• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

भारतीय संस्कृति की सुगन्ध विदेशों में बिखरने वाले गौरव पुरुष स्वामी विवेकानंद

05/07/21
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
0
SHARES
289
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

 युगपुरुष स्‍वामी विवेकानंद का उत्‍तराखंड से गहरा नाता रहा है। प्रकृति की शांत वादियां और हिमालय की आध्‍यात्मिक शक्ति उन्‍हें कुमाऊं उन्‍हें कुमाऊं खींच लाई थी। स्‍वामी उनका मत था कि हिमालय की ओर बढ़ता मानव मन स्वत: ही आध्यात्म में डूब जाता है। यही वजह रही कि वे चाहते थे हिमालय की शांति व निर्जनता में एक ऐसा मठ स्‍थापित हो जहां अद्वैत की शिक्षा व साधना दोनों हो सके। वह मानते थे कि देवभूमि होकर भी यहां अद्वैत अर्थात जीवात्मा एवं परमात्मा में कोई फर्क नहीं। इसी उद्देश्य को ध्‍यान में रखते हुए उनके अनुयाइयों द्वारा एक शताब्दी पूर्व चम्‍पावत जिले में लोहाघाट के निकट घने जंगलों के बीच मायावती में अद्वैत आश्रम की स्थापना की गई।

स्वामी जी के शिष्य सेवियर दंपत्ति द्वारा इस आश्रम का निर्माण 19 मार्च 1899 में कराया गया। स्वामी गंभीरानंद द्वारा लिखित स्वामी विवेकानंद की जीवनी ‘युग नायक विवेकानंद’ के अनुसार, 1890 में नैनीताल, अल्मोड़ा, कर्ण प्रयाग, रुद्रप्रयाग होते हुए वे श्रीनगर आए, इसके बाद स्वामी विवेकानंद भागीरथी दर्शन के लिए टिहरी गए और भागीरथी व भिलंगना के संगम गणेश प्रयाग में कुटिया बनाकर रहे। वहां से स्वामी विवेकानंद देहरादून आयेभारत को आध्यात्मिक विश्व गुरू के रूप में प्रतिष्ठित करने व युवा भारत  को जागृति का सन्देश देने वाले स्वामी विवेकानंद का अल्मोड़ा नगर से निकट का सम्बन्ध रहा है।

स्वामी विवेकानंद का अल्मोड़ा नगर से सम्बन्ध तब का है, जब वे केवल नरेन्द्रनाथ थे, तब वे विश्वप्रसिद्ध नहीं हुए थे, उनकी विश्व ख्याति नहीं हुई थी।  वर्ष 1890 में हिमालय यात्रा के समय, एक आम संन्यासी की तरह वे अपने गुरू भाई अखंडानंद के साथ पहली बार यहाँ आये थे। स्वामी जी तीन बार अल्मोडा़ आये । अपने अल्मोड़ा प्रवास के दौराना स्वामी जी कसारदेवी की गुफा में ध्यान करते थे। यह उनकी साधना स्थली रही है। देवलधार और स्याहीदेवी भी उनके प्रिय स्थल थे। शिकागो में 1893 में दिये गये ऐतिहासिक भाषण के बाद ही स्वामी जी का स्वप्न बन गया था कि भारत वर्ष को आध्यात्मिक रूप से उपर उठाया जाये।

सम्भवतः उतिष्ठितः भारत के मूल विचार की प्ररेणा भी उन्हें अल्मोड़ा से ही प्राप्त हुई। स्वामी जी ने हिन्दी में अपना पहला भाषण राजकीय इण्टर कालेज अल्मोड़ा में दिया था।वर्ष 1898 में अल्मोड़ा में अपना व्याख्यान देते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि किसी भी व्यक्ति के रास्ते या विचार अलग हो सकते है, लेकिन विभिन्न धर्मो को मानने वाले लोगों का लक्ष्य एक ही होता है – सर्वव्यापी ईश्वर से एकाकार। इसलिए दो समुदायों या समूहों में आपस की लड़ाई व्यर्थ है। स्वामी जी ने देशवासियों से धर्म-संप्रदाय संबंधी मतभेदों को भुलाकर देश हित के लिए अपने प्राण न्योछावर करने का उपदेश दिया। स्वामी जी के भाषणों का संग्रह ‘ कोलम्बो से अल्मोड़ा तक ’ नाम से प्रकाशित हुआ है।

