रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध लोक पर्व फूलदेई आज से धूमधाम से मनाया जा रहा है। जनपद रुद्रप्रयाग के सभी गाँवों में आज चैत्र मास की संक्रान्ति से वसन्त ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है, फूलदेई पर्व, प्राचीन मान्यताओं व परंपरा के अनुसार बसन्त का स्वागत चैत्र मास की संक्रान्ति से होता है। उत्तराखण्ड में इसे फूलदेई पर्व के रूप में मनाते हैं। साथ ही घोंगा देवता की डोली को पूजते हैं।
आपको बता दें कि फूलदेई पर्व पर बच्चे सूर्योदय से पहले गाँव के सभी घरों की देहरियों, चोखट को रंग बिरंगे फूलों से सजाते हुए घर-परिवार की सुख.समृद्धि की कामना करते हैं और फूलदेई पर्व के गीत गाते हुए टोलियों में घर-धर जाते हैं।
फूलदेई पर्व चैत्र मास की संक्रान्ति से शुरू होता है, हालांकि कुछ जगहों पर फूलदेई पर्व 8 दिनों तक तो कुछ जगहों पर पूरे चैत्र मास तक मनाया जाता है। फूलदेई को लेकर अलग.अलग मान्यताएं भी हैं, मगर पहाड़ों में इसे चैत्र मास की संक्रान्ति से बसन्त के आगमन के रूप में मनाया जाता है।
गाँवों के छोटे बच्चे शाम को अपनी रिंगाल की टोकरियों, हतकन्डी पर फ्योंली, बुरांश, सिलपाड़ी, पैंयया आदि के ताजे फूल लेकर आते हैं और दूसरे दिन सूर्य निकलने से पहले गाँव के सभी घरों की चौखट देहरी पर सजा देते हैं, इसके बदले में इन्हें चावल, दाल, गुड़, पैसा दिया जाता है।आठ दिनों बाद बच्चे इन चावलों, दाल, गुड़ से सामूहिक भोग पकवान बनाकर फूलदेई पर्व के विसर्जन करते हैं।
यह पौराणिक पर्व आपस में एकजुटता, प्यार, प्रेम व खुशहाली का ध्योतक भी है। हालांकि फूलदेई पर्व को लेकर अलग.अलग मान्यताएं भी हैं, मगर पूरे उत्तराखण्ड में इसे लोक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा है।