रिपोर्टर-प्रियांशु सक्सेना
डोईवाला। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में चिकित्सकों ने पहली बार आधुनिक तकनीक रेट्रोपेरिटोनोस्कोपिक नेफरेक्टोमी विधि से महिला की सफल सर्जरी की। सर्जरी के बाद महिला पूरी तरह स्वस्थ है और उसे तीसरे दिन अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया है।
हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के एबडोमिनल ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन विभाग के सर्जन डॉ कर्मवीर सिंह ने बताया कि सिरमौर हिमाचल प्रदेश निवासी 64 वर्षीय सुरेन्द्र जीत कौर हायड्रोनेफ्रोसिस किडनी की बीमारी जिसमें एक किडनी निष्क्रिय हो गयी थी, से पीड़ित थी। बांयी किडनी के पेशाब के रास्ते में रूकावट आ आने के कारण वह निष्क्रिय हो गयी थी और इसका इलाज सिर्फ सर्जरी ही था।
अपने किसी जानकार के माध्यम से महिला व उनका पु़त्र हिमालयन हॉस्पिटल में डॉ कर्मवीर सिंह से मिले और उन्हें अपनी पूर्व में की गयी जांचे दिखायी। जांच रिपोर्ट देखने के बाद डॉ कर्मवीर सिंह ने उन्हें दूरबीन विधि में सबसे आधुनिक तकनीक रेट्रोपेरिटोनोस्कोपिक नेफरेक्टोमी के बारे में बताया जिसके लिए मरीज व उनके परिवार वाले सहमत हो गये।
इसके बाद महिला की कुछ सामान्य जांचेे करायी गयी। डॉ कर्मवीर सिंह ने सफलतापूर्वक महिला बांयी किडनी को निकाल दिया। डॉ बंटी बंसल, डॉ यासिर अहमद और एनेस्थेटिक डॉ रोहन भाटिया ने सर्जरी में उन्हें अपना सहयोग दिया। कुलपति डॉ विजय धस्माना व मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ एसएल जेठानी ने पूरी टीम को इस आधुनिक तकनीक से सफल सर्जरी करने पर बधाई दी।
रेट्रोपेरिटोनोस्कोपिक नेफरेक्टोमी आखिर क्या है एबडोमिनल ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन विभाग के डॉ कर्मवीर सिंह ने बताया कि दूरबीन विधि से किडनी के आपरेशन करने का फायदा यह है कि इसमें दर्द व चीरा न के बराबर होता है। इसमें पसलिया नहीं काटनी पड़ती है।
दूरबीन विधि में भी रेट्रोपेरिटोनोस्कोपिक नेफरेक्टोमी सबसे आधुनिक तकनीक है। इसमें मरीज के पेट में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जिससे आंत, पेट, स्प्लीन, लीवर के फूटने का भी खतरा नहीं होता है। विदेश व भारत में कुछ ही चुनिंदा अस्पतालों में ही इस विधि से आपरेशन किया जाते है।