राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चे के नेतृत्व में कार्मिकों की पुरानी पेंशन बहाली पर निष्क्रियता के विरोध में दिनांक 7 नवम्बर को देहरादून में परेड ग्राउंड से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रदेशभर से 80 हज़ार कार्मिक प्रतिभाग करेंगे। कार्मिकों का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीरता से कोई कदम नही उठा रही है।
प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए पिछले लंबे समय सैकडों ज्ञापन दे चुके हैं। कई अनुनय विनय कार्यक्रम आयोजित कर चुके है। संयुक्त मोर्चा के लंबे संघर्ष को देखते हुए पेंशन उपसमिति का गठन सरकार ने किया । उससे भी कोई हल निकलता नही दिखा। संयुक्त मोर्चे के विधानसभा घेराव से पहले सरकार ने वार्ता का न्यौता दिया जिस वार्ता में एक माह के भीतर पुरानी पेंशन के विषय पर कार्यवाही होने का आश्वासन सरकार द्वारा मिला था। परंतु सरकार को पुरानी पेंशन के विषय पर रिप्रेजेंटेशन देने के बाद भी आज 2 माह तक कोई कार्यवाही इस ओर नही हुई है जो कि दुखद है। अतः अब सरकार को 80 हज़ार कार्मिकों के भविष्य के बारे में सचेत करने हेतु मजबूरन चेतावनी के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। अतः 7 नवम्बर को कार्मिक देहरादून पहुंच कर पुरानी पेंशन की विशाल रैली में अपनी प्रतिभागिता देकर सरकार को चेताने का प्रयास करें।
प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि पुरानी पेंशन पर अब और उदासीनता बर्दाश्त नही हो सकती सब्र की भी एक सीमा होती है। सालों से कई पिछली सरकारें इस विषय पर हमें बेवकूफ बनाती रही हैं लेकिन सरकारों के शायद मालूम नही की हर किसी का समय बदलता है। पुरानी पेंशन के मुद्दे में कितनी ताकत है इसका अनुभव 7 नवम्बर की रैली में सरकार को हो जाएगा। अब निवेदन बहुत हो चुके अब सिर्फ आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। राज्य के हर कार्मिक से निवेदन है कि संयुक्त मोर्चा की ताकत बने पुरानी पेंशन बहाली की इस महारैली में शामिल होकर पुरानी पेंशन की मुहिम को मजबूत करें।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष ड़ॉ डी सी पसबोला ने कहा कि यह विषय राज्य सरकार का है यह सरकार ने भी स्वीकार कर लिया है तो इसके बाद क्या वजह है जो सरकार की ओर से इस विषय पर कोई निर्णय नही किया जा रहा। कार्मिकों ने सभी विनम्र निवेदनों, सोशल मीडिया, ट्विटर, पोस्ट कार्ड हर माध्यम से सरकार को अपनी समस्या से विगत काफी लंबे समय से अवगत कराया है। परंतु सरकार की उदासीनता कार्मिकों के गुस्से को बढाने का काम कर रही है। कार्मिकों से निवेदन है कि सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराएं और 7 नवम्बर चेतावनी रैली को सफल बनायें
प्रदेश महिला अध्यक्ष योगिता पन्त ने कहा कि अब कार्मिक निवेदन करते करते थक चुका है । सरकार के सभी प्रतिनिधियों चाहे विधायक हो या पंचायत प्रतिनिधि सभी ने आश्वासन दिए कई वादों के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम सामने नही आये। अब पुनः सरकार को इस विषय की गंभीरता का एहसास कराना होगा। मेरा सभी कार्मिकों से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में देहरादून पहुंच कर इस महारैली को सफल बनायें।
प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र बिष्ट ने कहा कि हर चीज़ की एक सीमा होती है।अब पुरानी पेंशन के विषय पर उदासीनता असहनीय हो चुकी है। सरकार को जगाने के लिए पुनः कार्मिकों के एक विशाल और मजबूत प्रदर्शन की आवश्यकता है।क्योंकि जनतंत्र में सर गिने जाते हैं। अब नई पेंशन विहीनो से निवेदन है बिना किसी किंतु परंतु इस महारैली में अपनी प्रतिभागिता कर अपना भविष्य पुरानी पेंशन बहाली की मुहिम को मजबूती प्रदान कर
प्रदेश प्रेस सचिव डॉ कमलेश कुमार मिश्रा ने कहा कि यह अचंभित करने वाली बात है कि सारी केबिनेट और मुख्यमंत्री जी के पुरानी पेंशन के पक्ष में होने के बावजूद पुरानी पेंशन का विषय पर कोई खास कार्यवाही होती नही दिख रही सम्भवतः सरकार इस मुद्दे को गौण आंक रही है। इसलिए प्रदेश के 80 हज़ार कार्मिकों से निवेदन है कि अपने और अपने बच्चों के भविष्य के लिए सड़कों पर उतरने को तैयार हो जाएं। अधिक से अधिक संख्या में 7 नवंबर की महारैली को सफल बनाने की कृपा करें।
प्रदेश संयोजक मिलिन्द बिष्ट ने कहा कि अब यह सोचने का समय नही कि पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दा कौन हल करेगा। बल्कि अब समय है कि कार्मिक स्वयम सरकार को मजबूर कर दें कि पुरानी पेंशन पर कार्यवाही आवश्यक हो जाय। आइए सरकार को पुनः इस मुद्दे की गम्भीरता से अवगत कराएं। पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दा कितना अहम है।