अल्मोड़ा पुनःआगमन की अविस्मरणीय घटना को चिरस्थायी बनाने के लिए सार्वजनिक अभिनन्दन सभा स्थान पर विवेकानंद कृषि संस्थान के विश्राम कक्ष की स्थापना की गई। इस विवेकानन्द मेमोरियल विश्राम कक्ष की स्थापना 1971 में की गई। स्वामी जी के अल्मोड़ा प्रवास का साक्ष थाम्पसन हाउस भी है। अब यहां एक सरकारी कार्यालय है। अल्मोड़ा बाजार में एक निजी भवन में स्वामी जी ने दो बार प्रवास किया था। इस भवन के मालिक स्वामी जी के अभिन्न मित्र श्री बद्रीशाह थे, जिनके आतिथ्य में स्वामी जी अल्मोड़ा में रहते थे। स्वामी जी ने इस भवन में 1898 में निवास किया था। स्वामी जी की शिष्या भगनी निवेदिता के प्रवास स्थल ओकले हाउस का नाम बदल कर अब निवेदिता काटेज कर दिया गया है।द्रोणनगरी देहरादून को भी स्वामी विवेकानंद के दर्शन का दो बार सौभाग्य मिला।

13 अक्टूबर 1890 को बदरीनाथ से लौटते वक्त पहली बार स्वामी जी देहरादून आए। मसूरी से आते हुए 13 अक्टूबर1890 को वे अपने गुरुभाई स्वामी तुरीयानंद से मिले। स्वामी तुरीयानंद राजपुर स्थित बावड़ी मंदिर के नीचे गुफा में तपस्यारत थे। स्वामी विवेकानंद ने वहां अपने गुरु भाई से भेंट की। दून आकर स्वामी विवेकानंद दूनघाटी के शांत, वातावरण से बहुत ही अभिभूत हुए। यहां वे तीन हफ्ते रहे और बाबड़ी शिव मंदिर में 13 दिन गुजारे। यह कमरा और स्थल लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।

देहरादून से स्वामी विवेकानंद ऋषिकेश गए।शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़ने के बाद 1897 में स्वामी विवेकानंद फिर देहरादून आए। यहां उन्होंने 10 दिन तक प्रवास किया। तब उनके साथ पश्चिम के भी बहुत से लोग थे। सिस्टर निवेदिता इन्हीं में से एक थी। देहरादून में उनके शिष्य कैप्टन सेवियर व उनकी पत्नी अनाथालय खोलना चाहते थे।स्वामी विवेकानंद देहरादून और अल्मोड़ा में रामकृष्ण मिशन के केंद्र बनाना चाहते थे।

कालान्तर में उत्तराखण्ड में रामकृष्ण मिशन की कई शाखाएं स्थापित हुइ। रामकृष्ण मिशन आज भी स्वामी विवेकानंद के विचारो के प्रचार-प्रसार का काम कर रहा है। स्वामी विवेकानंद की उत्तराखंड की यात्रा का उद्देश्य तप, साधना, ध्यान, हिमालय की शक्तिपुंज से नई ऊर्जा प्राप्त करना था। उन्होंने यहीं पर सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया। वह उत्तराखंड से इतने अभिभूत थे कि अपने शिष्यों से कहते थे, अपने जीवन के अंतिम क्षणों को अद्वैत आश्रम में ही बिताना चाहते हैं।

