रुद्रप्रयाग। सोर्स सेग्रिगेशन अभियान के तहत घरों में कूड़ा एकत्रित करने गई टीम के साथ पशुपालन विभाग के फार्मासिस्ट चन्द्र सिंह रावत ने अभद्रता की। घर में गई टीम ने फार्मासिस्ट का वीडीओ बनाया और जिलाधिकारी को भेज दिया। इसके बाद जिलाधिकारी की ओर से कड़ी कार्यवाही करते हुए फार्मासिस्ट के वेतन पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी गई है। इसके पहले भी फार्मासिस्ट की ओर से केन्द्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि के छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार किया गया।
दरअसल, इन दिनों जिले में सोर्स सेग्रिगेशन अभियान चलाया जा रहा है। घरों में जाकर लोगों को जानकारी दी जा रही है कि गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग रखा जाय, जिससे उनका उपयोग किया जा सके। अभियान के तहत स्कूली छात्र जब पशुपालन विभाग में तैनात फार्मासिस्ट चन्द्र सिंह रावत के घर पहुंचे तो कर्मचारी ने छात्रों के साथ अभद्र तरीके से बात की और उन्हें वहां से जाने को कहा। छात्रों और फार्मासिस्ट के बीच काफी बोलचाल भी हुई, जिसकी उन्होंने वीडीओ बना डाली और जिलाधिकारी को भेज दी। वीडीओ में साफ है कि छात्र फार्मासिस्ट कूड़े को लेकर बात कर रहे हैं और पशु पालन का कर्मचारी गलत तरीके से छात्रों के साथ बात कर रहा है। ऐसे में मामले में शीघ्र एक्शन लेते हुए जिलाधिकारी ने फार्मासिस्ट के वेतन पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि पूर्व में कार्मिक की ओर से सोर्स सेग्रिगेशन सप्ताह के दौरान केन्द्रीय विद्यालय के छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। ऐसे में अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी जरूरी है। जिलाधिकारी ने समस्त अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये कि यदि किसी भी अधिकारी की ओर से कार्य क्षेत्र व कार्यक्रम के दौरान अभद्रता की जाती है तो उस अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध आचरण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। कहा कि कार्मिको को मृदु व्यवहार अपनी कार्यशैली में प्रयोग करना चाहिए। उच्च शिक्षा का तात्पर्य मेयर उच्च पद ही नहीं, अपितु उनके व्यवहार से प्रदर्शित होता है। वहीं दूसरी ओर सोर्स सेग्रिगेशन की टीम एसडीएम रुद्रप्रयाग के घर पहुंची तो उन्हे वहां गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग नहीं मिला। छात्रों ने एसडीएम साहब को समझाते हुए गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग रखने को कहा। इस पर एसडीएम भड़क गये और उन्हें जाने को कहा। टीम ने घटना का वीडीओ बना डाला, जो अब वायरल हो रहा है। कुल मिलाकर देखा जाय तो प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी ही सोर्स सेग्रिगेशन अभियान पर पलीता लगाने में लगे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब कर्मचारी एवं अधिकारी ही नियमों का उल्लंघन करेंगे तो जनता में कैसा संदेश जायेगा।