ब्यूरो रिपोर्ट। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्ता देश है। देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 95 करोड़ से अधिक है। आज देश की 2,13,000 पंचायत इंटरनेट से जुड़ी हैं। साइबर स्पेस का दुरुपयोग कोई नई बात नहीं है और विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध अक्सर देखे जाते हैं जिनमें मैलवेयर हमले, फिशिंग, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले, डेटा चोरी, ऑनलाइन आर्थिक धोखाधड़ी, बाल पोर्नोग्राफी आदि शामिल हैं। बढ़ते साइबर खतरों का जवाब देने के लिए संगठनों के पास प्रभावी साइबर सुरक्षा नीतियां होनी चाहिए।साइबर हमले काफी नुकसान पहुंचाते हैं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को जोखिम में डालते हैं। भारत की अपर्याप्त साइबर सुरक्षा अवसंरचना, नीतियां और जागरूकता के कारण हैकर्स के लिए सिस्टम की खामियों और कमजोरियों का फायदा उठाना आसान हो जाता है। तंत्र को सभी प्रकार के साइबर खतरों के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम बनाने के लिए एक व्यापक साइबर सुरक्षा नीति की आवश्यकता है। गौरतलब है कि साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग है और नरेंद्र मोदी सरकार इसे मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय गृह मंत्री ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के पहले स्थापना दिवस समारोह में कहा कि साइबर सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना देश की प्रगति संभव नहीं है। 2015 में केंद्र की स्थापना कानून प्रवर्तन एजेंसियों को साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए की गई थी।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आने के बाद से साइबर धोखाधड़ी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। उसका इस्तेमाल कर ठग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। अब केंद्र की सरकार ने इससे निपटने के लिए कमर कस ली है। अगले पांच वर्षों में पांच हजार कमांडो की तैनाती होगी। यह साइबर फ्रॉड से निपटने में प्रशिक्षित होंगे। साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।गृह ने साइबर कमांडो के अलावा कई नई योजनाओं की घोषणा की, जिससे साइबर अपराधियों पर नकेल कसी जा सके। उन्होंने साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (सीएफएमसी), साइबर क्राइम की जांच में समन्वय के लिए प्लेटफॉर्म और संदिग्ध साइबर अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री का एलान किया। शाह ने कहा कि साइबर सुरक्षा अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैबढ़ती साइबर धोखाधड़ी को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से साइबर कमांडो बनाने की योजना बनाई गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी साफ किया है कि साइबर सुरक्षा सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का अभी अहम पहलू है।साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में पूर्व से ही साइबर कमांडो बनाने की योजना चल रही थी। यह योजना अब धरातल पर उतरी है। जल्द ही इन चयनित पुलिसकर्मियों को साइबर कमांडों के प्रशिक्षण के लिए रवाना किया जाएगा।जिस तरह से साइबर ठग नए-नए तरीकों से ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, वह पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। ठग क्रिफ्टो करेंसी के माध्यम से यह धनराशि दुबई, कंबोडिया, पाकिस्तान, वियतनाम भेज रहे हैं। साइबर ठगी के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं और लोगों को अपने जाल में फंसा कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी कर रहे हैं. इसी कड़ी में देहरादून नगर निगम के नगर मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के ठगी का शिकार होने से बच गए, उन्होंने जागरूक होने से फ्रॉड कॉल को समय रहते पहचान लिया. ऐसे समय में जब देश में प्रौद्योगिकी को जमीनी स्तर तक ले जाया जा रहा है और अगर साइबर सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो यह देश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें सटीक तरीके से रणनीति बनाकर और उस पर एक साथ, एक ही दिशा में आगे बढ़ना होगा। साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 और आई4सी के अन्य प्लेटफॉर्म्स के बारे में जागरूकता फैलाने से इसकी उपयोगिता बढ़ेगी और अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी। साइबर सुरक्षित भारत बनाने के लिए सभी राज्य सरकारों को अभियान से जुड़कर गांवों और शहरों तक जागरूकता फैलाने का काम करना होगा। पूरे उत्तराखंड में इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एसटीएफ के रिकॉर्ड के मुताबिक जहां इस वर्ष सितंबर माह तक 84 केस साइबर क्राइम के दर्ज हुए हैं। वहीं, गत वर्ष ये संख्या महज 48 तक पहुंची थी। वहीं, वर्ष 2023 के एनसीआरपी (नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल)की करें तो गत वर्ष साइबर क्राइम के उत्तराखंड में 209954 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। जबकि, इस अगस्त यानि 8 महीनों में ये शिकायतें 12210 तक पहुंच गई है। जिस प्रकार से साइबर क्रिमिनल्स ने आम लोगों को लालच देकर करोड़ों रुपये ठगे। शिकायत दर्ज होने के बाद एसटीएफ की साइबर सेल ने भी कड़ी मेहनत के बदौलत साइबर ठगों और उनके द्वारा ठगी गई रकम को भी वसूलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। एसटीएफ ने जहां वर्ष 2022 में 2.36 करोड़, वर्ष 2023 में 7.09 करोड़ और वर्ष 2024 में जून तक 10.65 करोड़ रुपये साइबर ठगों से रिकवर किए और 45 ठगों व आरोपियों को जेल तक पहुंचाया। जिस प्रकार से साइबर क्रिमिनल्स ने आम लोगों को लालच देकर करोड़ों रुपये ठगे। शिकायत दर्ज होने के बाद एसटीएफ की साइबर सेल ने भी कड़ी मेहनत के बदौलत साइबर ठगों और उनके द्वारा ठगी गई रकम को भी वसूलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। एसटीएफ ने जहां वर्ष 2022 में 2.36 करोड़, वर्ष 2023 में 7.09 करोड़ और वर्ष 2024 में जून तक 10.65 करोड़ रुपये साइबर ठगों से रिकवर किए और 45 ठगों व आरोपियों को जेल तक पहुंचाया।