चार किमी पैदल चलना पड़ता है पैका गांव पहुंचने के लिए
आजादी के 75 वर्षों के बाद भी जोशीमठ तहसील के अति नजदीक 13 किलोमीटर दूरी पर स्थित पैका गांव में आज भी 4 किलोमीटर विष्णु प्रयाग के पास एक पगडंडी इस गांव के लिए जाती है।
दुर्भाग्य की बात है कि गांव जोशीमठ नगर पालिका से काफी दूर होने के बाद भी इसे नगरपालिका में ही रखा गया है। गांव में मूलभूत सुविधाएं का टोटा आज भी बना हुआ है। आशा आंगनबाड़ी कागजों में तो सुविधाएं हैं, दूर होने के कारण इसका लाभ ग्रामीण नहीं उठा पाते हैं। मूलभूत सुविधाओं के लिए क्षेत्रीय लोग लगातार संघर्ष करते हैं। यहां जब कभी कोई महिला प्रसव के समय चिकित्सा सुविधा के लिए भटकते हैं, यहां से गांव से पैदल डंडी कंडी के सहारे महिला को पहुंचाते हैं सड़क तक, उसके बाद अस्पताल तक पहुंच पाते हैं। पिछले वर्ष गांव के एक नागरिक को गुलदार के द्वारा रास्ते में जोशीमठ जाते समय मार दिया था।
इतना ही नहीं गांव में रोजगार के कोई साधन नहीं हैं। नगरपालिका की भी कोई महत्वपूर्ण योजना इस गांव में संचालित नहीं है। गांव में पंचायत भवन एक कमरा विधायक निधि से आज से 15 वर्ष पूर्व बना है। बाकी यहां आने जाने का रास्ता भी बड़ा खराब है। क्षेत्र में विकास की पीड़ा निरंतर लोग झेल रहे हैं। स्थानीय लोगों से जब बात की गई लोगों ने बताया कि सिर्फ नेता लोग चुनाव के समय आते हैं, उसके बाद हमें भूल जाते हैं।
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट