डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड, जिसे हम श्रद्धा और आस्था की भूमि के रूप में जानते हैं,
जहां हर घाटी, हर पर्वत और हर धारा में सनातन संस्कृति की गूंज
सुनाई देती है. वही उत्तराखंड आज एक गंभीर खतरे से जूझ रहा है. यह
संकट बाहर से नहीं, भीतर से है. ढोंगी बाबाओं और साधुओं की ऐसी
टोली इस देवभूमि पर पैर पसार रही है, जो धर्म की आड़ में अधर्म फैला
रही है.हिंदुत्व की हार्डकोर लाइन पर बिना रूके आगे बढ़ रहे मुख्यमंत्री
ने लैंड जेहाद, लव जेहाद, मजार जेहाद के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के
बाद गुरूवार को ऑपरेशन कालनेमि लांच कर दिया है. कालनेमि
रामायण काल में एक राक्षस का नाम था, जिसने छदम वेश धारण कर
संजीवनी लेने जा रहे हनुमान का रास्ता रोकने की कोशिश की थी.
हनमुान ने इस राक्षस का वध कर दिया था.ऑपरेशन कालनेमि ठीक
ऐसे समय में लॉच किया गया है, जब कल 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा
शुरू होने जा रही है. कालनेमि एक ऐसा अभियान है जो धार्मिक आस्था
की आड़ में ठगी और अपराध करने वालों के खिलाफ चलेगा. दरअसल,
पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में कई जगहों से ऐस छदम वेशधारी
असामाजिक तत्व पकड़े जा रहे थे, जो साधु-संतों के वेश में भोले-भाले
नागरिकों और खासकर महिलाओं को ठगने का काम कर रहे हैं. कांवड
जैसी धार्मिक यात्रा में बड़े पैमाने पर ऐसे छदम वेशधारी असामाजिक
तत्व प्रवेश कर जाते हैं.मुख्यमंत्री ने एक्स पर लिखा- “देवभूमि
उत्तराखंड में सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने और उनकी
भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले छद्म भेषधारियों के खिलाफ
ऑपरेशन कालनेमि शुरू करने के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए.”
उन्होंने आगे लिखा कि प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां
असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों, विशेषकर
महिलाओं को ठगने का कार्य कर रहे हैं. इससे न सिर्फ लोगों की धार्मिक
भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन
परंपरा की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में किसी भी धर्म का
व्यक्ति यदि ऐसे कृत्य करता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी
कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.’ जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का
भेष धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज समाज में
कई “कालनेमि” सक्रिय हैं जो धार्मिक भेष धारण कर अपराध कर रहे हैं.
हमारी सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और
सामाजिक सौहार्द बनाये रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. आस्था के
नाम पर पाखंड फैलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा.
कांवड यात्रा के दौरान छदम नामों से होटल, ढाबे चला रहे लोग भी
इसकी जद में होंगे. उत्तराखंड में इससे पहले मुख्यमंत्री धार्मिक प्रतीकों
के नाम पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ सख्त अभियान चला चुके हैं.
ये अभियान अभी भी जारी है. अभी तक इसके तहत साढे पांच सौ
अवैध मजारें ध्वस्त की जा चुकी है. मुख्यमंत्री ने अब ऑपरेशन
कालनेमि के तहत सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने यह
स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक
पहचान को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने दिया जाएगा.
जनता से भी अपील की हैं. दरअसल, हाल के समय के दौरान प्रदेश में
कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का
भेष धारण कर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठगने का कार्य करते
पकड़े गए हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ऐसे तत्वों के
खिलाफ ऑपरेशन कालनेमि शुरु करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने
कहा है कि ऐसे तत्वों के कारण न सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाएं
आहत हो रही हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन की छवि को
भी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि इस
तरह का कृत्य करता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई
सुनिश्चित की जाएगी। जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का भेष
धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज भी समाज में
कई “कालनेमि” सक्रिय हैं, जो धार्मिक भेष धारण कर अपराध कर रहे
हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की
गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाये रखने के लिए पूरी तरह
प्रतिबद्ध है। आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वालों को किसी भी सूरत
में बख्शा नहीं जाएगा। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार*
*दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*