अल्मोड़ा में एक सप्ताह के अन्दर दो महिलाओं का शिकार कर चुके आदमखोर तेंदुए को मार गिराया गया, शिकारी लखपत अभी तक 53 तेंदुओं का शिकार कर चुके हैं। इस साल यह उनका चौथा शिकार है। लखपत की कहानी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पहाड़ में वन्य जीवों की समस्या किस कदर बढ़ती जा रही है। वन विभाग के प्रतिनिधि खुशाल सिंह अटवाल ने लोगों को बताया कि वन विभाग ने ट्रेंकुलाइजर टीम के भुवन टम्टा, पंकज भाकुनी, त्रिभुवन उपाध्याय, चंद्रशेखर त्रिपाठी आदि को भी अभियान पर लगाया है।
गोविंदी देवी के पुत्र ललित मोहन जोशी ने बताया कि प्रशासन तथा वन विभाग द्वारा अब तक की गई कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं। सोमवार की शाम शिकारी गांव में मौजूद होते तो तेंदुआ उसी समय मारा जाता। लोगों में इसी बात की नाराजगी रही। लखपत का पूरा फोकस गश्त पर ही था और उन्होंने मचान नही बनाया था। एक अन्य शिकारी ने कुत्ते को भी साथ लेकर गश्त की थी। अन्य शिकारी मंगलवार से पूरी तरह से मोर्चा संभालने की तैयारी में थे।
शिकारियों के मुताबिक क्षेत्र में अभी तक किसी दूसरे तेंदुए की सक्रियता के संकेत नहीं मिले हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि यह वही तेंदुआ है जिसने एक हफ्ते में इस क्षेत्र में दो शिकार किए। लखपत का मानना है कि खराब स्वास्थ्य के कारण यह तेंदुआ आदमखोर बना। उनका कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही यह पुख्ता हो पाएगा कि इस तेंदुए के आदमखोर बनने के पीछे क्या कारण थे। तेंदुए के गले में संक्रमण और घाव बता रहा है कि तेंदुआ की सेहत नाजुक हो गई थी।