हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली।
विकासखंड थराली के अंतर्गत सोल पट्टी क्षेत्र में अब खाद्यान सहित रोजमर्रा की वस्तुओं की किल्लत होने लगी है। हालात कितने बत्तर होने लगें हैं कि इस क्षेत्र में 1 किलो चीनी 80 से 82 रूपए में मिल पा रही हैं। अभी भी इस सड़क को खुलने में एक माह से अधिक समय लग सकता हैं।
पिछले माह 22 अगस्त को थराली क्षेत्र में बड़ी तादाद में बादल फटने के कारण जानमाल के नुकसान के साथ ही सड़कों को भारी क्षति पहुंची। 22 की रात को ही भारी बारिश के साथ ही बदलों के फटने के कारण सोल क्षेत्र की मुख्य एवं जीवनदायनी सड़क थराली से सोल डुंग्री 10 किलोमीटर सड़क किमी 0 से 10 तक कई स्थानों पर अवरूद्ध ही नही 100 मीटर तक बह कर प्राणमती गद्देरे में समां गईं हैं। पीएमजीएसवाई कर्णप्रयाग डीविजन के द्वारा 16 दिनों में किलोमीटर 0 केदारबगड़ से किमी 1 कोटडीप तक भी सड़क नही खोल पाया है ऐसी स्थिति में समझा जा सकता हैं कि इस सड़क को विभाग कब तक यातायात के लिए खोल पाएगा। इसके अलावा सोल क्षेत्र के अंतर्गत डुंग्री-रूईसाण,डुंग्री-रतगांव,डुंग्री-बूंगा मोटर सड़कें भी बुरी तरह से अवरूद्ध पड़ी हुई हैं। 15 हजार से अधिक जनसंख्या वाले सोल क्षेत्र के लोग भी अब पूरी तरह से आपदा की पीड़ा से कराहाने लगें हैं।
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थराली-सोल डुंग्री, थराली-कुराड़-पार्था मोटर सड़कों के अवरूद्ध पड़े होने के कारण सोल क्षेत्र पिछले 16 दिनों से मैन-केरा,डुंग्री, रूईसाण,बूंगा,गेरूड,कोलपुड़ी,रतगांव,गुमड़,लेटाल,कुराबड़,पार्था आदि गांवों में खाद्यान्न सहित दैनिक उपयोग की सामग्रियों की आपूर्ति पूरी तरह से ठप पड़ी हुई हैं।इन क्षेत्रों में चीनी, चायपत्ती,नमक,तेल सहित अन्य वस्तुओं की कमी होने की बात कही जा रही हैं।
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थराली -डुंग्री सड़क इस कदर टूटी हुई हैं कि डुंग्री से थराली 10 किलोमीटर पैदल आने में 5 से 6 घंटे लग रहें हैं। दरअसल सड़क के कई स्थानों पर भारी भूस्खलन होने एवं सड़क के वासआउट होने के कारण ग्रामीणों की नीचे ऊपर चढ़ उतर कर आना जाना पड़ रहा हैं।केरा गांव के गौर सिंह रावत ने बताया कि खुद उनको केरा से थराली 7 किलोमीटर आने में साढ़े तीन घंटे लग गए।
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सोल क्षेत्र के आपदा पीड़ितों को अपने परम्परागत बाजार थराली को छोड़ कर देवाल एवं नंदानगर के बाजारों में जा कर जरूरी दैनिक जरूरतों के सामानों को लाने के लिए जाना पड़ रहा हैं। रूईसाण के ग्रामीण नंदानगर के कस्बों में जा कर,रतगांव के ग्रामीण देवाल के लोहाजंग,पार्था गांव वाले देवाल के बेराधार से जरूरी सामानों को ला कर अपनी दिनचर्या चलाने पर मजबूर बनें हुए हैं।
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सोल क्षेत्र के लोगों को दवाओं के लिए भी भारी मशक्कत करनी पड़ रही हैं।जो लोग रोजाना दवाओं के सेवन करते हैं उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि सरकार के द्वारा प्रसुती महिलाओं को हेलीकॉप्टर से लिफ्ट कर उनका सुरक्षित प्रसव करवाया है। बूंगा के भरत सिंह फर्स्वाण एवं मोहन सिंह फर्स्वाण ने बताया कि दवाओं के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा हैं।
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सोल डुंग्री क्षेत्र में रसद एवं अन्य जीवन यापन की अन्य वस्तुओं की आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री से वार्ता का प्रयास किया जा रहा हैं।जिस भी तरह की जरूरत होगी कार्रवाई अमल में लाई जा रही हैं, सीएम से हेलीकॉप्टरों से पीड़ित क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करवाने का निवेदन किया जाएगा। मैं इस संबंध में लगातार तहसील प्रशासन थराली के संपर्क में हूं। पीड़ितों को हरसंभव मदद पहुंचाई जाएंगी।
भूपाल राम टम्टा
विधायक थराली
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सोल क्षेत्र में खाद्यान्न एवं जरूरी वस्तुओं के संबंध में वे सोल क्षेत्र के ग्राम प्रधानों से जानकारी इकट्ठा की जा रही हैं। इसके अलावा राजस्व उपनिरीक्षक को क्षेत्र में भेजा गया हैं। उनकी रिपोर्टिंग के आधार पर जरूरी निर्माण लिए जाएंगे। संभव है कि हेलीकॉप्टर से सोल क्षेत्र में रसद एवं अन्य सामग्रियों की आपूर्ति की जाएगी।
पंकज भट्ट
उपजिलाधिकारी थराली
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थराली -डुंग्री मोटर सड़क थराली 0 किमी 10 तक कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण बुरी तरह अवरूद्ध पड़ी है आपदा के बाद 0 किमी से केदारबगड़ तक करीब आधा किलोमीटर सड़क को यातायात के लिए खोल दिया था किन्तु शुक्रवार को भारी बारिश के कारण मार्ग फिर अवरूद्ध हो गया हैं।डुंग्री मार्ग जहां जगह, जगह भूस्खलन हुआ हैं,वही आधे दर्जन से अधिक स्थानों पर करीब 500 मीटर सड़क पूरी तरह से बह गई हैं। सड़क खोलने के लिए 2 पोकलेन मशीन,1 जेसीबी,8 डंपर,75 मजदूर लगाएं गऐ हैं। सड़क को खोलने में एक माह का समय लग सकता हैं।
प्रमोद गंगाड़ी
ईई पीएमजीएसवाई
कर्णप्रयाग
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थराली के पूर्व प्रमुख सुशील रावत ने सोल क्षेत्र की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री से सोल क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से रसद एवं अन्य जीवन यापन की जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने की मांग करते हुए बताया कि मंगलवार को थराली पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी सरकार से छोटे हेलीकॉप्टर के बजाय चिनूक हेलीकॉप्टर से सोल घाटी में राहत सामग्री पहुंचाने की मांग की हैं।