राज्य के माननीय मुख्यमंत्री ने दिल्ली में माननीय प्रधानमंत्री जी के सम्मुख और अन्य मंत्रीगणों के सम्मुख भी राज्य के हित के कुछ गंभीर प्रश्नों को उठाया है, उनमें दो प्रश्नों पर हम सबकी सद्भावनाएं भी उनके साथ हैं। पहली मांग, जीएसटी लागू होने के बाद जिन राज्यों को नुकसान हुआ, उनमें से एक उत्तराखंड राज्य भी है, जिनका हिस्सा कम हुआ तो उनको क्षतिपूर्ति देने की समयावधि समाप्त हो रही है। उसको बढ़ाया जाना चाहिए, कम से कम दस साल और दूसरी मांग जो उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी के सम्मुख रखी है कि हमको हमारा हक़ मिल जाय, टिहरी डैम क्योंकि हमारी धरती पर बना है और यदि अविभाजित उत्तर प्रदेश का रूपया लगा है तो उसका अर्थ यह नहीं है कि अविभाजित उत्तर प्रदेश अनंत काल तक जो 25 प्रतिशत शेयर है, टिहरी डैम में उनका वो उनको ही मिलता रहे। यह कानूनन अब उत्तराखंड को मिलना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी यह गलती कर चुके हैं। परिसम्पतियों के बंटवारे को लेकर के उत्तर प्रदेश को यह वचन दे चुके हैं कि जिस कोर्ट में परिसम्पतियों को लेकर लंबित मामले हैं, उनको वापस ले लिया जायेगा। अन्यथा न्यायालय से भी हमारे पक्ष में ही फैसला होता। अच्छा है, प्रधानमंत्री जी यह फैसला कर दें, टिहरी डैम में जो हिस्सा इस समय उत्तर प्रदेश को जा रहा है, वह हिस्सा भी हमको मिलना चाहिए। देखते हैं, प्रधानमंत्री जी का उत्तराखंड प्रेम केवल हमारी टोपी पहनना और चंद गढ़वाली और कुमाऊंनी के शब्द बोलने तक सीमित है या इन बुनियादी सवालों पर वो हमारे पक्ष में खड़े होते हैं!