ब्यूरो रिपोर्ट
देहरादून। 24 नवम्बर, आज सायं 4ः00 बजे दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से अंबेडकर की बात श्रंखला के अंतर्गत ज्वलंत विषय ‘सामाजिक न्याय: समाज में प्रचलित आख्यान और वास्तविकताएं‘ पर एक बौद्धिक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।दून पुस्तकालय के सभागार में आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक चिंतक सर्वेश्वर सिंह ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर वरिष्ठ साहित्यकार एडवोकेट रूपनारायण सोनकर ने कार्यक्रम में सहभागिता की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार एवं सामाजिक चिंतक प्रो. राजेश पाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं ने सामाजिक न्याय के इतिहास और जरूरत का उल्लेख करते हुए इसको एक प्रगतिशील एवं समतामूलक समाज बनाने की आवश्यक शर्त बताया। वक्तागणों ने यह भी बताया कि सामाजिक न्याय केवल भारत में ही नही अपितु विश्व के अनेक देशों में भी विभिन्न रूपों में उपलब्ध है। आज के समय में जरूरत इस बात की है सामाजिक न्याय को युक्तियुक्त एवं तर्कसंगत रूप से सामाजिक एवं राजनैतिक समानता के लिए लागू किया जाए।वक्ताओं ने कहा कि एक सभ्य समाज में प्राकृतिक असमानता एवं कानून जंगल राज के नियम जैसे है, इन्हें आधार बनाकर समाज में सामाजिक न्याय की गलत व्याख्याएं, धारणाएं तथा मिथक प्रचारित एवं प्रसारित होे जाने से समाज में अनावश्यक आक्रोश तथा वैमनश्य भाव का प्रसार होने लगता है। अतः सन्दर्भ में जरूरत इस बात की समझने की है कि प्रचलित गलत धारणाओं को तार्किक रूप से स्पष्ट कर एक बौद्धिक व जागरूक समाज बनाया जाए तथा समाज के समक्ष वास्तविकता लाई जाए जिससे कि एक प्रगतिशील एवं समतामूलक समाज का निर्माण हो सके, जो कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राज्य की एक आवश्यक जिम्मेदारी है। आज के इस ज्वलंत विषय के कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता एवं व्याख्याता कुलदीप सैनी ने किया।इस बातचीत पर सभागार में उपस्थित लोगों ने सम्बन्धित विषय से जुड़े अनेक बिन्दुओं पर सवाल-जबाब भी किये। इस अवसर पर सभागार में निकोलस हाॅफलैण्ड, सुन्दर सिंह बिष्ट, दीपा कौशलम,बिजू नेगी व चन्द्रशेखर तिवारी सहित शहर के अनेक सामाजिक चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्विजीवी, लेखक, साहित्यकार, पुस्तकालय के सदस्यगण तथा युवा पाठक उपस्थित रहे।