रिपोर्टर: प्रकाश कपरूवाण।
जोशीमठ : शहरी वातावरण के वाबजूद स्थानीय देवपुजाई समिति द्वारा पौराणिक परंपराओं का पूरे धार्मिक रीति रिवाज के साथ निर्वहन किया जा रहा है। इस वर्ष पांडव नृत्य का आयोजन तय था तो बुधवार को शुभारंभ हुआ।
नरसिंह मंदिर मठागण मे पांडव नृत्य आयोजन से पूर्व प्रातः अग्नि प्रज्ज्वलन व यज्ञ के बाद स्थानीय देवी देवताओं के पश्वाओं”अवतारी पुरुष”द्वारा पांडव के विभिन्न पश्वाओं-पात्रों को अवतरित कराया गया और दोपहर बाद पांडव मंदिर ज्योतिर्मठ से पांडवो के हथियार-धनुष बाण आदि को पूरी परंपरा के साथ मठागण लाया गया और पांडव निर्त्य का विधिवत शुभारंभ हुआ।ज्योतिर्मठ-जोशीमठ पूरे पैनखंडा का केन्द्र स्थान है ,और ज्योतिर्मठ की स्थापना के बाद के वर्षों से ही विभिन्न देवी देवताओं के धार्मिक कार्य होते रहे हैं,जाख देवता भ्रमण, तिमुण्डा मेला, चंडिका उत्सव”फूलकोठा”पांडव निर्त्य, व मुखौटा निर्त्य का आयोजन मठागण में होता रहा है। लेकिन बाद में अन्य आयोजन तो होते रहे लेकिन पांडव निर्त्य व मुखौटा निर्त्य का आयोजन नहीं हो सका।
स्थानीय देवपुजाई समिति ने पौराणिक परंपरा को पुनर्जीवित करते हुएअन्य धार्मिक कार्यक्रमों के साथ पांडव निर्त्य आयोजन की शुरुआत की और अबहर एक वर्ष के अंतराल मे पांडव निर्त्य का आयोजन होता है।
देवपुजाई समिति अब मुखौटा निर्त्य के आयोजन पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।
देवपुजाई समिति के अध्यक्ष भगवती प्रसाद नंबूरी के अनुसार धार्मिक कार्यक्रमों व पौराणिक परंपराओं को जीवंत रखने के लिए समिति निरंतर प्रयासरत है, और ग्रामवासियों के सहयोग से सभी परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है।