कमल बिष्ट/उत्तराखंड समाचार।
कोटद्वार। श्रीमद्भागवत ज्ञान कथा यज्ञ के दूसरे दिन देवभूमि के प्रसिद्ध कथावाचक ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने व्यासपीठ से उपस्थित श्रद्धालू भक्तजनों को अपने मुखारविंद से प्रवचन देते हुए बताया कि बड़े से बड़े दुःख, बड़ी से बड़ी मुसीबतें और कष्ट, करुणा-निधान, करुणाकर प्रभु के स्मरण से कम होते हैं और जाते रहते हैं। वही असहायों का सहाय, निराश्रितों का आश्रय और निरवलम्बों का अवलम्ब है। दुनियाँ के बड़े-बड़े वैद्य, डाक्टर, राजा महाराजा और साहूकार प्रसन्न होने पर केवल शारीरिक कल्याण का कारण बन सकते हैं, परन्तु मानसिक व्यथा से व्यथित नर-नारी की शान्ति के कारण तो वही प्रभु हैं, जो इस ह्रदय मन्दिर में विराजमान हैं। दुनियाँ के और लोगों की तरह उसका सम्बन्ध मनुष्यों से शारीरिक नहीं, किन्तु मानसिक और आत्मिक है, वही है जो गर्भ में तथा ऐसी जगहों में जीवों की रक्षा करता है, जहाँ मनुष्यों की बुद्धि भी नहीं पहुँच सकती। यह बात लालपुर पद्मपुर कोटद्वार के एक वैडिंग प्वाइंट में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने कहा कि एक पहाड़ का भाग सुरंग से उड़ाया जाता है, पहाड़ के टुकड़े- टुकड़े हो जाते हैं, एक टुकड़े के भीतर देखते हैं एक तुच्छ कीट है जिसके पास कुछ अन्न के दानें पड़े हैं। बुद्धि चकित हो जाती है, तर्क काम नहीं देता, मन के संकल्प विकल्प थक जाते हैं, यह कैसा चमत्कार है, हम स्वप्न तो नहीं देख रहे हैं। भला इस कठोर ह्रदय पत्थर के भीतर यह कीट पहुँचा कैसे? और उसको वहाँ ये दाने मिले तो मिले कैसे ! वह आश्चर्य के समुद्र में डुबकियाँ लगाने लगता है। अन्त में तर्क और बुद्धि का हथियार डालकर मनुष्य बेसुध-सा हो जाता है। अनायास उसका ह्रदय श्रद्धा और प्रेम से पूरित हो गया, ईश्वर की इस महिमा के सामने सिर झुक गया और ह्रदय से निकल पड़ा कि हे प्रभो! आप विचित्र हो आपके कार्य भी विचित्र हैं। आपकी महिमा समझने में बुद्धि निकम्मी व मन निकम्मा बन रहा है, आप ही अन्तिम ध्येय और आश्रय हो, नाथ ! आपके ही आश्रय में आने से दुःख-दुःख नहीं रहते, कष्ट-कष्ट नहीं प्रतीत होते। इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती सुशीला बलूनी, प्रदीप बलूनी, अनिल बलूनी, अनुपम बलूनी, रमेश जखवाल, आयुष, धर्मानंद, राजेश, कुलदीप, हरीश, वीरेंद्र खंतवाल, आकाश, सरिता बलूनी, अभिलाषा, शशि, आस्था, अंजलि, राजेश्वरी खन्तवाल, शिखा जखवाल, सुशीला जखवाल, सुधीर दुदपुड़ी, दिवाकर भट्ट, संदीप बहुगुणा, हिमांशु मैथाणी, सूरज पाठक, अनिल चमोली, मणीलाल अग्रवाल आदि भक्तगण भारी संख्या में उपस्थित रहे।