रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी / रुद्रप्रयाग
जनपद रुद्रप्रयाग के विकास खण्ड अगस्त्यमुनि की ग्राम पंचायत सारी के झाली मठ तोक मे 28 फरवरी 2022 को भू-स्खलन के कारण एक मकान पूरी तरह ध्वस्त हुआ ओर 3 परिवारों के मकानो खतरे की जद मे आये थे,शासन ने इन परिवारो को खाली करा कर अन्य जगह रहने को आदेश दिये थे,आज 10 महिनो बाद शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते मजबूरी मे ये लोगों अपने टूटे मकान पर रहने को मजबूर हुए है.
हम आपको पीड़ित परिवारों की पीड़ा की तस्वीरें दिखा रहे है,तस्वीरे साफ बया कर रही है कि शासन-प्रशासन द्वारा इन लोगो के साथ कितना भद्दा मजाक किया जा रहा है.
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आपको बता दे कि रुद्रप्रयाग जिले के सारी गॉंव के झालीमठ तोक के राकेश कुमार,बीरेंद्र लाल,हरेंद्र कुमार,धीरज लाल की मकानो के नीचे अचानक हुए भू-स्खलन से राकेश कुमार का मकान,शौचालय जमीदोष हो गया था,साथ ही हरेंद्र कुमार बीरेंद्र लाल,धीरज लाल के आँगन,शौचालय, भी ध्वस्त हुए,ओर मकानों पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी है,जिन रहना खतरे को गले लगाना जैसा है.
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हैरानी की बात है कि 28 फरवरी 2022 को आये आपदा से बेघर हुए इन परिवारों को 10 महिनो के बाद मजबूर होकर मौत को गले लगाते हुए अपने टूटे मकानों पर रहने को विवश होना पडा,इन परिवारों का आरोप है कि प्रशासन ने हमें यह कह कर खाली कराया था कि आपके मकान रहने लायक स्थिति मे नहीं है आप लोग किराये पर रहो जिसका भुगतान किया जायेगा,
पीड़ितों परिवारों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा सही आंकलन नहीं किया गया जिसके चलते हमें आजतक उचित मुआवजा सहित अन्य जगह शिप्ट भी नहीं किया जा रहा है,हमारे पास किराया देने लायक स्थिति नहीं है,ना ही शासन-प्रशासन ने दुबारा हमारी शुध ली,अब हमें मजबूरी मे अपने टूटे मकान पर रहने को विवश होना पड़ा है.अब मरेंगे भी तो इसी जोखिम के शाये मे.
वहीं ग्राम प्रधान माहेश्वरी देवी,क्षेत्र पंचायत सदस्य सरिता देवी का कहना है कि हम लगता तहसील प्रशासन, जिलाधिकारी को अवगत कराते कराते थक चुके है,केवल झूठे आश्वासन दिये जा रहे है.मगर उचित कार्यवाही होती आज तक नहीं दिख रही है.
काग्रेस पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष ईश्वर सिंह बिष्ट का कहना है कि ये कैसा माप दण्ड बनाया गया है,जबतक मकान पूरे तरीके से ध्वस्त नही होगा तबतक मुआवजा नहीं दिया जायेगा, ऐसा भददा मजाक गरीब व पीड़ितों के साथ हो रहा है,जबकि कुछ परिवारों के मकानों मे बडी बडी दरारे पडती जा रही है साथ ही मकान कभी भी गिर सकते है,ऐसे में प्रशासन की नैतिक जिम्मेवारी बनती है कि दुबारा से सही जमीनी सर्वे कर प्रभावित परिवारों को उच्चित मुआवजा या अन्य जगह शिपट् किया जाये.
प्रशासन से हमने जब इस बारे मे जानकारी चाही तो वहीं रटा रटाया जवाब मिला कि रिपोर्ट शासन को भेजी है,मगर 10 महिनो बाद भी रिपोर्ट का आंकलन ना होना बड़ा सवाल खड़ा जरूर करता है.
अब प्रभावित परिवारों ने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से गुहार लगाई है कि दुबारा से छति पूर्ति का जमीनी आंकलन किया जाये.जिससे पात्र परिवारों की मदद हो सके.
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