देहरादून। परवादून कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहित उनियाल ने केंद्र सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी “रेवड़ियां” बाँट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे। ये देश की तरक्की का बजट नहीं, मोदी सरकार बचाओ बजट है। 10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों के लिए केवल सतही बातें हुईं हैं, डेढ़ गुना MSP और आय दोगुना करना सब चुनावी धोखेबाज़ी निकली। ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है। दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, माध्यम वर्ग और गाँव-ग़रीब लोगों के लिए कोई भी क्रांतिकारी योजना नहीं है, जैसी कांग्रेस-UPA ने लागू करी थी। “ग़रीब” शब्द केवल स्वयं की ब्रैंडिंग करने का ज़रिया बन गया है, ठोस कुछ भी नहीं है। महिलाओं के लिए इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो वर्कफोर्स में अधिक से अधिक शामिल हों। उल्टा महँगाई पर सरकार अपनी पीट थपथपा रही है, जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर वो पूंजीपति मित्रों में बाँट रही है। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट में आवंटन से कम खर्च किया है क्योंकि ये भाजपा की प्राथमिकताएँ नहीं हैं। इसी तरह कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 1 लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियाँ कहाँ से बढ़ेंगी? शहरी विकास, ग्रामीण विकास, Infrastructure, Manufacturing, MSME, Investment, EV योजना – सब पर केवल Document, Policy, Vision, Review आदि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। आये दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं, पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है। Census व जातिगत जनगणना पर भी कुछ नहीं बोला गया है, जबकि ये पाँचवा बजट है जो बिना Census के प्रस्तुत किया जा रहा है! ये हैरान कर देने वाली अप्रत्याशित नाकामी है – जो लोकतंत्र और संविधान के ख़िलाफ़ है।20 मई 2024, यानि चुनाव के दौरन ही, मोदी जी ने एक साक्षात्कार में दावा किया था कि “100 दिनों का Action Plan हमारे पास पहले से ही है। जब Action Plan, दो महीने पहले था, तो कम से कम बजट में ही बता देते। बजट में न कोई प्लान है और भाजपा केवल जनता से धोखेबाज़ी करने के एक्शन में व्यस्त है।