 40मीटर जालीदार दीवालों का निर्माण किया गया है वही ऊपरी ओर दस मीटर ऊॅचाई व 5मीटर चैडाई मे राॅक फॅाल बैरियर दीवालों का निर्माण किया गया है,ताकि यदि पहाडी की ओर से मलबा व बोल्डर सीधे सडक पर ना गिर सके और यात्रा सुरक्षित हो सके। पिछले ढाई दशको से खासकर बर्षात के दिनों मे तीर्थयात्रियों को कई किमी की कठिन चढाई पार कर स्लाइडिगं जोन के ऊपर बसे पडगासी गाॅव से आवागमन करने को विवश होना पडता था। लेकिन अब स्थान पर सडक का एलाइमेंट बदलने व सडक को मजबूत बनाने के बाद तीर्थयात्रियों को इस समस्या से भी निजात मिल सकेगी।
पाॅच पोकलैण्ड मशीनो व दर्जनों मजदूरों के माध्यम से दो वर्ष मे ही इस नासूर से निजात दिलाने की दिशा मे महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। इन दिनो इस स्थान पर डामरीकरण का कार्य जोरो पर है। बहरहाल नई तकनीकी का इस्तेमाल कर बनाई गई इस सडक पर आने वाले यात्रा काल से निर्विघ्न यात्रा की मुराद पूरी होती दिख रही है।