जहां वह एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करना और पुस्तकें लिखना चाहते हैं। हिमालय की उनकी इस यात्रा का स्थानीय लोगों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।देश के युवाओं को आजाद भारत का सपना दिखाने वाले महापुरुष विवेकानन्द का 4 जुलाई 1902 को निधन हुआ था। विवेकानंद के जीवन से जुड़ी तमाम कहानियां आज भी देशभर के कई विद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं।

12 जनवरी, 1863 को एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले विवेकानंद का पूरा जीवन देश सेवा और भारतीय संस्कृति के प्रसार में समर्पित था। वेदांत के विख्यात और एक प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु विवेकानंद नेवर्ष1893 में #शिकागो में आयोजित विश्व धर्मलेखमहासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा दिया थाअमेरिका जाने से पहले नरेंद्र नाथ मद्रास में थे। तब उन्होंने अखबारों में शिकागो में हो रही धर्म संसद के बारे में सुना था।

कहते हैं नरेंद्रनाथ को उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने सपने में आकर धर्म संसद में जाने का संदेश दिया था लेकिन नरेंद्र नाथ के पास पश्चिम देशों में जाने के लिए पैसे नहीं थे। नरेंद्र नाथ ने खेत्री के महाराज से संपर्क किया और उन्हीं के सुझाव पर अपना नाम स्वामी विवेकानंद रख लिया। महाराजा खेत्री की मदद से ही 31 मई 1893 को स्वामी विवेकानंद, चीन-जापान और कनाडा होते हुए अमेरिका की यात्रा पर निकल पड़े।धर्म संसद में बुलाए नहीं गए थे विवेकानंद30 जुलाई 1893 को स्वामी विवेकानंद अमेरिका के शिकागो पहुंचे, लेकिन वो ये जानकर परेशान हो गए कि सिर्फ जानी-मानी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को ही विश्व धर्म संसद में बोलने का मौका मिलेगा।

विवेकानंद ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें हार्वर्ड में भाषण देने के लिए बुलाया। राइट विवेकानंद से बहुत प्रभावित थे, जब उन्होंने जाना कि धर्म संसद के लिए स्वामी जी के पास किसी संस्था का परिचय नहीं है, तब उन्होंने कहा कि स्वामी जी, आपसे आपके परिचय के लिए पूछना ऐसा ही है जैसे सूरज से पूछा जाए कि स्वर्ग में वो किस अधिकार से चमक रहा है।

इसके बाद प्रोफेसर राइट ने धर्म संसद के चेयरमैन को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा था कि ये व्यक्ति हमारे सभी प्रोफेसरों के ज्ञान से भी ज्यादा ज्ञानी है। स्वामी विवेकानंद धर्मसंसद में किसी संस्था के नहीं बल्कि भारत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल किए गए। 4 जुलाई, 1902 को आप एक बीमारी के चलते बेहद अल्पायु में परलोक सिधार गये. आज ज्ञान और हिंदुत्व के उन अमर स्तम्भ स्वामी विवेकानंद जी को उनकी पुण्यतिथि पर सुदर्शन परिवार बारम्बार नमन और वंदन करता है और उनकी यशगाथा को सदा अमर रखने के लिए संकल्प लेता है .

ShareSendTweet
Previous Post

रोजगार एवं स्वरोजगार शीर्ष प्राथमिकताः मुख्यमंत्री

Next Post

सरकार ने लिए 06 संकल्प, सात बड़े निर्णय, जानिए

Related Posts

उत्तराखंड

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025
33
उत्तराखंड

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
7
उत्तराखंड

स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे हिन्द के दादा नैरोजी – अनिल नौरिया

June 30, 2025
6
उत्तराखंड

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को मिलकर साकार करें: धामी

June 30, 2025
5
उत्तराखंड

हिमालय पर्वत  श्रृंखला में क्यों ज्यादा होते हैं भूस्खलन?

June 30, 2025
14
उत्तराखंड

हेमकुण्ड साहिब तीर्थ यात्रा पर पहुँच रहे कुछ सिरफिरे सिख तीर्थ यात्री आए दिन कहीं न कहीं बबाल काट रहे

June 30, 2025
14

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.