• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

लेह के पत्रकारों का जमीर अभी बिका नहीं है, क्या हमारा जमीर भी जिंदा है?

09/05/19
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
108
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

शंकर सिंह भाटिया
चुनाव के दौरान जम्मू कश्मीर भाजपा नेताओं ने लेह के पत्रकारों को खरीदने की कोशिश की है। जम्मू एवं कश्मीर के सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्र लेह के पत्रकारों का जमीर अभी मरा नहीं है, उन्होंने न केवल रुपयों से भरे लिफाफे लौटा दिए, बल्कि इसकी शिकायत भी दर्ज करा दी। अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना शिकायत वापस न लेने पर पत्रकारों के खिलाफ मानहानि का दावा कर पत्रकारों को डरा रहे हैं। कहा जाता है कि पर्वतीय क्षेत्र के लोग जमीर के पक्के होते हैं, लेह के पत्रकारों ने इसका प्रमाण भी दे दिया है, लेकिन उत्तराखंड के कुछ पत्रकारों का जमीर पहाड़ से नीचे उतरते ही बिक जाता है?
बात 2009 के आम चुनावों की है। तब देहरादून के तीन अखबारों तथा कुछ टीवी चैनलों को न केवल सरकार की तरफ से बल्कि विपक्ष के नेताओं की तरफ से भी मोटे-मोटे लिफाफे भेजे गए थे। मैं भी इनमें से एक अखबार में कार्यरत था और चुनाव कवरेज करने वाली टीम में भी था। लेकिन लिफाफे सभी के लिए नहीं आए थे। कुछ खास पत्रकारों के लिए लिफाफे आए थे। चुनाव कवर करने वाली टीमों के ऐसे पत्रकारों को छोड़ दिया गया था, जो लेने से मना कर सकते हैं या फिर हल्ला कर रंग में भंग डाल सकते हैं।
लिफाफे पहुंचने की भनक हम में से कई लोगों को लग गई थी। पैसे बांटने वाले व्यक्ति से सचिवालय में मुलाकात हो गई तो हमने उनसे इस बात की सच्चाई जानने की कोशिश की। उन्होंने स्वीकार किया कि लिफाफे दिए गए हैं। उन्होंने एक चैंकाने वाली बात भी बताते हुए कहा कि ‘मैं आपकी विरादरी पर थूकता हूं।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘आपके एक पत्रकार को डेढ़ लाख का लिफाफा गया था, उन्होंने कहा कि इसे दो लाख न किया गया तो मैं आपके खिलाफ ही लिखना शुरू कर दूंगा। उस लिफाफे में दो लाख पूरे किए गए।’
मैं यह बात सुनकर हतप्रभ रह गया। यह वह दौर था, जब पेड न्यूज को लेकर खूब हाय तौबा मची हुई थी। हालांकि पेड न्यूज का टेंड्र काफी पहले से अपनी जड़ें जमा चुका था, लेकिन यहां तक आते आते सब कुछ हमाम में नंगा हो चुका था। जनसत्ता के संपादक रहे प्रभाष जोशी ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था, एक अखबार विशेष पर उनका आरोप था कि वह पेड न्यूज का जन्मदाता है। ऐसा नहीं था कि एक मात्र अखबार इसके लिए जिम्मेदार था। टीवी चैनल तो इसके लिए कुख्यात हो ही चुके थे, लगभग सभी अखबार पेड न्यूज की गंगा में डुबकी लगा रहे थे। पहले कुछ पत्रकार पेड न्यूज का लाभ उठा रहे थे, अब तो मालिकान भी इस बहती गंगा में डुबकी लगाने के लिए खुलकर मैदान में आ चुके थे।
पत्रकारों को लिफाफे देने से अतिरिक्त पेड न्यूज का एक और चलन विद्यमान था। डेस्क में बैठा व्यक्ति इंच टेप लेकर तैयार रहता था। मान लीजिए एक ही क्षेत्र का एक उम्मीदवार अखबार को एक लाख का विज्ञापन देता है, उसी क्षेत्र में दूसरी पार्टी का उम्मीदवार 50 हजार का विज्ञापन देता है और तीसरी पार्टी का उम्मीदवार 25 हजार का विज्ञापन देता है। मानक तय किए गए कि एक लाख का विज्ञापन देने वाले को रोज चार कालम की कवरेज मिलेगी, 50 हजार का विज्ञापन देने वाले को दो कालम की कवरेज मिलेगी और 25 हजार का विज्ञापन देने वाले की सिंगल कालम की खबर लगेगी। डेस्क के नियंत्रणकर्ता के पास विज्ञापनदाताओं की सूची होती थी, उसी के अनुसार उम्मीदवार को नापतोलकर कवरेज दिया जाता था।
विज्ञापनदाता को छूट मिली हुई थी कि वह चाहे लाखों का विज्ञापन दे, उसे कवरेज उसी हिसाब से मिलेगा, लेकिन बिल वह कम से कम जितने का चाहे उतने का ले सका है। इस पूरी कमाई का बड़ा हिस्सा मालिकों के पास जाएगा। पत्रकार वे चाहे रिपोर्टिंग में हो या फिर डेस्क में उन्हें भी उनकी हैसियत के अनुसार कुछ दान दक्षिणा दी जाएगी। ऐसा नहीं कि उत्तराखंड के पत्रकारों का जमीर पूरी तरफ से मर गया था। तब इनमें से एक अखबार में डेस्क में कार्यरत एक स्ट्रिंगरनुमा पत्रकार को कुछ दान दक्षिणा पकड़ाई गई तो उन्होंने इसे अपने जमीर के खिलाफ माना और तुरंत अखबार की नौकरी छोड़ दी।
लेह में पत्रकारों को लिफाफे पकड़ाए जाने की खबर आई तो 2009 की देहरादून में पत्रकारों को लिफाफे देने का सीन आंखों के आगे तैरने लगा। बहुत सारे लोगों को इससे दिक्कत हो सकती है, वे आरोप प्रत्यारोप लगा सकते हैं। मानहानि की धमकी दे सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उत्तराखंड के पहाड़ियों के जमीर की भी देश विदेश में बड़ी चर्चाएं होती रही है। उन्हें जमीर का पक्का माना जाता है। क्या यह जमीर अब पहाड़ से नीचे उतरते ही देहरादून में कदम रखने और उससे आगे जाते ही मर जाता है? अब तो पहाड़ों से भी बिकने बिकाने की खबरें आने लगी हैं। क्या यह भौतिकवाद की पराकाष्ठा है? पीछे मुड़कर देखता हूं तो पत्रकारिता को एक पवित्र पेशे के रुप में देखता हूं। ऐसा नहीं था कि यह दूध का धुला हुआ तब भी नहीं था। कुछ पत्रकार बहुत सलीके से तब भी पेड न्यूज का संचालन कर रहे थे, लेकिन पेड न्यूज बहुत आम नहीं हुआ था। लेकिन इक्कीसवीं सदी आते-आते इसका पेड संस्करण खुलकर हमारे सामने आ जाता है। बल्कि पेड न्यूज को संस्थागत बनाने की कोशिशें बहुत ही सिद्दत से होती रही हैं, जो सफल भी रही हैं। बीच में पेड न्यूज को लेकर काफी हो हल्ला हो रहा था। कोर्ट ने भी इसके खिलाफ कुछ कड़वी टिप्पणियां की थी। लेकिन अब इसके खिलाफ कोई बोलता हुआ नहीं दिखाई देता है।
लेह का प्रकरण विचारणीय है। जहां आरोप लगता है कि भाजपा विधान परिषद सदस्य बिक्रम रंधावा ने चार पत्रकारों को लिफाफे दिए थे। उनसे कहा गया कि वे अभी इन्हें खोलें नहीं। लेकिन एक महिला पत्रकार ने उसे खोलकर देखा तो उसमें नोट भरे हुए थे। उन्होंने तुरंत इस लिफाफे को लौटा दिया। अन्य पत्रकारों ने भी यही किया। लेह प्रेस क्लब के अध्यक्ष मौरू ने इसके खिलाफ एक पत्र लिखकर शिकायत की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने धमकी दी है कि यदि प्रेस क्लब ने इस शिकायत को वापस नहीं लिया तो वह पत्रकारों के खिलाफ मानहानि का दावा करेंगे। यह घटनाक्रम 2 मई का बताया जाता है, जो अब खुलकर सामने आया है।

