रिपोर्ट:प्रियांशु सक्सेना
डोईवाला। बुल्लावाला वार्ड दो में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य रमेश उनियाल ने कहा कि मनुष्य का क्या कर्तव्य है, इसका बोध श्रीमद्भागवत सुनकर ही होता है। कहा की मृत्यु निश्चित होने के बाद भी मनुष्य उसे स्वीकार नहीं करता है निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। कथा व्यास ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है जबकि शरीर नश्वर है उन्होंने कहा की भागवत बताता कि कर्म ऐसा करो जो निस्काम हो वही सच्ची भक्ति है। इस अवसर पर मनीष नैथानी, मीना नैथानी, सुमन, दुर्गा प्रसाद, राजेंद्र, प्रकाश, सचिन, सुरेंद्र थपलियाल, बालम सिंह, विश्वेश्वरी नैथानी, संतोष, आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।