एंकर:कमल बिष्ट
कोटद्वार। स्व. सरोजनी देवी की 12वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखण्ड के हित में भू-कानून व चकबन्दी विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई।गोष्ठी की अध्यक्षता सर्वोदयी नेत्री शशिप्रभा रावत ने की। गोष्ठी के मुख्य वक्ता चकबन्दी के प्रणेता गणेश सिंह गरीब एवं विशिष्ट वक्ता समाजसेवी सुरेन्द्र लाल आर्य एवं दैनिक जयंत के सम्पादक नागेन्द्र उनियाल थे।गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये गणेश सिंह गरीब ने कहा कि केवल उत्तराखंड के अनुकूल भू-कानून व चकबन्दी से ही यहां का विकास हो सकता है। गरीब ने कहा कि सभी सरकारों ने भू-कानून कीकोरी घोषणाएं की है। लेकिन धरातल पर कार्य नहीं किया गया। जिसके कारण पलायन लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनायें केवल फाइलों तक ही सीमित हैं। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रह है। गरीब ने कहा कि मैं स्वयं अपने गांव में चकबन्दी कराकर फल, सब्जी व अनाज का उत्पादन कर रहा हूँ। जो मेरी आजीविका व रोजगार का एकमात्र साधन है। उन्होंने कहा कि आज का युवाश्रम से दूर रहकर ऐशो-आराम की जिन्दगी बसर करना चाहता है। उन्होंने कहा कि सरकार का भू-कानून राज्य को बरबादी के कगार पर पहुंचा देगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वजूद को बचाने के लिए राज्यहित में भूकान व चकवादी की नीति बनवाने के लिए आन्दोल के लिए तैयार रहना होगा।
अन्य वक्ताओं में सुरेन्द्र लाल आर्य, नागेन्द्र उनियाल, डॉ० शक्ति शैल कपरवाण आदि मौजूद थे। इस दौरान गोष्ठी में डॉ० नन्दकिशोर ढौंडियाल, वरिष्ठ साहित्यकार चक्रधर शर्मा कमलेश, पूर्व प्रधानाचार्य शिव प्रकाश कुकरेती, पूर्व प्रधानाचार्य प्रवेश चंद्र नवानी, पूर्व प्रधानाचार्य जनार्दन बुडाकोटी, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष पूरन सिंह रावत, विकास आर्य, गोविंद डंडरियाल, चित्रमणि देवलियाल, चंद्र प्रकाश नवानी, नेत्र सिंह रावत, विनय किशोर रावत, विनोद नेगी मनीष बिष्ट, चंद्र सिंह नेगी, दिनेश चंद्र जुयाल, नारायण सिंह नेगी, एस.एन. नौटियाल, कुंवर सिंह रावत, राजेन्द्र पंत पूर्व वन क्षेत्राधिकारी, राजेंद्र सिंह नेगी, दिनेश सिंह, अन्नपूर्णा जोशी, रिंकी रावत, विलोचना बिष्ट, बबीता नेगी आदि सम्मिलित रहे।कार्यक्रम का संचालन सुभाष चंद्र नौटियाल ने किया।