ShareSendTweet
Previous Post

जिलाधिकारी ने किया कपकोट का औचक निरीक्षण

Next Post

ब्रह्म मुहूर्त में खुले भगवान बदरीविशाल के कपाट

Related Posts

उत्तराखंड

अब राज्य में सरकारी सेवाओं में चयन का आधार केवल और केवल मेरिट, प्रतिभा व योग्यता है: धामी

July 12, 2025
13
उत्तराखंड

जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर छात्र-छात्राएं

July 12, 2025
13
उत्तराखंड

राष्ट्रीय खेलों के बाद उत्तराखंड में खेलों की नई उड़ान, सीएम धामी ने दिए लिगेसी प्लान पर तेज़ कार्यवाही के निर्देश

July 12, 2025
10
उत्तराखंड

सीएम धामी के नेतृत्व में हरेला पर्व पर रिकॉर्ड बनाएगा उत्तराखंड

July 11, 2025
16
उत्तराखंड

डोईवाला: खुले में कूड़ा फेंकने पर 10 हज़ार का जुर्माना लगाया

July 11, 2025
151
उत्तराखंड

उत्तराखंड में पाखंडियों पर शिकंजा कसने के लिए ऑपरेशन कालनेमि

July 11, 2025
17

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

अब राज्य में सरकारी सेवाओं में चयन का आधार केवल और केवल मेरिट, प्रतिभा व योग्यता है: धामी

July 12, 2025

जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर छात्र-छात्राएं

July 12, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.