थराली से हरेंद्र बिष्ट।
6 माह अपने मामाकोट सिद्धपीठ देवराड़ा थराली में प्रवास के बाद बधाण की नंदा भगवती का उत्सव डोली अगले 6 माह के प्रवास के लिए सिद्धपीठ कुरूड़ नंदानगर के लिए रवाना हो गई। यहां से महिलाओं ने नंदा को अश्रुपूरित विदाई दी।
6 माह सिद्धपीठ देवराड़ा में प्रवास के बाद गुरुवार को प्रातःकाल से ही नंदा भगवती को सिद्वपीठ देवराड़ा के गर्भगृह से बहार निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ सुबह करीब 9.30 बजे डोली को सजा कर मंदिर के आंगन में रखा गया। जहां पर क्षेत्र के तमाम नंदा भक्तों ने देवी की पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी। इसके बाद करीब 10.30 बजें डोला अपने पहले पड़ाव बज्वाड़ के लिए रवाना हुई। विदाई के दौरान जहां अधिकांश महिलाओं ने देवी को अश्रुपूरित विदाई दी। वही कई लोगों पर देवी भी अवतारित हुईं। इसके बाद यात्रा दोपहर के भोजन के लिए सुनाऊं मल्ला गांव के लिए रवाना हुई।इस दौरान देवराड़ा में नंदा के पुजारी गुड्डू गौड, कुरूड़ मंदिर समिति के अध्यक्षमंशा राम गौड़, बच्ची राम गौड़, अनुसूया प्रसाद, सुंदरी प्रसाद, नरेंद्र प्रसाद, मुरारी प्रसाद, राजेश गौड़, योगेश गौड़, खीमानंद, दिनेश गौड़, सीता प्रसाद, राजेश प्रसाद, दिनेश प्रसाद, सुनील प्रसाद के साथ ही देवराड़ा मंदिर समिति के अध्यक्ष भुवन हटवाल, तुगेश्वर व्यापार संघ के अध्यक्ष धनराज सिंह रावत, खिलाप सिंह, नरेश, आशीष थपलियाल, पार्षद सीमा देवी, शकुंतला देवी, कला देवी, रघुवीर भंडारी, अब्बल सिंह, भागवत भंडारी, दिलवर सिंह, प्रताप सिंह, बीरेंद्र सिंह सहित कई अन्य लोगों ने डोली को गर्भगृह से बहार निकालने एवं देवी की डोली को विदा करने तक सक्रिय भूमिका निभाई।
इस के बाद दोपहर करीब एक बजें यात्रा सुनाऊं गांव पहुंची जहां पर दोपहर के भोजन के बाद यात्रा अपने पहले पड़ाव बज्वाड़ गांव पहुंची। पूरे यात्रा मार्ग पर देवी भक्तों ने भव्य रूप से यात्रा का स्वागत करते हुए पूजा.अर्चना कर मनौतियां मांगी। 13 जनवरी को नंदा डोली सिद्धपीठ कुरुड़ पहुंच कर मंदिर में विराजमान हो जाएगी।