रिपोर्ट:कमल बिष्ट
गढ़वाल। मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करने पर पहाड़ों में कृषि कार्य में शिथिलता आ जाती है व पहाड़ी समाज के किसान, बहु-बेटियों को कार्यों से कुछ समय की छूट मिल जाती है ऐसे में पहाड़ की महिलाएं अपने माता-पिता भाई-बहन व नाते रिश्तेदारों से मिलने मेलों में मिलकर अपने सुख-दुख बांटते हैं। उत्तरायण में सूर्य के प्रवेश होते ही पहाड़ों में मेलों भी शुरुआत हो जाते हैं।मेलों की इस लोकपरम्परा में गढ़वाल मंडल में उत्तरायणी व मकर संक्रांति के लोकपर्व पर गेंद मेले का शुरू होता है। इस ऐतिहासिक एवं पौराणिक दृष्टि से गेंद मेला महत्वपूर्ण है गढ़वाल मंडल में इस परंपरा को दिव्य व भव्य ढंग से आयोजित किया जाता रहा है।उत्तराखंड के कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मवाकोट में शताब्दियों से इस परम्परा का निर्वाहन स्थानीय लोगों द्वारा बखूबी निभाया जा रहा है। इस बार मेले के 117वां आयोजन किया जा रहा है, जिसे मेला समिति द्वारा भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है। मेले का शुभारंभ कोटद्वार के उपजिलाधिकारी सोहन सिंह सैनी द्वारा किया गया। मेले के शुभारंभ पर विभिन्न महिला मंगल दलों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में गेंद को गाजे बाजे व पारम्परिक लोकनृत्य के साथ नवयुग सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल के स्कूली बैंड के साथ मंच पर लाया गया। उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक मवाकोट मेले की परंपरा रही है कि गेंद मेला में गेंद को सार्वजनिक किया जाता है।उत्तरायण के दिन विभिन्न ग्रामों में क्षेत्रीय स्तर पर गठित टीमों के द्वारा गेंद खेली जाती है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित किये जाते हैं, जिनमें से एक खेल वॉलीबॉल प्रतियोगिता का उपजिलाधिकारी द्वारा उद्घाटन किया गया।इस अवसर पर कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी नवीन केष्टवाल, शशिबाला केष्टवाल, हर्षवर्धन बिंजोला, विवेक भारती, महेंद्र सिंह बिष्ट, मनोज सिंह, भवानी दत्त जोशी, राजेश नेगी, अनूप सिंह नेगी, प्रमोद, शशिकांत, मोहनदेव, संतोष, हरेंद्र, विजय नैथानी, मुजीब नैथानी, प्रदीप, आदि मौजूद रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलदीप रावत अध्यक्ष मेला समिति तथा संचालन सुरजीत गुसाईं ने किया।