डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड सरकार ने राज्य में देश की पहली योग नीति
को लागू कर दिया है। उत्तराखंड राज्य को देवभूमि के साथ योग और वैलनेस की वैश्विक
राजधानी बनाए जाने को लेकर आयुष विभाग ने योग पॉलिसी तैयार की थी। इस पर 28 मई
2025 को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय योग
दिवस के अवसर पर प्रदेश की शीतकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा
परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश की पहली
योग पॉलिसी की अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद उत्तराखंड
राज्य में योग नीति लागू हो गई है। दरअसल उत्तराखंड में योग पॉलिसी लागू करने की कवायद
साल 2023 से ही चल रही थी. राज्य में आयुष नीति लागू होने के बाद आयुष विभाग ने साल
2023 में ही योग पॉलिसी तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए थे। आयुष विभाग ने योग
नीति का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को प्रशिक्षण के लिए भी भेजा था। तब ड्राफ्ट में कुछ
कमियां होने के चलते शासन से वापस भेजा गया था। इसके बाद आयुष विभाग ने शासन के
दिशा निर्देशों के अनुसार देश की पहली योग नीति तैयार की। इस योग नीति को तैयार करने में
आयुष विभाग ने आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ ही तमाम हितधारकों से भी सुझाव लिए। आयुष
विभाग की ओर से करीब 2 साल में योग नीति तैयार की गई। मई 2025 में विधायी विभाग से
मंजूरी मिलने के बाद 28 मई को इसे कैबिनेट के सामने रखा गया था, जिसे धामी मंत्रिमंडल ने
मंजूरी दे दी थी। इसके बाद आज 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड योग
पॉलिसी 2025 को लागू कर दिया गया है। उत्तराखंड योग नीति 2025 के तहत सरकार ने
तमाम लक्ष्य भी तय किए हैं। इसके तहत साल 2030 तक उत्तराखंड में कम से कम पांच नए
योग हब स्थापित करने का लक्ष्य है। जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक
झील क्षेत्र में योग हब स्थापित होंगे। इसके साथ ही मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ
और वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं उपलब्ध कराने का भी लक्ष्य तय है। राज्य सरकार का मानना
है कि योग नीति लागू होने के बाद उत्तराखंड राज्य में 13,000 से अधिक रोजगार उपलब्ध
होंगे। 2,500 योग शिक्षक योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से प्रमाणित होंगे। 10,000 से अधिक योग
अनुदेशकों को होमस्टे, होटल आदि में रोजगार मिलने की संभावना है। उत्तराखंड सरकार, योग
और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना करेगी, जो नीति के सचालन, नियमन, अनुदान
वितरण और तमाम गतिविधियों की निगरानी करेगा। निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त
निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और अन्य आवश्यक स्टाफ शामिल होंगे।
निदेशालय का कार्य योग केंद्रों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना, योग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन
और योग प्रमाणन बोर्ड के तहत मान्यता प्राप्त करवाना, योग केंद्रों की रेटिंग प्रणाली बनाना
और एम.ओ.यू. के जरिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना होगा। नीति की
समीक्षा और निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय राज्य समिति का गठन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के सचिव ने नीति के व्यापक उद्देश्य को स्पष्ट किया: समाज के सभी वर्गों में स्वास्थ्य
और तंदुरुस्ती के साधन के रूप में योग को बढ़ावा देना। उन्होंने कहा, "समुदाय आधारित विशेष
स्वास्थ्य कार्यक्रम विभिन्न आयु समूहों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए
जाएँगे।"नई नीति में योग पर्यटन पर विशेष जोर दिया गया है , जिसका उद्देश्य उत्तराखंड को
समग्र स्वास्थ्य के लिए एक अग्रणी अंतरराष्ट्रीय गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। इसे प्राप्त
करने के लिए, सरकार योग शिक्षण संस्थानों के लिए कड़े दिशा-निर्देश लागू करने और योग
शिक्षा को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रही है। राष्ट्रीय और
वैश्विक संस्थानों के सहयोग से क्षमता निर्माण कार्यक्रम योग्य योग विशेषज्ञों के एक बड़े समूह
को प्रशिक्षित करने में मदद करेंगे।पांच नए अंतरराष्ट्रीय योग केंद्र जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास
घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील में स्थापित किए जाएंगे। ये ऋषिकेश में मौजूदा
बुनियादी ढांचे का पूरक बनेंगे, जो पहले से ही विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त योग गंतव्य
है।प्रस्तावित योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय योग केंद्रों के पंजीकरण, मान्यता और
विनियमन की देखरेख के लिए जिम्मेदार होगा। यह मानकों को बनाए रखने और क्षेत्र में राष्ट्रीय
और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक रेटिंग प्रणाली भी शुरू करेगायोग क्षेत्र में
निवेश और विकास को बढ़ावा देने के लिए धामी सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रोत्साहनों की
घोषणा की है। पहाड़ी क्षेत्रों में स्थापित योग केंद्रों को परियोजना लागत का 50% या
अधिकतम 20 लाख रुपये सरकारी अनुदान के रूप में मिलेंगे। मैदानी इलाकों में स्थापित केंद्रों
को 25% या अधिकतम 10 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा।अगले पांच वर्षों में सरकार
इस पहल में 35 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है, जिससे 13,000 से ज़्यादा
नौकरियाँ पैदा होने का अनुमान है। लगभग 2,500 योग शिक्षकों को प्रमाणित किया जाएगा,
और नीतिगत ढांचे के तहत 10,000 से ज़्यादा योग प्रशिक्षकों को रोज़गार मिलने की उम्मीद
है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य सरकार शीघ्र ही प्रदेश में आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक
चिकित्सा, योग और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में
एक-एक स्पिरिचुअल इकोनॉमिक ज़ोन की स्थापना करेगी। उन्होंने कहा हम राज्य के पर्वतीय
क्षेत्रों में दो नए नगर बसाने जा रहे हैं, जो योग, आयुर्वेद और अध्यात्म के केंद्र बनकर वैश्विक
मानचित्र पर राज्य की विशेष पहचान स्थापित करेंगे। जिसमें सम्पूर्ण विश्व से वेलनेस के क्षेत्र में
काम करने वाले बड़े ग्रुप्स, आध्यात्मिक गुरुओं, संस्थानों को यहाँ आमंत्रित किया जायेगा।
2030 तक राज्य में पाँच नए योग हब की स्थापना की जाए और मार्च 2026 तक राज्य के
सभी आयुष हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर में योग सेवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की
जाएगी। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*