


प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। जैव विविधता के लिए विख्यात सीमांत जिला चमोली के उर्गम घाटी में अज्ञात बीमारी से निरीह जंगली प्राणी हिरन बड़ी संख्या में मारे जा रहे हैं। इन बिना जुबान की प्राणियों को क्या बीमारी है? इतनी बड़ी संख्या में ये कैसे मर रहे हैं, इस पर अभी संशय बना हुआ है।
हिरनों के दम तोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है। शुक्रवार को भी एक हिरन भेटा व पिलखी गांवों के बीच गरसा गधेरे के पास मरा हुआ मिला। कुत्ते उसके शव को नोच रहे थे। उर्गम घाटी की संस्था जनदेश के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी के अनुसार इससे पूर्व भी द्वारिधार व मोरसा के जंगलों में भी हिरनों के शव देखे गए हैं।
बताया जा रहा है कि इन हिरनों के शरीर से बाल निकले हुए हैं। शरीर पर चत्ते निगले हुए हैं। जंगली सुअरों में इसी तरह की बीमारी देखी गई है। क्षेत्रवासियों ने वन विभाग से आग्रह किया है कि हिरनों में हो रही इस जान लेवा बीमारी से इन जंतुओं का बचाने के लिए तुरंत प्रयास किए जाने चाहिए।