फोटो- विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण का हुआ संक्षिप्त आयोजन।
02- रम्माण आयेाजन के दौरान भूमियाल देवता का पूजन करते हुए।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। कोरोना महामारी के कारण संक्षिप्त रूप से मनाई गई रम्माण। गत वर्ष भी नहीं हो सका था विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण का आयोजन।
पैनखंडा जोशीमठ के सलूड-डुंग्रा गाॅव से यूनेस्को के मंच तक पहुची विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण का आयोजन इस वर्ष बहुत ही सूक्ष्म ढंग से किया गया। हाॅलाकि रम्माण की निर्धारित तिथि की घोषणा वैसाखी पर्व पर 14अप्रैल को कर ली गई थी, जिसमे कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने की दशा मे ही बृहद रूप से किए जाने का भी निर्णय लिया गया था। लेकिन कोरोना महामारी व राज्य तथा जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार बहुत ही सूक्ष्म तरीके से इस पौराणिक धार्मिक पंरपरा का निर्वहन किया गया।
यूॅ तो क्रमवार रात्रि को 18मखौटो मे से 14मुखौटो का नृत्य हो चुका था, और अन्तिम दिवस नृसिंह-प्रहलाद नृत्य, फुलचेरी व हिरन मुखौटा नृत्य के आयोजन के बाद भूमियाल देवता को वर्ष भर की पूजा के लिए आशुतोष कुॅवर के घर भेजा गया। पंरपरा के अनुसार गाॅव के ही ग्रामीणों द्वारा भगवान भूमियाल देवता व अन्य देवी-देवताओ को वर्ष भर पूजा का अवसर दिए जाने के लिए पंचायत को प्रार्थना पत्र दिया जाता है। पंचायत के निर्णय के बाद ही संबधित के घर मे वार्षिक पूजा के लिए भूमियाल देवता के साथ ही सभी 18मुखौटो को भेजा जाता है। और वर्षभर उसी घर मे पूरे विधि-विधान के साथ पूजा/अर्चना की जाती है।
गौरतलब है कि गत वर्ष भी ठीक इन्ही दिनो कोरोना के बढते प्रभाव व लाॅकडाउन के कारण किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियों को आयेाजन नही किया जा सका। इस वर्ष लाॅकडाउन नही हुआ लेकिन कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए रम्माण का सक्षिप्त आयोजन ही किया गया।
पैनखंडा की रम्माण को विश्व पटल तक पंहुचाने वाले रम्माण के संयोजक डा0कुशल भंडारी के अनुसार गत वर्ष रम्माण का आयोजन नही होने के कारण इस वर्ष लोगो मे काफी उत्साह था। और सूबे के सीएम को भी इस कार्यक्रम मे पंहुचना था। लेकिन इस वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण रम्माण के आयेाजन पर पहले तो संशय बना रहा लेकिन बाद मे तय हुआ कि किसी भी तरह कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए संक्षिप्त रूप से ही रम्माण का आयोजन किया जाय। डा0भंडारी ने बताया कि सांय तीन बजे से कार्यक्रम शुरू हुआ। और काफी कम लोगो क उपस्थिति मे धार्मिक अनुष्ठान के साथ रम्माण को सूक्ष्म आयेाजन किया गया।